-उर्मिलेश-
मन बहुत व्यथित है. बीते दो दिनों में दो पूर्व सहकर्मियों-Ravi Dayal और Krishna Mohan की असमय मृत्यु की दुखद सूचना मिली. दोनों पटना से. दोनों पत्रकार-साथी इस भयावह महामारी की चपेट मे आ गये.
संस्थागत स्तर पर पत्रकारिता की शुरुआत मैंने टाइम्स ग्रुप के हिंदी अखबार ‘नवभारत टाइम्स’ के पटना संस्करण से की थी. टेस्ट-इंटरव्यू यहीं दिल्ली में हुए, भेजा गया पटना. अप्रैल,1986 में हम राजी-खुशी पटना गये. वहां The Times of India और Navbharat Times के संपादकीय दफ़्तर एक ही फ्लोर पर अगल-बगल थे. दोनों के स्थानीय संपादक अलग-अलग कक्षों मे बैठते थे पर दोनों अखबारों के पत्रकार एक ही छत के नीचे बड़े से हाल में बायें-दायें बैठते थे.
सिर्फ जगह की ही नहीं, मिज़ाज की भी नजदीकी थी. ज्यादातर लोग 30 साल से कम उम्र के थे. आपसी भाईचारा था. अपनी सीट पर बैठे-बैठे हम TOI के किसी साथी पत्रकार को बड़े आराम से आवाज दे सकते थे या हंसी-मज़ाक कर सकते थे.
Krishn Mohan Sharma संस्थान में TOI के फ़ोटो जर्नलिस्ट नियुक्त हुए थे. कम ही समय मे वह बिहार के स्टार फोटो जर्नलिस्ट बनकर उभरे. न जाने कितने मौकों पर हम दोनों एक ही मोटरसाइकिल या टैक्सी से रिपोर्टिंग पर गये होंगे! हमारे ‘नभाटा’ के फ़ोटो पत्रकार अमरेन्द्र दुबे या प्रभाकर के अलावा कृष्णमोहन भी हर समय सहयोग के लिए तत्पर रहते. कृष्णमोहन ने तो कुछेक बार मुझे ऐसी सूचनाएं दी,जो किसी महत्वपूर्ण खबर का आधार बनीं.
जाने-माने फ़ोटो पत्रकार कृष्ण मुरारी किशन के छोटे भाई होने के बावजूद कृष्णमोहन ने बहुत संघर्ष करके जीवन और प्रोफेशन में अपनी जगह बनाई थी. काम में सर्वोत्तम देने की भरपूर कोशिश करते थे. वह एक जागरूक, ख़बरबाज और समझदार फ़ोटो पत्रकार थे.
Ravi Dayal बहुत सह्रदय, सहज और सहयोगी मिज़ाज के इंसान थे. मैंने उन्हें कभी गुस्से में नहीं देखा. जहां तक याद आ रहा है, रवि विधि स्नातक थे. कानून और न्याय से जुड़े मामलों मे बहुत अच्छी समझ थी. वह TOI के कानून और न्याय मामलों के पत्रकार थे. वह जब भी मिलते मुस्कुराते हुए.
अपने पत्रकारिता जीवन के पहले दफ़्तर के इन दोनों पुराने सहकर्मियों–दिवंगत रवि दयाल और दिवंगत कृष्ण मोहन को हमारी आदरांजलि और उनके परिवार के प्रति शोक-संवेदना.
वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश की एफबी वॉल से.