Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

अमर उजाला काम्पैक्ट, आगरा के संपादक रहे प्रेम प्रकाश चतुर्वेदी का निधन

राजेंद्र त्रिपाठी-

….जग में रह जाएंगे प्यारे तेरे बोल!
प्रेम मुझे नहीं याद तुम्हारे प्यारे बोल,जैसा कि तुम अपने फेसबुक के इंट्रो में लिखा छोड़ गए हो। तुमने पता नहीं इंट्रो को क्यों चुना? मुझे तो तुम्हारा बेलौस…बेबाक…तर्कपूर्ण..बिंदास बोल याद है। सोलह आना… 24 कैरेट बोले तो एकदम खरा सोना। चाहे कोई सीनियर रहा हो या जूनियर..तुमको जो सही लगा बोल दिया..एकदम सीधे सपाट..बिना किसी भूमिका के। साफ कहना,सुखी रहना…तुम्हारा …यही अंदाज मुझे अच्छा लगता था। मन से एकदम निर्मल।

Advertisement. Scroll to continue reading.

तुमसे पहली दफा मेरी मुलाकात आगरा में हुई। बतौर संपादक जब मैं अमर उजाला आगरा पहुंचा तो तुम कांपेक्ट संभाल रहे थे। पहली ही मुलाकात में लग गया था कि तुम इस जिम्मेदारी को संभाल कर आगे बढोगे…पर कभी कभी तुम्हारा सामाजिक..राजनीतिक व्यवस्था को लेकर विद्रोही चेहरा दिख जाता था। मैं कहीं न कहीं अंदर से हिल जाता था कि ये विद्रोही तेवर कहीं तुमको पत्रकारिता की पटरी से उतार न दे।
तुम्हारी काबिलियत के चलते मैंने तुम्हें सिटी संस्करण की जिम्मेदारी सौंपी। तुमने बखूबी से निभाया।…….और एक दिन तुम छुट्टी लेकर गए तो तुमको खोजने के लिए मुझे पापड़ बेलने पड़े।

सच कहूं प्रेम..मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता था। मैंने साथियों से पता किया..कहां चला गया प्रेम…छुट्टी बीते एक माह से ज्यादा हो गया है..क्यों नहीं लौटा प्रेम? तुम्हारे रगों में फक्कड़ी थी पर लापरवाही नहीं थी। तुम्हे अपनी जिम्मेदारियों और अनुशासन के बारे में पता था। इतना जिम्मेदार व्यक्ति भला बिना बताए कैसे गायब हो गया। बाद कहीं से पता चला कि तुम्हे कोई चीज खाए जा रही है और तुम पत्रकारिता से आजाद पंछी होना चाहते हो।

मुझे याद है मेरा संदेश पाकर तुम बक्सर से लौट आए थे। मेरे चैंबर में तुम फफक फफक कर बच्चों के मानिंद रो पड़े थे। तुम पत्रकारिता छोड़ना चाहते थे और मैं तुम्हे खोना नहीं चाहता था। तुमने मुझसे मां की सेवा की खातिर पत्रकारिता में बने रहने का भरोसा दिया पर एक शर्त के साथ कि बक्सर के करीब वाराणसी यूनिट है। मेरा तबादला वहीं करवा दें तो बात बन जाएगी। मां की सेवा के साथ ये काम भी कर लूंगा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

मैं स्वार्थी नहीं था..मेरा मकसद तुम्हें पत्रकारिता में बने रहने से था। दीपक तो दीपक होता है,जहां रहेगा धरा को रोशन करेगा। …और मैंने तुम्हें बनारस जाने दिया। कभी विचलित हुए तो मुझसे बात हो जाती। जब मुझे बनारस यूनिट की जिम्मेदारी मिली तो लगा एक बार हम साथ साथ होगें। पर पता चला कि तुम पत्रकारिता से विद्रोही हो गए…बक्सर चले गए। अंतिम बार बनारस में ही मुलाकात हुई जब तुम्हे खबर मिली कि मै बनारस आ गया हूं।
वही गर्मजोशी..वही बेबाक…वही फक्कड़पन और बिंदास बोल। ये देखने में लग रहा था पर तुम मां को लेकर बड़े फिक्रमंद थे।

कुछ टूटा सा लगता था पर हम देख नहीं पाए। अचानक कल रात 11:30 के करीब तुम्हारे जाने की खबर आई तो ….। मोबाइल फोन पर किसी ने कहा-सर प्रेम बाबा चले गए। सहसा ख्याल नहीं आया कि ये कौन से प्रेम बाबा। माफ करना..इसकी वजह सिर्फ ये थी कि तुम ऐसे कैसे चले जाओगे? मैंने सवाल किया कौन प्रेम बाबा? उधर से आवाज आई -सर प्रेम प्रकाश…प्रेम प्रकाश चतुर्वेदी। उनींदी आँखों से नींद गायब हो चुकी थी। मैने सवाल दागा-तुमको कैसे पता चला? जवाब मिला-फेसबुक देखिए सर…भरा पड़ा है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

फेसबुक देखने पर पढ़ा….आर्तनाद। तुम्हारे साथ काम कर चुके सहकर्मियों का ..तुम्हारे सीनियर..जूनियर..हाहाकारी था ये सब मेरे लिए प्रेम। मैं वजह तलाशने में जुट गया…देर रात फेसबुक पर खंगालता रहा कि साथियों में प्रेम बांटने…नहीं नहीं लुटाने वाला प्रेम कैसे चला गया। पर कुछ पता नहीं चला। आखिरकार स्वीकार करना पड़ा कि तुम सांसारिक पिजरे से आजाद हो गए हो। तुम्हारे फेसबुक को देखा तो इंट्रो में लिखा था–जग में रह जाएंगे प्यारे तेरे बोल। सही लिखा प्रेम तुम्हारे बोल मेरे कानो में टकरा रहे हैं…जब कभी तुम कोई नई किताब लेकर आते थे तो पढ़ने के बाद मुझसे कहते थे-सर इसे पढ़ना,मजा आएगा।

मुझे याद है कि जब तुम पहली बार मुझसे मिलने मेरे चैंबर में दाखिल हुए थे तुम्हारे हाथों में थी-रागदरबारी। अभी मुझे लग रहा है कि तुम मेरे कमरे में दाखिल होने वाले हो…तुम्हारे हाथ में किताब है। कहोगे ..सर ये भी पढ़ लो। आज की जर्नलिज्म में आने वाली पीढ़ी का इससे वास्ता नही रहा। ये सच है कि मैंने प्रेम को कभी खाली हाथ नहीं देखा. इसके हाथ में कोई न कोई किताब जरूर होती थी।
अलविदा दोस्त !!!
विनम्र श्रद्धांजलि

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement