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सुख-दुख

सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को डिलीट करना पड़ा अपना ट्वीट, देखें क्या लिखा था

Lalit Surjan : प्रकाश जावड़ेकर रामायण सीरियल देखते हुए अपनी तस्वीर साझा कर रहे हैं, मेडिकल डॉक्टर संबित पात्रा घर से बाहर न निकलने की घोषणा कर रहे हैं, और पूर्व सांसद-पत्रकार बलबीर पुंज कह रहे हैं कि ये पैदल जाते लोग घर छुट्टियाँ मनाने जा रहे हैं. इसके बाद भी मोदीजी कहते हैं कि वे प्रधानमंत्री नहीं, हमारे परिवार के सदस्य हैं.

Satyendra PS : लाखों की संख्या में लोग सड़क पर हैं। भूखे नँगे। चौथे दिन ही दूध, फल, सब्जी के बगैर लोग छटपटाने लगे हैं। बीमार लोगों को दवाएं नहीं मिल रही हैं। ऐसे में भाजपा के इस केंद्रीय मंत्री की तस्वीर आपको अश्लील नहीं लग रही है? इससे भी शानदार तरीके से प्रधानमंत्री टीवी देख रहे होंगे। बस तस्वीर नहीं साझा की। गांवों में लोग कोरोना मैया को धार दे रहे हैं। सुंदरकांड का पाठ हो रहा है। तरह तरह की अफवाह चल रही है।

Vijay Shanker Singh : ‘जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी, सो नृप होहिं नरक अधिकारी!’ आज दो तस्वीरे सोशल मीडिया पर बहुत अधिक शेयर की जा रही हैं। एक तस्वीर है प्रकाश जावेडकर की जो सूचना प्रसारण मंत्री हैं और दूसरी तरवीर है केशव मौर्य की जो यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। इस लॉक डाउन की त्रासदी में प्रकाश जावेडकर का योगदान है कि उन्होंने जनता की मांग पर इक्कीस साल पहले चले लोकप्रिय धारावाहिक जो रामानंद सागर ने बनाया था को पुनः प्रसारित करवा दिया और आज वे उसी का आनंद अपने ड्राइंग रूम में बैठे हुए ले रहे हैं।

प्रकाश जावेडकर ने उक्त तस्वीर को ट्वीट किया और गर्व से यह लिखा कि मैं रामायण देख रहा हूँ, क्या आप देख रहे हैं? इस ट्वीट की बेहद आक्रामक निंदात्मक प्रतिक्रिया हुयी और लोगों ने उनकी असम्वेदनशीलता के लिये जम कर लताड़ा। अंत मे वह ट्वीट प्रकाश जावेडकर द्वारा डिलीट कर दिया।

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अजब हाल है कि आज जब सरकार को अपनी जनता के लिए न सिर्फ संवेदनशील होना चाहिए बल्कि यह संवेदनशीलता दिखनी भी चाहिये तो सरकार रामायण देख रहे हैं। हम सामूहिक वनगमन की त्रासदी में लोगों को भटकते देख रहे हैं। दिल्ली से निकलने वाले हर राजमार्ग पर भूखे प्यासे विभिन्न झुंडों में लोग न जाने कहाँ कहाँ जा रहे हैं। ये वे रोज कमाने खाने वाले लोग हैं जो कारखानों के बंद या लॉक डाउन के बाद, अपने घरों की ओर निकल चुके हैं। 1947 के बंटवारे का पलायन जो हमने फिल्मों और डॉक्यूमेंट्री में देखा है उसी तरह की फ़ोटो और वीडियो हम सब अपनी अपनी मोबाईल स्क्रीन पर लगातार देख रहे हैं। अंतर बस यह है कि वह पलायन धार्मिक कट्टरता का पलायन था यह पलायन घोर प्रशासनिक अक्षमता का है।

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