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सुख-दुख

पत्रकार राणा अयूब से संबंधित ये खबर छपी ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में!

संजय कुमार सिंह-

प्रधानमंत्री पीएम केयर्स चलाएं और आम जनता में से कोई चंदा या सहयोग लेकर वही काम करे तो नियम दोनों पर एक ही लागू होंगे। राणा अयूब ने अगर पैसे अपने ऊपर खर्च किए (निष्पक्ष जांच के बाद पक्का होगा) तो पीएम केयर्स में बचा पैसा किसके काम आया और क्या पड़ा रह जाना उद्देश्य से अलग नहीं है?

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अब जब कोविड का वह प्रकोप नहीं है तो जाहिर है एकत्र पैसे का दूसरा उपयोग होगा। अगर वह दुरुपयोग नहीं है तो राणा अयूब का भी नहीं है और है तो दोनों है। जब प्रधानमंत्री या पीएम केयर्स के ट्रस्टियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है तो अयूब के खिलाफ भी नहीं होनी चाहिए – अगर होगा तो कौन आपदा में सेवा करेगा सब आपदा में अवसर ही तलाशेंगे और तब स्थिति भयावह होगी। प्रधानमंत्री को कुछ ढंग के नजीर तय करने चाहिए, हो उल्टा रहा है।

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