विश्वदीपक-
पुतिन ने फिलहाल कुछ मोहलत का इंतजाम कर लिया है.
वैगनर्स (यानि भाड़े के हत्यारों की सेना. इस पर अलग से बात करूंगा) सरगना प्रिगोजिन वापस चला गया लेकिन ज्यादा दिन बचेगा नहीं पुतिन.
प्रिगोजिन को संतुष्ट करने के लिए पुतिन को अपने रक्षा मंत्री और कमांडर इन चीफ की बलि लेनी पड़ेगी या उनके पंख काटने होंगे. पुतिन को अपने एकदम अंदरूनी, समझिए कि दिल के पास वाली जगह में बड़ी उलटफेर करनी होगी. इससे मॉस्को में खलबली मचेगी.
क्या इस बात से इंकार किया जा सकता कि रूसी सेना का प्रमुख या दूसरे तीसरे नंबर का आदमी ही पुतिन का खात्मा कर दे? पुतिन रूस के लिए लायबिलिटी बन चुका है. क्या पता उसका रक्षा मंत्री ही उसके अंत की पटकथा लिख दे.
वैगनर्स की बगावत ने पुतिन कमजोरियों को चौराहे पर नुमाया कर दिया है.मसलन- रूस की जनता मुक्तिदाता के इंतजार में है. फिर कह रहा हू लेनिन नहीं मिलेंगे तो प्रिगोजिन भी चलेगा. लोगों ने देख लिया कि पुतिन के खिलाफ सैन्य विद्रोह किया जा सकता है. अब आगे भी विद्रोह होंगे.
देर अबेर, आज या कल या अगले किसी महीने की किसी तारीख को सुनाई देगा कि पुतिन का अंत हो चुका है.
प्रकाश के रे-
मामला साफ़ है डेमोक्रेसी वाले चरमपंथियों ने ही वैगनर सरगना को उकसाया है. बहुत से लोग तो उनको स्वतंत्रता सेनानी की पेंशन देने की भी घोषणा कर रहे थे. वॉल स्ट्रीट जर्नल कह रहा है-
रूस में वैगनर ग्रुप के विद्रोह पर कुछ और बातें-
- तीन दिन पहले अमेरिकी मिलिटरी हेडक्वार्टर्स पेंटागन ने बताया था कि यूक्रेन को दी जा रही मिलिटरी मदद में छह अरब डॉलर से अधिक का हिसाब गड़बड़ा गया है. अब वैगनर मर्सिनरी मास्को की ओर बढ़ रहे हैं. मैं यह नहीं कह रहा है कि इन दो बातों में कोई संबंध है.
- रूस के ख़िलाफ़ दूसरा मोर्चा खुल जाना नाटो और कीव शासन के लिए बेहद सकारात्मक है.
- प्रिगोज़िन से लड़ने के क्रम में संभव है कि पुतिन को यूक्रेन में अनेक इलाक़ों को छोड़ना पड़ सकता है.
- रूस में पुतिन बहुत लोकप्रिय हैं, पर उनके लिए रूसी जनता सड़क पर उतर कर जान देगी, इसकी संभावना कम है.
- अभी तक रूसी सेना की ओर से ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. इसके कई मतलब हो सकते हैं.
- अगर मास्को पर वैगनर का क़ब्ज़ा हो जाता है, तो काउंटर एक्शन के लिए पुतिन के लिए मौक़े सीमित हो जायेंगे.
- वैगनर के पास मिलिटरी क्षमता के साथ इंटरनेट हैकिंग कैपेसिटी भी है. अफ़्रीका के दर्ज़न देशों में वैगनर का काम है. यूक्रेन एक्शन में भी उसका बड़ा रोल रहा है. इसका मतलब है कि उसके पास संसाधन हैं. पश्चिमी देशों के इंटेलिजेंस के साथ संपर्क है. रूस के भीतर ऑलीगार्क के साथ वैगनर सरगना का संपर्क है. यह सब एसेट काम आयेंगे.
- रिजीम चेंज को रोकना है, तो पुतिन को बहुत तेज़ी से कार्रवाई करनी होगी. यह आम मानसिकता होती है कि अपने कटाह कुत्ते को मारने में मोह लगता है.
- अगर वैगनर मास्को पहुँच जाएगा, तो बेलारूस, सर्बिया और सेंट्रल एशिया के कुछ देशों में बड़े आंदोलन शुरू होंगे एयर उनके नेताओं के लिए सत्ता में बने रहना मुश्किल हो जाएगा.
- रेजिंग ट्वेंटीज़ का यह नया अध्याय है. बीते चार साल से इतिहास बनने की प्रक्रिया चल रही है. बहुत थ्रिलिंग है सब कुछ.
रूस में वैगनर ग्रुप का ‘विद्रोह’ एक दिलचस्प परिघटना है. प्रिगोज़िन का यह पैंतरा यह बताता है कि वर्चस्व की लड़ाई में वे रक्षा मंत्री शोगू और जेनरल जेरासिमोव से पीछे हो चुके हैं. इनका झगड़ा पुराना है. वैगनर ने बाख़मुत जीता, तो रूसी मिलिटरी कमान ने यूक्रेनी काउंटर-ऑफ़ेंसिव को पीछे धकेल कर बड़ी सफलता हासिल की है.
प्रिगोज़िन की हड़बड़ी उनके पतन का कारण बनेगी, यह तय है. कुछ आकलनों में कहा जा रहा है कि यह रूस में गृहयुद्ध की शुरुआत है. लेकिन बहुत से जानकार मान रहे हैं कि बहुत जल्दी यह मसला निपट जाएगा. जिस तरह से वैगनर को रोकने की कोई सैन्य कोशिश नहीं हुई है, उससे लगता है कि या तो कोई बातचीत चल रही है या फिर रूसी सेना वैगनर को एक ख़ास दायरे में जुटने का मौक़ा देना चाहती हो, ताकि उन्हें घेरा जा सके.
ख़ैर, यह घटनाक्रम राष्ट्रपति पुतिन के लिए निश्चित ही चिंताजनक है. वैगनर के अधिकतर लड़ाके दुर्दांत अपराधी रहे हैं. उनके पास यूक्रेन में युद्ध का ताज़ा अनुभव भी है. अगर प्रिगोज़िन आर-पार की लड़ाई लड़ना चाहेंगे, तो उनके पास कुछ दिन के लिए संसाधन भी हैं. ऐसा होता है, तो यूक्रेन में चल रहे रूस के विशेष सैन्य अभियान को अच्छा-ख़ासा झटका लग सकता है.