कभी प्रभात खबर विश्वसनीयता का पैमाना माना जाता था. ‘अखबार नहीं, आंदोलन’ के रूप में चर्चित था. लेकिन लगता है अब आंदोलन की ऐसी-तैसी हो गई है और अखबार के नाम पर केवल लुगदी बचा है.
नीचे दो दिन के पेज नंबर एक दिए जा रहे हैं. इससे आपको प्रभात खबर ‘अखबार नहीं आंदोलन’ की सच्चाई सामने आ जाएगी. प्रमाण सामने है. पांच सितंबर का पेज वन
देखिए, फिर छह सितंबर का पेज वन देखें.
एक दिन खबर छापने के बाद दूसरे दिन उतना ही विशाल खंडन….