पर्ल ग्रुप पर पीएफ डिपार्टमेंट का छापा, बड़ा गड़बड़-घोटाला मिला

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पर्ल ग्रुप की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। पहले निवेशकों को सपना दिखाकर उनसे उनकी गाढ़ी कमाई लूट कर धोखा किया गया और अब पर्ल्स ग्रुप के अधीन चल रहे न्यूज़ चैनल ‘पी7’की स्थिति लगातार चरमराती चली जा रही है। जहाँ चैनल ने अपने कर्मचारियों को सितम्बर से अब तक सैलरी नहीं दी है और मामला लेबर कमिश्नर की चौखट पर है वहीं बेशरमी की हद पार करते हुए चैनल का एक और फ्रॉड सामने आया है।  ताजा मामला पीएफ से जुड़ा हुआ है।  बताया जा रहा है कि चैनल ने पिछले सात महीने से कर्मचारियों का पीएफ ही नहीं जमा किया है। इस बात की पुष्टि तब हुई जब पीएफ डिपार्टमेंट की स्क्वाड टीम ने शुक्रवार को दोपहर 12 बजे चैनल में छापा मारा।

ये भी पता चला है कि मीडियाकर्मियों की सैलरी से हर महीने THE EMPLOYEES’ PROVIDENT FUNDS AND MISCELLANEOUS PROVISIONS ACT, 1952 के नाम पर लाखों रुपये काटा जा रहा था लेकिन इसको चैनल ने प्रोविडेंट फंड की बजाय पर्सनल फंड के तौर पर हज़म कर लिया और पिछले सात महीनों से पीएफ डिपार्टमेंट को पैसा जमा नहीं किया। सूत्रों के मुताबिक पीएफ डिपार्टमेंट को शिकायत मिली थी की चैनल ने पिछले कई महीनों से पीएफ का पैसा जमा नहीं किया है जिसके बाद असिस्टेंट कमिश्नर की अगुवाई में तीन लोगों की स्क्वाड टीम ने चैनल में छापा मारा और तमाम कागज़ातों और फाइलों को खंगालने के बाद कंपनी के फॉर्म ५ को अपने कब्ज़े में ले लिया। 

ये भी बताया जा रहा है पीएफ कार्यालय से आई टीम ने चैनल के एचआर से करीब तीन घंटे तक पूछताछ की। साथ ही चैनल मैनेजमेंट को हिदायत दी कि शुक्रवार शाम ५ बजे तक पीएफ ऑफिस, नॉएडा में पीएफ का बकाया जमा कर दें नहीं तो चैनल के निदेशक समेत कई लोगों के खिलाफ नोएडा के सेक्टर २४ में violation of Section 6 of the Employees Provident Fund & Miscellaneous Provisions Act, 1952 में मामला दर्ज करा दिया जायेगा। इसके तहत आईपीसी की धारा Section 406/409 में मामला दर्ज हो जायेगा।  इस छापे के बाद चैनल में हड़कंप मच गया जिसके बाद बताया जा रहा है कि करीब लाखों रुपये पीएफ का बकाया होने पर शाम को चैनल के मैनेजमेंट ने पीएफ ऑफिस में जाकर करीब अगस्त तक का EMPLOYEE CONTRIBUTION तो जमा कर दिया लेकिन EMPLOYER CONTRIBUTION जमा नहीं किया जिसके बाद पीएफ ऑफिस ने चैनल के प्रबंधन को १० नवंबर तक बकाया राशि जमा करने को कहा है। फिलहाल चैनल ने सितम्बर से अभी तक सैलरी नहीं दी है जिसके चलते मीडियाकर्मी परेशान है।



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Comments on “पर्ल ग्रुप पर पीएफ डिपार्टमेंट का छापा, बड़ा गड़बड़-घोटाला मिला

  • rajnesh singh says:

    😡 प्रिय यशवंत जी, बीते कुछ दिनों से लगातार आपकी बेवसाइट पर पी7 न्यूज से जुड़ी तमाम खबरें प्रकाशित की जा रही है, लेकिन, आपको खबर मुहैया करानेवालों ने कभी खुद की मक्कारी की दास्तां आपके या फिर आपके रीडर के साथ साझा नहीं की, ये जिम्मेदारी मै ही निभा देता हूं, 2009 दिसंबर में जब चैनल की शुरुआत हुई थी उसवक्त इनमें से कई कुछ अपने वजूद की तलाश में भटक रहे थे, जैसे, मक्कार मुकुंद शाही, हर्षवर्धन त्रिपाठी, अश्विनी त्रिपाठी, चंदन कुमार, मनीष ठाकुर, अगस्त अरुणाचल,संदीप शर्मा, वगैरह-वगैरह, अब आपको इन सभी के इतिहास से भी परिचित कराता हूं, सबसे पहले मुकुंद शाही, इस मक्कार शख्स ने जिस किसी भी चैनल में काम किया वहां से ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया, जैसे बीएजी फिल्मस,आईबीएन7,इंडिया टीवी और इंडिया न्जूज, इंडिया न्यूज में तो इसने हद ही कर दी, निकाले जाने पर इसने दफ्तर के बाहर गुंडे बुला लिए, बाकी सभी जगहों से दलाली के आरोप में बाहर किए गए,
    हर्षवर्धन त्रिपाठी-सीएनबीसी आवाज से निकाले गए
    अश्विनी त्रिपाठी- सुधीर चौधरी ने लाइव इंडिया से लाइन में खड़ा कर बाहर का रास्ता दिखाया, एमएच वन चैनल में गए, वहां भी टिक नहीं पाए, पी7 में पिछले पांच साल के दौरान सिर्फ दलाली के सिवा और कुछ खास नहीं कर पाए

    चंदन कुमार, अगस्त अरुणाचल और संदीप शर्मा ये वो लोग हैं जिन्होंने वीओआई चैनल के बंद कराने में अहम भूमिका निभाई, जहां भी गए वहां बुरा हाल कर दिया, अगस्त को तो आज तक से भी निकाला गया था जबकि, चंदन कुमार को हिंदी के शुद्ध उच्चराण में भी तकलीफ होती है

    मनीष ठाकुर- महाशय पी7 न्यूज में सुप्रीम कोर्ट कवर करते रहे हैं, और कोर्ट की दलाली में अपना अच्छा खासा रसूख बनाया है

    ये वो लोग हैं जिन्होंने पिछले पांच सालों में न कुछ भी काम नहीं किया, और जब इनकी नौकरी खतरे में पड़ी तो, चैनल की लुटिया डुबोने के साथ ही चैनल में काम करने वाले चार सौ से ज्यादा लोगों के पेट पर लात मारने से भी गुरजे नहीं किया,

    चैनल के भीतर काम करने वाले एडिटर, आईटी, इनपुरट, आउटपुट के लोग अपनी सैलरी के लिए आवाज बुलंद करें तो बात समझ में आती है, लेकिन, इन जेहादियों की बैशरमी तो देखिए, पिछले पांच साल में काम के नाम पर दलाली करते रहे और अब जब बोरिया बिस्तर सिमटने की भनक लगी तो, आंदोलनकारी का चोला ओढ़ बाकियो की नौकरी के साथ भी खिलवाड़ करने से गुरेज नहीं कर रहे, और तो और लोगो के बीच अपनी लुटती इज्जत को बचाने की खातिर खुद को बेचारे कर्मचारियों का मसीहा साबित करने की जुगत में भिड़े हैं, भाई हद हो गई, मुकुंद शाही दो नौकरियां न्यूज24 और इंडिया टीवी का ऑफर की बात कहते हैं, आश्चर्य तो यह है कि, जिस शख्स के पास इन हालात में नौकरी का ऑफर हो, वो बकईती करता फिर रहा है, रही बात पी7 की तो, चैनल के हालात को खराब हैं ही, ये कुछ लोग उसे और खराब करने पर तुले हैं, कहते हैं हम तो डूबेंगे ही तुम्हें भी ले डूबेंगे,
    कुल मिलाकर बात यह है कि, इन लोगों को जिस किसी भी चैनल में नौकरी दी गई, वहां इनलोगों ने यही सब कुछ किया जो पी7 के साथ कर रहे हैं
    अब वो चैनल खुद निर्णय करें कि, इन मक्कारों, दलालों और बेईमानों को नौकरी देनी चाहिए या फिर नहीं

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  • rahees sahab sala hi nahi jija yani raman pandey bhi bahot bada ladkibaj hai.channel me kam karne wali har ladki par ye buri nazar rakhta tha..apne chelo se unpar dawab banvata tha taki vo un k sath raat gujaar sake..jisne bhi is kukarmi pandey k aagey jhukne se inkar kiya use pareshan kar channel se bahar nikalvaya…lekin acha hua pandey k paap ka ghada us k aaka kesar ne hi phoda.

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  • Gopal Singhal says:

    यशवंत जी अधिकांश न्यूज़ चैनलों अखबारों मैं आज कल ऐसे ही लोगो को काम मिलता है जो काम नहीं जानते चापलूसी का सहारा लेकर और मुंगेरी लाल के सपने दिखा कर मालिको को ये जताते है की इनसे बेहतर पत्रकार कोई नहीं सकता ,लेकिन दर्शक बहुत होश्यार होते है,मालिक को जब तक इनकी हकीकत पता लगती है तब तक संस्थान का एहि हल हो चूका होता है जो पर्ल ग्रुप का हुवा।
    रही बात कर्मचारी भविष्य निधि की वो भी अधिकतर संस्थान हज़म कर जाते है कर्मचारी से काटते है लेकिन जमा नहीं करते मेरे पास नाम है,कुछ तो ऐसे है की नौकरी छोड़ने के बाद किसी कर्मचारी ने क्लेम किया तो उसके नाम से आधा अधूरा पैसा विभाग मैं जमा करदेते है वो भी नियोक्ता व् कर्मचारी दोनों की कटौती कर्मचारी से कर के। इस काम मैं भविष्य निधि विभाग भी संस्थान से दोस्ती निभाता है मैंने शिकायत की लेकिन विभाग ने कोई करवाई नहीं की। इस देश मैं लेबर विभाग इ एस आई ,पी ऍफ़ विभाग नियोक्ता को बचाने के लिए काम करते है

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