Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

क्या राहुल गांधी को अब मीडिया को गाली नहीं देना चाहिए?

प्रदीप राय-

खुश तो बहुत होंगे न तुम आज। होना भी चाहिए। बड़ी जीत का सेहरा तुम्हारे माथे बंधा है। ख़ुशी तो हो रही होगी सब अखबारों में पहले पन्ने पर तारीफ से लबरेज़ तसवीरे और टिप्पणियां देखकर।
पर राहुल विजय के उल्लास में क्या तुम्हें याद है कि तुमने अपनी अब तक की तमाम हार का “हार” मीडिया के गले मे डालकर रखा। तुम्हारे कथनों से परिलक्षित होता था कि मीडिया ही वो दैत्य है जो तुम्हें सिंहासन तक जाने से रोक रहा है। ऐसा होता तो क्या कर्नाटक की यह विजय श्री तुम्हारा वरण करती? बिलकुल नहीं। और हिमाचल में भी तुम न जीतते, अगर सब मीडिया के वश में होता।

राहुल ख़ूब बधाई हो, जीत का जश्न मनाओ, पर अब एक बात ध्यान रखना मीडिया को गाली देने का अपना स्टाइल छोड़ दो। भारत जोड़ो यात्रा में तुमने मीडिया को जी भर कोसा। इस चुनाव जीत के बाद यह स्टाइल बदलो। अब तो तुम्हें नजर आ ही गया होगा देश की जनता का मन और मीडिया दो अलग चीजें हैं।

जिस मीडिया को तुमने ख़ूब कोसा वही मीडिया जनभावनाओं को तुम्हारे साथ देखते हुए तुम्हें आज ख़ूब चमका रही है। राहुल तुम्हें पता है कि पूरी तरह सरकार समर्थक एक हिन्दी अखबार ने आज तुम्हारी तारीफ की और भाजपा को खरी खोटी सुनाई। फिर अब मीडिया को तुमने क्या कहना, कहने को बचा क्या?

Advertisement. Scroll to continue reading.

अतएव मीडिया वाला बहाना तो अब बंद हुआ, अब आराम से सोचना यह जीत क्यों तुम्हें मिली। और इस जीत को संभालने के लिए तुम्हें क्या करना होगा? तुम्हारे अंदर का विपक्ष अब तुमसे लाख सवाल पूछेगा। शायद यह भीतर का विपक्ष तुम्हें अब मीडिया को गाली भी न देने दे।

भारत ऐसा देश है जिसमें अधिकांश लोगों को ढंग से अखबार पढ़ना नहीं आता। मीडिया को सही से समझना नहीं आता। पिछले 22 साल से पत्रकारिता का विद्यार्थी होने के नाते बड़े विश्वास के साथ यह बात कह रहा हूँ। मीडिया को जी भर गाली देने वालों से हिसाब किताब करना है, इसलिए यह बात कह रहा हूँ। कर्नाटक चुनाव का परिणाम मुझे वो ठीक मौका लगा, जब यह बात आपको अच्छे से समझा सकूँ।

Advertisement. Scroll to continue reading.

अधिकांश लोग मीडिया को बिकाऊ कहकर जमकर गाली दे रहे थे। बहुतेरे लोग कहते थे कि मीडिया में विपक्ष की बात गायब है, इसलिए और दूसरी पार्टी उभरकर आएगी कैसे?खुद मुख्य विपक्षी पार्टियां भी यही कहती थी कि मीडिया ने किनारे लगाए हुए हैं। मीडिया के कारण हमारी छवि लोगों में ठीक नहीं जा रही , कैसे हम लोगों के दिल में उतरेंगे?

पर अब कर्नाटक का चुनाव मीडिया के भेदभाव के बावजूद विपक्षी पार्टी कैसे जीत गयी। हिमाचल में कांग्रेस कैसे जीती? यानी जनमत सिर्फ मीडिया से तय नहीं होता। और देखिए जिन अखबारों को सरकार समर्थक कहा जाता था वो भी कांग्रेस की जीत को बड़े उजले भाव से प्रस्तुत कर रहे हैं । यानी जनता को अगर आपका समर्थन मिले तो कोई अखबार, चैनल आपकी प्रशंसा से नही चुकता।

Advertisement. Scroll to continue reading.

पूरी तरह सरकार की विचारधारा का समर्थक कहे जाने वाले हिंदी के एक अखबार ने साफ लिखा कि कांग्रेस की कर्नाटक में जीत के बाद भाजपा को साफ समझ लेना चाहिए कि हर जगह मोदी को आगे करके उसका काम नही चलने वाला। जनता के संदेश को समझे। कांग्रेस की जीत के मायनों को स्वीकार करना होगा।
अब देखिए कि सरकार की विचारधारा का सौ प्रतिशत सनार्थक होने का टैग लेने वाले अखबार ने भी कांग्रेस को इस जीत में कितना बेहतर प्रस्तुत किया और भाजपा को खरी खोटी सुनाई।

कोई अखबार किसका समर्थक था या नहीं अब वो बात मायने ही कहा रख रही है, जब सरकार समर्थक कहे अखबार ने विपक्ष का समर्थन कर दिया। और मीडिया के समर्थन के बिना आप जीत गए। क्या पाठकों और दर्शकों को यह अंतर समझ आया होगा।
दुर्भाग्य इस देश का यहाँ पाठक इतना परिपक्व नही कि उसको यह बात समझ आ जाये कि जन भावना के विपरीत एक सीमा के बाद मीडिया भी नहीं चल पाता।

Advertisement. Scroll to continue reading.

भारत मे मीडिया का विषय स्कूल में हर नागरिक को पढ़ाया जाना चाहिए जैसा कि संसार के बहुतेरे देशों में हो भी रहा है ताकि लोग भारत की तरह मीडिया को गाली देने वाले से आगे बढ़कर उसके परिपक्व विश्लेषक बने। सम्मानित पाठक मेरे कथन को समालोचना ले न कि कोरी आलोचना।

Advertisement. Scroll to continue reading.
2 Comments

2 Comments

  1. Vikas Srivastava

    May 14, 2023 at 11:35 pm

    तो क्या चाहते हो कि जीतने के बाद भी राहुल गांधी को इग्नोर कर देते गोदी

    • देवेंद्र प्रकाश मिश्रा

      May 15, 2023 at 8:17 pm

      मीडिया को गाली क्यों नही देना चाहिए यहीं बता दो पत्रकारिता के 22 वर्ष के छात्र?
      कांग्रेस की गांधी परिवार की छबि को बिगाड़ने और देश का नाश करने का ठीकरा तो मोती के साथ साथ मिडिया माफ करना बिकाऊ मिडिया गोदी मिडिया का ही रहेगा हमेशा से।
      कांग्रेस के अलावा जनता ने भी ऐसी मिडिया का विकल्प खोज लिया है इसलिए जीत हुईं है। कल एक चुनाव हारने दो फिर आप लोग वही कहोगे काग्रेस गांधी चोर भ्रष्ट इत्यादि।
      बाकी थोड़ा सा डर और खुद गोदी बिकाऊ मिडिया की अपनी विश्वसनीयता और विज्ञापन का लालच है झूठी तारीफ करना और कुछ नही।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement