Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

पंजाब केसरी और नवोदय टाइम्स में वर्कर्स पर अत्याचार तो चमचे पलकों पर बैठते हैं!

मनोहर शुक्ला-

दोस्तो नमस्कार, आज हम एक ऐसे अखबार संस्थान की बात बता रहे हैं जो ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह नियम या कानून रखती है. जो अपने बनाए नियमो को देश संविधान, हमारे राष्ट्र के द्वार बनाए कानून से ऊपर समझती है. पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) इसका एक जीता जगता उदाहरण है..जहां मालिक या संपादक अपने कर्मचारी के प्रति मनमाने तरीके से शोषण करते हैं. जिसके मैं नीचे कुछ पॉइंट्स के द्वारा व्यक्त करने जा रहा हूं…

Advertisement. Scroll to continue reading.
  1. अखबार के शुरुआत से आज तक किसी भी कर्मचारी को ऑफर लेटर या ज्वाइनिंग लेटर नहीं दिया गया है…जबकि ये तो हर कर्मचारी का हक है.
  2. कर्मचारी को हर 6 महीने में प्रति पुरानी कंपनी से नई कंपनी में ट्रांसफर कराना, वेतन हर 6 महीने प्रति नई कंपनी से क्रेडिट होना, कर्मचारी का पीएफ नंबर हर 1 साल प्रति बदलाव कर देना, वेतन पर्ची प्रदान करना. ये सारी चीज़े कर्मचारी का हक हैं.
  3. क्या संस्थान के द्वारा कर्मचारी को हर साल फर्जी आईडी बना के दी जाती है…जो कर्मचारी की कोई पहचान-प्रमाण नहीं करता
    4.संस्थान में जो कर्मचारी संपादक की चापलूसी करते हैं..उनकी सैलरी हर साल सामान्य कर्मचारी की तुलना में 4 गुणा बढ़ा देते हैं…या सारी सुविधा प्रदान करते हैं. वहीं मेहनती कर्मचारियों के साथ नई सफाई करते हैं.
  4. कंपनी की सैलरी हर महीने 17-22 के बीच आना….या बिना मतलब के सैलरी काट लेना. पूछने पर सही जवाब न देना, ये भी कर्मचारी पर एक अत्याचार ही है.
  5. क्या संस्थान के द्वारा हर साल कर्मचारी से जबरन इस्तीफा लिखवाया जाता है…जो कर्मचारी से मनमानी का जीता जागता उदाहरण है.
  6. नवोदय टाइम्स अखबार में डिजाइनर खबर एडिट करें तो इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि हमारे अखबार की क्वालिटी क्या होगी. अगर आज नवोदय टाइम्स की व्यवस्था सडी गली है तो उसका जिम्मेदार संपादक और प्रबंधन है, गलत तरीके से मैनेजमेंट को उपदेश देते हैं जिसके परिणाम स्वरूप व्यवस्था सड़ चुकी है. चमचागीरी करने के चक्कर में.

यदि समाज कल्याण के स्तर पर देखा जाए तो इस अखबार ने एक अपनी अलग पहचान बनाई है…50-60 सालों से ये कई योजनाओ में शामिल हैं जो कि काबिले तारीफ हैं. उदाहरण के तौर पर….

  1. शहीद परिवार निधि
  2. प्रधानमंत्री राहत कोष
  3. जम्मू-कश्मीर राहत कोष

वहीं दूसरी तरफ कंपनी अपने बैठे हुए संपादक के द्वारा कर्मचारियों में भेदभाव करवाते हैं. जो कर्मचारी चमचागीरी करते हैं…उनको संपादक अपने सर आंखों पर बैठा के रखता है. कहने का मतलब ये है की बाकी कर्मचारियों की तुलना में मुख्य संपर्क के चमचागीरी करने वाले कर्मचारियों का वेतन 3 से 4 गुना बढ़ जाता है.

इस आर्टिकल को लिखने का मकसद व्यवस्था पर लक्ष्य साधना नहीं है, बस व्यवस्था में कुछ सुधार की जरूरत है… जो कर्मचारियों के हित में हो.

लेखक से संपर्क- [email protected]

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group_one

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement