शशि सिंह-
नशा तो नहीं कहूँगा लेकिन भारत की मिट्टी में एक सात्विक आनन्द है। जिसने चख लिया वो मगन हो जाता है। उसकी ज़िन्दगी बदल जाती है।
यह मिट्टी ऐसी है कि यहॉं डाकू रत्नाकर भी वाल्मीकि हो जाता है। यहॉं मूढ़ भी कालिदास हो जाता है। इस मिट्टी से जुड़ने के लिए यात्रा का बड़ा महत्व है। सच्चे हृदय से जो इस मिट्टी में लोट गया उसके लिए आसमान भी बाँहें खोल देता है।
डर है कि इस आदमी को भारत की मिट्टी की ख़ुशबू कहीं गॉंधी परिवार और कांग्रेस के तिलस्मी घेरे से बाहर निकाल कर ज़मीन पर न ला दे। कांग्रेस और देश का इससे कोई भला हो न हो पर इनके हाथ सही मायने में यह पहली उपलब्धि होगी। किसी का कुछ भला हो तो अच्छा ही है। हम तो किसी के लिए सद्भावना ही रख सकते हैं।
राहुल जी के लिए भी मेरी सद्भावना है। उम्मीद करता हूँ कि ऐसी तस्वीरें फ़ोटो शूट वाली मौसमी तस्वीरें न साबित हो बल्कि इस यात्रा में इन्हें सच्चे भारत के दर्शन हों।
फ़िरोज़ खान-
फिर कहता हूं कि मैं कांग्रेसी नहीं हूं, लेकिन बीजेपी और आरएसएस का समाज में फैलाया जहर इस मुल्क में नहीं चाहता। उस जहर के खिलाफ जिस ताकत और कनविक्शन के साथ राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर हैं, लगता है कांग्रेस फिर खड़ी होगी और पूरी ताकत से खड़ी होगी। देश की न सही, लेकिन पार्टी की सूरत-ए-हाल बदलने के लिए नेक, ईमानदार, दृष्टा और मजबूत इरादों वाला एक लीडर काफी है।
इस तस्वीर में राहुल की सूरत देखिए। चेहरा थोड़ा डार्क हो गया है। झुर्रियां उभर आई हैं। बालों में धूल है। दाढ़ी किसी जीनियस सी लग रही है। स्किन झुलस गई है। सुस्ताने के दौरान किसी गांव में लोगों ने पूछा कि आप सनस्क्रीम नहीं लगाते हैं, तो हंसते हुए वे जवाब देते हैं कि मां ने भेजी है, लेकिन मैं लगाता नहीं। कुछ यात्राओं ने गांधी को महात्मा बना दिया था। जब यह यात्रा अपने अंजाम को पहुंचेगी, झुलसे चेहरे और लंबी दाढ़ी वाले इस गांधी को देखकर लोग इसे नया नाम देंगे। इस सूरत में हिंदुस्तान देखेंगे और रोएंगे…
सत्येंद्र
October 18, 2022 at 10:55 pm
ये दर्शन करने को आखिर मजबूर किसने किया ? जवाब आखिर वही । भले नफरत से लो । वही मोदी