पी7 न्यूज और उसके अफसरों को जो सड़क पर उतर कर गरियाएगा, वो फुल एंड फाइनल पेमेंट पाएगा !

पी 7 न्यूज के बंद होने के बाद बकाया भुगतान को लेकर रोजाना नई नई कहानियां सामने आ रही है। चैनल बंद करते समय प्रबंधन ने सभी का फुल एंड फायनल पेमेंट करने का लिखित में वादा किया था, लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ तो पत्रकारों ने धरना प्रदरेशन से कोर्ट में प्रबंधन के लोगों को घसीटा। तब करीब 160 लोगों का भुगतान किया गया। डायरेक्टर केसर सिंह, बिधु शेखर के खिलाफ गाली गलौज और मोर्चा खोलने वालों को ही पेमेंट किया गया।

केसर सिंह के बाद अब विधु शेखर का घर घेरेंगे पी7 के आंदोलनकारी

चिटफंड कंपनी पीएसीएल का मालिक भंगू अपने खिलाफ मामले हटवाने और जांच एजेंसियों को प्रभावित कराने के नाम पर भले ही अरबों खरबों रुपये फूंक रहा हो लेकिन उसे अपने इंप्लाइज का जेनुइन बकाया देने में नानी याद आ रही है. यही कारण है कि पी7 न्यूज चैनल के सैकड़ों कर्मचारी अपने फुल एंड फाइनल सेटलमेंट के लिए फिर से सड़कों पर हैं. आंदोलन के जरिए एक राउंड सैकड़ों कर्मचारी अपने हक का पैसा पा चुके हैं लेकिन अब तक जिन्हें पूरा बकाया पैसा नहीं मिला है वो फिर आंदोलन की राह पर है. ये आंदोलन धीरे धीरे अनशन में तब्दील होता जा रहा है और न्याय न मिलने पर आमरण अनशन की भी तैयारी है.

खुश खबरी : पी7 न्यूज के हड़ताली और आंदोलनकारी कर्मियों का हुआ फुल एंड फाइनल सेटलमेंट

पी7 न्यूज चैनल के मीडियाकर्मियों ने अपने हक के लिए दो-दो बार आफिस पर कब्जा किया और लंबा व संगठित आंदोलन चलाया. इसका रिजल्ट उन्हें अब मिला. हर तरफ से दबावों के कारण झुके प्रबंधन ने अपने वादे के अनुरूप कर्मियों का फुल एंड फाइनल सेटलमेंट कर दिया. इसे कहते हैं जो लड़ेगा वो जीतेगा. जो डरेगा, झुकेगा वो हारेगा. पी7 न्यूज चैनल के करीब दो सौ कर्मचारियों को इस फाइनल सेटलमेंट का लाभ मिला है.

पी7 चैनल के कर्मियों के दूसरे राउंड वाले आंदोलन को समर्थन देने वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय भी पहुंचे थे. साथ में हैं वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्द्धन त्रिपाठी.

पी7 के 450 में से सिर्फ 153 कर्मियों को ही फुल एंड फाइनल पेमेंट मिलेगा

पिछले दिनों ये खबर आई थी कि आन्दोलनकारी पत्रकारों के जिद और जुनून के आगे पी7 प्रबंधन झुक गया और उन्हें नवम्बर तक की सैलरी दे दी गयी. साथ ही 15 जनवरी तक तीन महीने का कम्पनसेशन भी दे दिया जाएगा. इस खबर को सुनकर पी7 के सभी कर्मचारी/श्रमिक ख़ुशी से झूम उठे, लेकिन इनकी ख़ुशी में तब विराम लग गया जब इन्हें पता चला कि पी7 के सभी कर्मचारियों को नहीं बल्कि केवल 450 में से केवल 153 (लगभग) लोगों को ही ये सुविधा मिलेगी. इसके बाद, दूसरे ही दिन अन्य कर्मचारियों ने तत्काल बैठक बुलाई और सब एकत्रित हो कर दुबारा बड़ी संख्या में लेबर कमिश्नर के पास नयी कंप्लेन दायर कर आये.

पी7 चैनल के आफिस में रात गुजारी आंदोलनकारी पत्रकारों ने (देखें तस्वीरें) : पार्ट 4

इस बार पी7 के आंदोलनकारी पत्रकार लंबी लड़ाई के मूड में आए हैं. इसीलिए उनके आंदोलन में कोई अफरातफरी और कोई उतावलापन नहीं है. सब कुछ शांति के साथ और प्लानिंग के साथ हो रहा है. एक आह्वान पर सभी पत्रकारों का आफिस पहुंच जाना और आफिस के मुख्य द्वारा से लेकर अंदर रिसेप्शन तक पर कब्जा कर लेना. फिर वहीं अनशन धरना शुरू कर देना. फिर आफिस के हर कोने पर हाथ से बनाए गए बैनर पोस्टर चस्पा कर देना. फिर श्रम विभाग से लेकर पुलिस, प्रशासन, भड़ास आदि को सूचित कर तस्वीरें सूचनाएं आदि शेयर करने लगना. खाने से लेकर सोने तक की व्यवस्था कर देना.

पी7 चैनल के आफिस में रात गुजारी आंदोलनकारी पत्रकारों ने (देखें तस्वीरें) : पार्ट 3

श्रम विभाग के पास ताकत बहुत है, बस वह ईमानदारी से अड़ जाए, डंट जाए. श्रम विभाग नोएडा में कई तेजतर्रार अधिकारियों के होने के कारण मीडिया से जुड़े मामलों पर इन दिनों काफी सक्रियता और तेजी दिखाई जा रही है. श्री न्यूज से लेकर भास्कर न्यूज और पी7 न्यूज तक में पत्रकारों व मीडियाकर्मियों का प्रबंधन से सेलरी-बकाया आदि को लेकर विवाद है. इन चैनलों के मामले श्रम विभाग पहुंचे तो श्रम विभाग ने कड़ा रुख अपनाया और प्रबंधन पर सख्ती की.

आंदोलनकारी पत्रकारों के बीच बैठे श्रम विभाग, नोएडा के असिस्टेंट लेबर कमिश्नर शमीम अख्तर (मोबाइल से बात करते हुए).

पी7 चैनल के आफिस में रात गुजारी आंदोलनकारी पत्रकारों ने (देखें तस्वीरें) : पार्ट 2

दुनिया भर के अन्याय उत्पीड़न और शोषण के खिलाफ आवाज उठाने वाले पत्रकारों की आवाज कौन उठाएगा? कोई नहीं. क्योंकि मीडिया हाउसेज के मालिक अपने पत्रकारों की आवाज को हमेशा कुचलते रहे हैं और उनकी आवाज को मीडिया माध्यमों से ब्लैकआउट करते रहे हैं. धन्य हो न्यू मीडिया और सोशल मीडिया की. इसके आ जाने से परंपरागत मीडिया माध्यमों की हेकड़ी, अकड़, दबंगई, मोनोपोली खत्म हुई है. आज फेसबुक ट्विटर ह्वाट्सएप ब्लाग वेबसाइट जैसे माध्यमों के जरिए पत्रकारों की आवाज उठने लगी है और मीडिया हाउसों के अंदर की बजबजाहट बाहर आने लगी है. पी7 चैनल के आंदोलनकारी पत्रकारों की बड़ी सीधी सी मांग है.

पी7 चैनल के आफिस में रात गुजारी आंदोलनकारी पत्रकारों ने (देखें वीडियो और तस्वीरें) : पार्ट 1

पत्रकारों का ऐसा एकजुट आंदोलन बहुत दिन बाद देखने को मिला. पिछली बार जब आंदोलन किया तो प्रबंधन झुका और लिखित समझौता कर सब कुछ देने का वादा किया. लेकिन तारीखें बीतने के बाद जब पता चला कि प्रबंधन झूठा निकला तो पत्रकारों ने दुबारा आंदोलन करने में तनिक भी देर न लगाई. ह्वाट्सएप पर इन आंदोलनकारी पत्रकारों का ग्रुप बना हुआ है. इस ग्रुप पर आंदोलन फिर से शुरू करने और आफिस नियत समय पर पहुंचने का आह्वान होते ही सब पत्रकार कल पी7 चैनल के नोएडा स्थित आफिस पहुंच गए. अंदर घुसकर रिसेप्शन समेत पूरे आफिस पर कब्जा जमा लिया और अनशन पर बैठ गए. लेबर डिपार्टमेंट की तरफ से तेजतर्रार और जनसरोकारी अधिकारी शमीम अख्तर मौके पर पहुंचे तो भड़ास की तरफ से यशवंत सिंह ने पी7 के आफिस जाकर आंदोलनकारियों को समर्थन दिया.

अपने हक के लिए चैनल के आफिस में अनशन करते पत्रकारों ने आफिस के भीतर ही रात गुजारी.

पी7 चोर है… पी7 शर्म करो… पी7 प्रबंधन हॉय हॉय… (देखें अनशन स्थल की कुछ तस्वीरें)

पी7 चोर है… पी7 शर्म करो… पी7 प्रबंधन हॉय हॉय… जी हां, ऐसी ही कई तख्तियां लगाकर, आफिस की दीवारों पर चिपका कर अनशन पर बैठे हैं दर्जनों पत्रकार. जबर्दस्त ठंढ में और अपने बीवी-बच्चों को घर पर अकेला छोड़कर दर्जनों पत्रकार साथी खुद के साथ हुई धोखाधड़ी के खिलाफ नोएडा में पी7 आफिस में अनशन पर बैठे हैं. कहा भी जाता है कि अगर पत्रकार अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ नहीं लड़ सकता तो वह दुनिया में चल रहे शोषण उत्पीड़न के खिलाफ कलम किस नैतिकता से उठा सकता है. तो, दर्जनों पत्रकार साथियों ने नोएडा में स्थित पीएसीएल और पर्ल ग्रुप के न्यूज चैनल पी7 के आफिस में डेरा डाल दिया है. 
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मुकर गए चिटफंडिये भंगू के चेले, नाराज पत्रकारों ने सेलरी के लिए पी7 आफिस में फिर अनशन शुरू किया

जनता के अरबों-खरबों रुपये दबाए बैठी चिटफंड कंपनी पीएसीएल की तरफ से एक चैनल शुरू किया गया था, पी7 न्यूज नाम से. अब जबकि पीएसीएल और इसके मालिक भंगू पर सीबीआई, ईडी, आईटी, सेबी समेत कई एजेंसियों ने पूरी तरह शिकंजा कस दिया है, इस कंपनी के प्रबंधन से जुड़े लोगों ने जनता का जमा धन लौटाने की बात तो छोड़िए, अपने कर्मचारियों तक का बकाया देने से इनकार करना शुरू कर दिया है. पी7 प्रबंधन ने एक बार फिर कर्मचारियों के साथ धोखा किया है.  पिछले दिनों हड़ताली कर्मियों और प्रबंधन के बीच हुए समझौते के मुताबिक प्रबंधन को कर्मचारियों को सैलरी 15 दिसंबर को देना था, लेकिन वो अब तक नहीं दिया है… इससे नाराज सौ से ज्यादा कर्मचारी आज से P7 ऑफिस कार्यालय में धरने पर बैठ गए हैं…

”जिया इंडिया” नाम की पत्रिका लांच होने से पहले ही संपादक कृपाशंकर को हटा दिया गया!

Abhishek Srivastava :  कल नोएडा के श्रमायुक्‍त के पास मैं काफी देर बैठा था। एक से एक कहानियां सुना रहे थे मीडिया संस्‍थानों में शोषण की। अधिकतर से तो हम परिचित ही थे। वे बोले कि टीवी पत्रकारों की हालत तो लेबर से भी खराब है क्‍योंकि वे वर्किंग जर्नलिस्‍ट ऐक्‍ट के दायरे में नहीं आते, लेकिन अपनी सच्‍चाई स्‍वीकारने के बजाय कुछ पत्रकार जो मालिकों को चूना लगाने में लगे रहते हैं, वे इंडस्‍ट्री को और बरबाद कर रहे हैं। जो नए श्रम सुधार आ रहे हैं, उसके बाद स्थिति भयावह होने वाली है। कई दुकानें बंद होने वाली हैं। उनसे बात कर के एक चीज़ यह समझ में आई कि समाचार-दुकानों को बंद करवाने में जितना मालिक का हाथ होता है, उससे कहीं ज्‍यादा मालिक की जेब पर गिद्ध निगाह गड़ाये संपादकों की करतूत काम करती है।

पी7 न्यूज प्रबंधन अपने कर्मियों को 15 जनवरी तक फुल एंड फाइनल पेमेंट दे देगा, बवाल खत्म

पी7 न्यूज चैनल से सूचना आ रही है कि कल देर रात हड़ताली मीडियाकर्मियों और प्रबंधन के बीच समझौता हो गया. ये समझौता असिस्टेंट लेबर कमिश्नर शमीम अख्तर, सीओ द्वितीय अनूप सिन्हा और सिटी मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में हुआ. समझौते पर प्रबंधन की तरफ से केसर सिंह, शरद दत्त, विधु शेखर और उदय सिन्हा ने हस्ताक्षर किए. समझौते के मुताबिक प्रबंधन अपने स्टाफर और कांट्रैक्ट पर कार्य करने वाले कर्मियों को नवंबर खत्म होने से पहले अक्टूबर की सेलरी मिल जाएगी. 15 दिसंबर तक नवंबर की सेलरी मिल जाएगी. 30 दिसंबर तक फुल एंड फाइनल पेमेंट का आधा हिस्सा मिल जाएगा. 15 जनवरी को बाकी सारे ड्यूज क्लीयर कर देंगे.

‘पी7 न्यूज’ के निदेशक केसर सिंह को हड़ताली कर्मियों ने बंधक बनाया, चैनल पर चला दी सेलरी संकट की खबर

कई महीनों से सेलरी के लिए लड़ाई लड़ रहे पीएसीएल / पर्ल समूह के न्यूज चैनल पी7 न्यूज के हड़ताली कर्मचारियों के सब्र का बांध आज टूट गया. इन कर्मियों ने अपने ही चैनल पर सेलरी संकट की खबर चलाlते हुए चैनल का प्रसारण रोक दिया. साथ ही कई महीनों की बकाया सेलरी देने की मांग करते हुए चैनल के निदेशक केसर सिंह को उनके केबिन में ही बंधक बना लिया. कर्मचारियों का आरोप है कि केसर सिंह गुपचुप तरीके से चैनल बंद कर भागने और बकाया सेलरी हड़पने की फिराक में थे.

चैनल बंद कर भाग रहे निदेशकों को पी7 न्यूज कर्मचारियों ने घेरा, आफिस में बवाल

नोएडा से खबर है कि पी7 न्यूज चैनल बंद करके भाग रहे निदेशकों को मीडियाकर्मियों ने घेर लिया है. कई महीने से सेलरी न मिलने से नाराज मीडियाकर्मी चैनल के निदेशकों केसर सिंह आदि को उनके केबिन से बाहर नहीं निकलने दे रहे हैं. मीडियाकर्मियों का आरोप है कि चैनल के निदेशकगण सेलरी न देने और बकाया पैसा हड़पने के इरादे से गुपचुप तरीके से चैनल बंद कर फरार होने की तैयारी कर रहे थे.

पर्ल ग्रुप पर पीएफ डिपार्टमेंट का छापा, बड़ा गड़बड़-घोटाला मिला

पर्ल ग्रुप की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। पहले निवेशकों को सपना दिखाकर उनसे उनकी गाढ़ी कमाई लूट कर धोखा किया गया और अब पर्ल्स ग्रुप के अधीन चल रहे न्यूज़ चैनल ‘पी7’की स्थिति लगातार चरमराती चली जा रही है। जहाँ चैनल ने अपने कर्मचारियों को सितम्बर से अब तक सैलरी नहीं दी है और मामला लेबर कमिश्नर की चौखट पर है वहीं बेशरमी की हद पार करते हुए चैनल का एक और फ्रॉड सामने आया है।  ताजा मामला पीएफ से जुड़ा हुआ है।  बताया जा रहा है कि चैनल ने पिछले सात महीने से कर्मचारियों का पीएफ ही नहीं जमा किया है। इस बात की पुष्टि तब हुई जब पीएफ डिपार्टमेंट की स्क्वाड टीम ने शुक्रवार को दोपहर 12 बजे चैनल में छापा मारा।

‘पी7न्यूज’ में रमन पांडेय समेत कई वरिष्ठों की नो इंट्री, चैनल की कमान उदय सिन्हा को

जब लुटिया डूबती है तो हर कोई इसके आगोश में आ जाता है।  कुछ ऐसा हाल इन दिनों पर्ल्स ग्रुप के चैनल “पी7” का है। खिसयानी बिल्ली खम्बा नोचे वाली कहावत के तहत पी7 चैनल का मैनेजमेंट अपने कर्मचारियों के साथ बदतमीजी पर उतारू है। आउटपुट हेड रमन पांडेय समेत कई लोगों की चैनल में नो एंट्री कर दी गयी है। पीएसीएल ग्रुप सेबी के शिकंजे में जबसे फंसा है तबसे इसके मीडिया वेंचर का बुरा हाल है। चैनल की आर्थिक स्थिति कई महीनों से खराब है और लगातार बिगड़ती जा रही है।  वक्त से सैलरी न मिल पाने के कारण चैनल के साथ जी जान से काम करने वाले कर्मचारी परेशान हैं।

कंपनी के मालिकों को बचाने के चक्कर में दलाल बन गए चिटफंडिया चैनलों के कई पत्रकार

इन दिनों कई चिटफंडिया चैनलों के पत्रकार दलालों की भूमिका में नज़र आ रहे हैं. नौकरी करने और बचाने के चक्कर में पत्रकार इन चिटफंड माफियाओं के दलाल बन गए हैं. जिसकी दलाली रास नहीं आती, वो जल्द ही चैनल छोड़ देते हैं. जिन चिटफंडिया पत्रकारों में पत्रकारिता कम, दलाली का हुनर ज्यादा है, उनकी गाड़ी निकल पड़ी है. पी7 न्यूज  नामक टीवी चैनल का हाल सबको पता है. ये PACLग्रुप का चैनल है. इनके दलाल पत्रकारों की लाख कोशिशों के बावजूद भी कंपनी को बचाया नहीं जा सका, सो अब चैनल भी बुरे दिन झेल रहा है. कई जवान से लेकर बूढ़े पत्रकार तक इस कंपनी की दलाली के काम में लगे थे. इनकी हालत पर वाकई तरस आती है.

पी7 न्यूज में हड़ताल, प्रसारण ठप, कई माह से सेलरी न मिलने के कारण लेबर कोर्ट गए कर्मी

 

पीएसीएल समूह की मीडिया कंपनी पर्ल मीडिया के न्यूज चैनल पी7 न्यूज से बड़ी खबर आ रही है कि यह चैनल मीडियाकर्मियों की हड़ताल के कारण बंद हो गया है. कई महीनों से सेलरी न मिलने के कारण चैनल का प्रसारण कर्मियों ने रोक दिया है. पी7 न्यूज चैनल में कार्यरत एक मीडियाकर्मी ने जानकारी दी कि पीएसीएल के चिटफंड के कारोबार पर सीबीआई, सेबी, इनकम टैक्स समेत कई विभागों के छापे व सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण बुरा असर पड़ा है.