Connect with us

Hi, what are you looking for?

आयोजन

जनविरोधी छवि सुधारने के वास्ते छत्तीसगढ़ सरकार ने एक अरब रुपए खर्च कर रायपुर साहित्य महोत्सव का आयोजन किया

कोई महामूर्ख ही इस आयोजन को साहित्यिक आयोजन कहेगा

रमन सिंह गंदी नीयत से अपने बचाव में साहित्य का इस्तेमाल कर रहा

Vikram Singh Chauhan : छत्तीसगढ़ सरकार ने एक अरब रूपए खर्च कर रायपुर साहित्य महोत्सव का आयोजन किया है। इस अरब रूपए में रमन सिंह बिलासपुर नसबंदी कांड, बस्तर में रोज होती आदिवासी मौतों, किसानों की दुर्दशा और उनकी आत्महत्या और उस तरह के तमाम दर्दनाक सरकार प्रायोजित ‘हत्या’ को दबाने का प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार पर अचानक होते हमलों के बाद इससे निपटने जनसंपर्क विभाग को कहा था। जिसके बाद ये आईडिया सामने आया। इसके बाद सभी राष्ट्रीय और प्रादेशिक अख़बारों, मैगजीन, चैनलों को 33 करोड़ के विज्ञापन बांटे गए।

<p style="text-align: center;"><strong><span style="font-size: 18pt;">कोई महामूर्ख ही इस आयोजन को साहित्यिक आयोजन कहेगा</span></strong></p> <p style="text-align: center;"><strong><span style="font-size: 18pt;">रमन सिंह गंदी नीयत से अपने बचाव में साहित्य का इस्तेमाल कर रहा</span></strong></p> <p>Vikram Singh Chauhan : छत्तीसगढ़ सरकार ने एक अरब रूपए खर्च कर रायपुर साहित्य महोत्सव का आयोजन किया है। इस अरब रूपए में रमन सिंह बिलासपुर नसबंदी कांड, बस्तर में रोज होती आदिवासी मौतों, किसानों की दुर्दशा और उनकी आत्महत्या और उस तरह के तमाम दर्दनाक सरकार प्रायोजित 'हत्या' को दबाने का प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार पर अचानक होते हमलों के बाद इससे निपटने जनसंपर्क विभाग को कहा था। जिसके बाद ये आईडिया सामने आया। इसके बाद सभी राष्ट्रीय और प्रादेशिक अख़बारों, मैगजीन, चैनलों को 33 करोड़ के विज्ञापन बांटे गए।</p>

कोई महामूर्ख ही इस आयोजन को साहित्यिक आयोजन कहेगा

रमन सिंह गंदी नीयत से अपने बचाव में साहित्य का इस्तेमाल कर रहा

Advertisement. Scroll to continue reading.

Vikram Singh Chauhan : छत्तीसगढ़ सरकार ने एक अरब रूपए खर्च कर रायपुर साहित्य महोत्सव का आयोजन किया है। इस अरब रूपए में रमन सिंह बिलासपुर नसबंदी कांड, बस्तर में रोज होती आदिवासी मौतों, किसानों की दुर्दशा और उनकी आत्महत्या और उस तरह के तमाम दर्दनाक सरकार प्रायोजित ‘हत्या’ को दबाने का प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार पर अचानक होते हमलों के बाद इससे निपटने जनसंपर्क विभाग को कहा था। जिसके बाद ये आईडिया सामने आया। इसके बाद सभी राष्ट्रीय और प्रादेशिक अख़बारों, मैगजीन, चैनलों को 33 करोड़ के विज्ञापन बांटे गए।

इसके अलावा करोड़ों रुपए लिफाफों में भरकर रखे गए है जिसें उन साहित्यकारों को दिया जायेगा जो राज्य में इस गमगीन माहौल में साहित्य पाठ करेंगे और काजू , किशमिश खाते हुए राज्य के विकास के बारे में बात करेंगे। शर्म से डूब मरना चाहिए उस सरकार को जो इस तरह के आयोजन में राज्य की जनता के हक़ का पैसा विज्ञापनों में देकर करोड़ों रूपए पानी की तरह बहा रही है। वे किसानों के धान को खरीद नहीं पा रहे है। उनके पास नसबंदी कांड के बच्चों के लिए पैसा नहीं है। बस्तर उनके नियंत्रण से बाहर है आदिवासियों को जवान भी मार रहे है और नक्सली भी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

कोई महामूर्ख ही इस आयोजन को साहित्यिक आयोजन कहेगा। साहित्य को पैसे की दरकार नहीं होता । रमन सिंह गंदी नीयत से अपने बचाव में साहित्य का इस्तेमाल कर रहा है। दूसरी ओर राज्य में आदर्श आचार सहिंता भी लगा है। मैं इसकी कड़े शब्दों में भर्त्सना करता हूँ। मुझे पता है इस साहित्य महोत्सव में मेरे कई फेसबुक के गणमान्य मित्र भी शरीक हुए है। आप ये जरूर सोचियेगा कि आपके सामने टेबल में जो काजू रखा जायेगा वो यहाँ के गरीबों के खून से तो नहीं सने है और जो लिफाफा आपके जेब में रखा जायेगा वो किसानों के घर से चोरी कर तो आप नहीं ले जा रहे! सोचियेगा जरूर…

जन पत्रकार और सोशल एक्टिविस्ट विक्रम सिंह चौहान के फेसबुक वॉल से.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement