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सुख-दुख

फ्रिज में रखा भोजन कुछ दिनों बाद कैसे ख़राब होने लगता है!

विजय सिंह ठकुराय-

हम सभी के शरीर एक भट्टी की तरह हैं, जिसे काम करने के लिए निरंतर 37 डिग्री तापमान मेंटेन करना पड़ता है, और हर भट्टी की तरह, हमारे शरीर को भी इस काम के लिए ईंधन रूपी भोजन चाहिए। भोजन नहीं, तो हम नहीं, पर कोई और भी है, जो आपके भोजन को आपसे पहले खा जाना चाहता है।

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सृष्टि में जल, थल या नभ, हर जगह बैक्टीरिया की भरमार है। आप जितना चाहें कोशिश कर लें, भोजन को बैक्टीरिया मुक्त नहीं बना सकते। वैसे तो मोस्टली ये सभी बैक्टीरिया हानिकारक होते हैं, और भोजन के साथ आपके पेट में जाते हैं, और सुबह दूसरे रास्ते बाहर निकल जाते हैं।

पर चूंकि हर 15 मिनट में द्विगुणित होते हुए बैक्टीरिया निरंतर अपनी आबादी बढ़ा रहा होता है, इसलिए बासी खाने में मौजूद बहुत ज्यादा बैक्टीरिया आपके पेट में पहुंच कर आपके इम्यून सिस्टम को हलकान कर देता है। शरीर में घुस आए इतने शरणार्थियों से भौचक्क आपका इम्यून सिस्टम फटाफट सफाई अभियान शुरू कर देता हैं। परिणामस्वरूप, आपका पेट खराब हो जाता है, दस्त शुरू हो जाते हैं, और टॉयलेट में अपार समय बिताने का आनंद आपको प्राप्त होता है।
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भोजन में बैक्टीरिया की आबादी बढ़ने से बचाने का सबसे बढ़िया तरीका रेफ्रिजरेशन है। वो भला क्यों? आइए, समझते हैं। जीवन केमिकल क्रिया-प्रतिक्रियाओं का संयोग है। अब कोशिकाओं में केमिकल रिएक्शन हो सकने के लिए भी एक आदर्श तापमान होता है। बहुत ज्यादा ताप हो तो कोशिकाओं को बांधे रखने वाले अणु भी टूट कर बिखर जाते हैं। तापमान बहुत कम हो जाए, तो अणु हिलना-डुलना बन्द कर देते हैं, और जैविक क्रियाएं रूक जाती है। आज तक पृथ्वी पर अधिकतम 121 डिग्री तापमान पर जीवन पनपते हुए पाया गया है, परंतु सिर्फ सूक्ष्मजीवी जीवन। हम जैसे मल्टी-सेल्युलर जीवों को पनपने के लिए चाहिए 15 से 35 डिग्री के बीच का तापमान। -2 डिग्री आते-आते मल्टी-सेल्युलर जैविक क्रियाएं बन्द होने लगती हैं। -20 डिग्री पहुंचे तो उसके पार सूक्ष्म जीवन भी संभव नहीं।
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तो -20 डिग्री से नीचे तापमान रखें, तो भोजन कितने समय तक सुरक्षित रहेगा?
उत्तर है, बहुत लंबे समय तक, शायद हजारों-लाखों वर्षों तक… पर रुकिए, एक चीज ऐसी है, जो अब भी आपका भोजन खराब कर सकती है।
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ब्रह्मांड का एक बड़ा अदभुत और विस्मयकारी चरित्र है और वो है – ब्रह्मांड को ऊर्जा के भिन्न-भिन्न स्तर पसंद नहीं। ब्रह्मांड को हर जगह संतुलन अर्थात एक समान ऊर्जा स्तर चाहिए। इसे एक सरल उदाहरण से कुछ यूं समझिए कि आप कमरे में कॉफ़ी का कप छोड़ दें तो धीरे-धीरे कॉफ़ी अपनी गर्मी खोती रहेगी, जब तक कि कॉफ़ी का तापमान रूम टेम्परेचर के बराबर न हो जाये। हर स्थान पर समान ऊर्जा की यह चाहना संपूर्ण ब्रह्मांड का चरित्र है और ब्रह्मांड के कोने-कोने में बिना किसी अपवाद के लागू होता है।
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अब आपके भोजन में मौजूद अणु है ऊर्जा के उच्च स्तर पर। आपस में जुड़े हैं, अर्थात ऊर्जा उन्हें बांधे है। उन्हें ऊर्जा के बंधन तोड़ कर Low Energy State में जाना है और इसके लिए वे अदृश्य होकर निचले ऊर्जा स्तर पर प्रकट हो जाने की बदमाशी (क्वांटम टनलिंग) भी कर सकते हैं। एक कण का अचानक गायब होकर दूसरी जगह प्रकट हो जाना लगता तो फंतासी है, पर यह उतना ही बड़ा ध्रुव सत्य है, जितना यह है कि मैं और आप जीवित हैं। अगर यह सत्य नहीं होता तो सूर्य का अस्तित्व कभी संभव ही नहीं होता। कारण – फ्यूजन के लिए आवश्यक है कि दो प्रोटान आपस में टकराएं, पर चूंकि दो प्रोटान एक-दूसरे से विकर्षित होते हैं, इसलिए उनकी स्पीड इतनी तेज होनी चाहिए कि दोनों Electrical Repulsion को इग्नोर करते हुए आपस में टकरा जाएं। स्पीड तेज तब होगी, जब तापमान पर्याप्त होगा। पर सूर्य का तापमान इतना है ही नहीं कि प्रोटान को आवश्यक गति मिल पाए।
पर, गति नहीं तो क्या हुआ? कुछ प्रोटान गायब होकर दूसरे प्रोटानों के नजदीक प्रकट हो जाते हैं और इस तरह क्वांटम टनलिंग की मेहरबानी से सूर्य का अस्तित्व बना रहता है।
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तो साहेबान, एक न एक समय ऐसा आएगा, जब क्वांटम टनलिंग के कारण आपके भोजन के अणु टूट कर Stable Form में आ रहे होंगे। पर्याप्त मात्रा में अणु टूटने के बाद आपका भोजन आपको बीमार तो नहीं करेगा, पर स्वाद में फेविकॉल जैसा प्रतीत जरूर होगा और खाने योग्य नहीं बचेगा।
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वैसे एक बात बताऊं? , टनलिंग के अलावा केमिकल कम्पोजीशन के कारण भी पदार्थ स्टेबिलिटी को प्राप्त करता है और अणुओं की सबसे स्टेबल फॉर्म होती है – क्रिस्टल
वैसे तो क्रिस्टल अवस्था में पाए जाने वाले और बहुत लंबे समय तक चलने वाले नाना भोज्य पदार्थ प्रकृति में मौजूद हैं, जैसे चीनी, शहद इत्यादि पर मेरा फेवरिट क्रिस्टलीय भोज्य पदार्थ है – नमक
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नमक एकलौती ऐसी चीज है, जो सामान्य परिस्थितियों में भी करोड़ों वर्ष तक सुरक्षित रहती है और यही एकलौता ऐसा भोज्य पदार्थ है जो हम किसी “जिंदा चीज” से प्राप्त नहीं करते। अर्थात, नमक के अतिरिक्त आपके किचन में मौजूद हर भोज्य पदार्थ का स्रोत कोई न कोई जिंदा जीव रहा है।
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Well, That’s a sweet thing to hear about salt.

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