Animesh Mukharjee : बतख से ऑक्सीजन का बनना… बिप्लब देब के बयान के बाद उसका वैज्ञानिक आधार सामने आ गया है. मीडिया में बतख से ऑक्सीजन बनने की खबर चलने लगी है. ये बात बिलकुल सही है कि बतख किसी तालाब का ऑक्सीजन लेवल ‘बनाए रखने’ में मददगार होती है. लेकिन बनाए रखना और बढ़ाना …
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मुस्लिम मताधिकार बयान : राउत, ओवैसी पर परिवाद दर्ज
लखनऊ : आईपीएस अमिताभ ठाकुर और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुरन आज सीजेएम लखनऊ के समक्ष शिव सेना सांसद और सामना के संपादक संजय राउत और एमआईएम नेता अकबरुद्दीन ओवैसी के विरुद्ध धारा 200 सीआरपीसी के अंतर्गत परिवाद दायर कर दिया.
रायपुर से लेकर लखनऊ वाया बनारस तक कौन-कौन ‘फासीवाद’ का आपसदार बन गया है, अब आप आसानी से गिन सकते हैं
Abhishek Srivastava : मुझे इस बात की खुशी है कि रायपुर साहित्य महोत्सव के विरोध से शुरू हुई फेसबुकिया बहस, बनारस के ‘संस्कृति’ नामक आयोजन के विरोध से होते हुए आज Vineet Kumar के सौजन्य से Samvadi- A Festival of Expressions in Lucknow तक पहुंच गई, जो दैनिक जागरण का आयोजन था। आज ‘जनसत्ता’ में ‘खूब परदा है’ शीर्षक से विनीत ने Virendra Yadav के 21 दिसंबर को यहीं छपे लेख को काउंटर किया है जो सवाल के जवाब में दरअसल खुद एक सवाल है। विनीत दैनिक जागरण के बारे में ठीक कहते हैं, ”… यह दरअसल उसी फासीवादी सरकार का मुखपत्र है जिससे हमारा विरोध रहा है और जिसके कार्यक्रम में वीरेंद्र यादव जैसे पवित्र पूंजी से संचालित मंच की तलाश में निकले लोगों ने शिरकत की।”
रायपुर महोत्सव : रमन सिंह बोले- ये मेरे 11 साल पूरे होने का जलसा, अमित शाह बोले- बीजेपी सरकार ने खूब काम किया
Sharad Shrivastav : बीजेपी सरकार ने रायपुर मे हिन्दी साहित्य के एक उत्सव कराया है। रमण सिंह सरकार के 11 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य मे रायपुर साहित्य सम्मेलन रचाया गया है। इस सम्मेलन मे बहुत से मूर्धन्य साहित्यकार शामिल होने गए हैं, और बहुत से बड़े साहित्यकारों ने बुलावे के बावजूद शामिल होने से इंकार किया है। ये भी पता चला है की साहित्यकारों को उनकी हैसियत के मुताबिक आने जाने का किराया और शामिल होने की फीस भी दी गयी है। इस सम्मेलन के उदघाटन मे रमण सिंह और अमित शाह दोनों थे। हिन्दी के विद्वान लोग इसलिए गए थे की वो रमण सिंह सरकार का प्रतिकार करेंगे, मंच से उनके खिलाफ साहित्य के माध्यम से आवाज उठाएंगे। लेकिन रमण सिंह और अमित शाह ने मामला पलट दिया। उदघाटन भाषण मे इस समारोह को रमण सिंह ने अपने 11 साल पूरे होने का जलसा बना दिया और अमित शाह ने बीजेपी सरकार की उपलब्धि बताने का जरिया।
गिन लो कितने रँगे सियार, पहुंचे रायपुर दरबार, भइया जी, स्माइल प्लीज़! (सन्दर्भ : रायपुर साहित्य महोत्सव)
Katyayani Lko : मनबहकी लाल बहुत दिनों बाद मिले। मैने कहा, ”कुछ सुनाइये।” वे चुप रहे। फिर जब मैंने भाजपा सरकार के रायपुर साहित्य महोत्सव में बहुतेरे सेक्युुलरों-प्रगतिशीलों की भागीदारी के बारे में उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही, तो उन्होंंने छूटते ही यह आशु कविता सुना डाली:
जनविरोधी छवि सुधारने के वास्ते छत्तीसगढ़ सरकार ने एक अरब रुपए खर्च कर रायपुर साहित्य महोत्सव का आयोजन किया
कोई महामूर्ख ही इस आयोजन को साहित्यिक आयोजन कहेगा
रमन सिंह गंदी नीयत से अपने बचाव में साहित्य का इस्तेमाल कर रहा
Vikram Singh Chauhan : छत्तीसगढ़ सरकार ने एक अरब रूपए खर्च कर रायपुर साहित्य महोत्सव का आयोजन किया है। इस अरब रूपए में रमन सिंह बिलासपुर नसबंदी कांड, बस्तर में रोज होती आदिवासी मौतों, किसानों की दुर्दशा और उनकी आत्महत्या और उस तरह के तमाम दर्दनाक सरकार प्रायोजित ‘हत्या’ को दबाने का प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार पर अचानक होते हमलों के बाद इससे निपटने जनसंपर्क विभाग को कहा था। जिसके बाद ये आईडिया सामने आया। इसके बाद सभी राष्ट्रीय और प्रादेशिक अख़बारों, मैगजीन, चैनलों को 33 करोड़ के विज्ञापन बांटे गए।
रायपुर के सैलानियों, विष्णु खरे का पत्र पढ़ो और डूब मरो!
विष्णु खरे
((करीब चार दर्जन लाशों पर खड़े होकर छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार साहित्य का महोत्सव मना रही है और हमेशा की तरह हिंदी साहित्य और पत्रकारिता के कुछ चेहरे न सिर्फ लोकतांत्रिकता का दम भरते हुए वहां मौजूद हैं, बल्कि अशोक वाजपेयी की मानें तो वे वहां इसलिए मौजूद हैं क्योंकि ”साहित्य राजनीति का स्थायी प्रतिपक्ष है” (नई दुनिया)। खुद को ”प्रतिपक्ष” और ”प्रगतिशील” ठहराते हुए एक हत्यारी सरकार के मेले में शिरकत करने की हिंदी लेखकों की आखिर क्या मजबूरी हो सकती है, जबकि उनकी नाक के ठीक नीचे खुद को लेखक कहने वाला राज्य का भूतपूर्व प्रमुख दरोगा यह बयान तक दे देता है सबसे बड़ा समझदार अकेला वही है? ठीक वही कारण जिन्हें नज़रंदाज़ कर के बाकी लेखक रायपुर में मौजूद हैं, उन्हें गिनवाते हुए वरिष्ठ कवि विष्णु खरे इस आयोजन में बुलावे के बावजूद नहीं गए हैं। पत्रकार आवेश तिवारी ने विष्णु खरे की सरकार को लिखी चिट्ठी अपने फेसबुक की दीवार पर सरकारी सूत्रों के हवाले से साझा की है। नपुंसकता और पस्तहिम्मती के इस दौर में यह चिट्ठी हम सब के लिए एक आईने की तरह हैं। नीचे हम आवेश तिवारी के लिखे इंट्रो के साथ पूरी चिट्ठी छाप रहे हैं – अभिषेक श्रीवास्तव, मॉडरेटर, जनपथ))
आपने वामपंथी नारीवादी होते हुए ऐसे समारोह में शिरकत की, जो फासिस्टों का तो था ही, जिस पर मासूमों के खून के दाग लगे थे?
Rahul Pandey : प्रश्न- आप रायपुर साहित्य महोत्सव में गई थीं?
उत्तर- तुमसे मतलब?
प्रश्न- प्लीज सवाल का जवाब दें, क्या आप वहां गई थीं?
उत्तर- जान ना पहचान, बड़ी बी सलाम? जवाब दे मेरी जूती।
रायपुर महोत्सव में शामिल वामंपथियों, महिलावादियों, प्रगतिशीलों को श्रीफल मिलेगा!
Vyalok Pathak : अवांतर प्रसंगः शर्म इनको क्यों कर नहीं आती? रायपुर में एक महोत्सव हो रहा है- साहित्य का। वहां की घोर सांप्रदायिक, जातिवादी, स्त्रीविरोधी, सलवा-जुडूम को शुरू करनेवाली, आम जन शोषक, आदिवासी-विरोधी आदि-इत्यादि भारतीय जनता पार्टी की सरकार के नेतृत्व में। अब इसमें भाग लेनेवाले नामचीनों पर गौर कीजिए। पहला नाम, माननीय पुरुषोत्तम अग्रवाल का है, जो अमूमन एंटरटेनमेंट चैनल पर अपना ढाका जैसा (भोजपुरी भाषी इसे समझ जाएंगे) मुंह खोलकर दक्षिणपंथ के खिलाफ विष-वमन करते रहते हैं। अब वहां जाकर श्रीफल लेंगे।