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महाराष्‍ट्र के श्रम अधिकारियों को क्‍या वाकई मजीठिया संबंधी कोई आदेश-निर्देश नहीं

मैं एक आरटीआई कार्यकर्ता हूं और स्‍वतंत्र पत्रकारिता भी करता हूं। पिछले दिनों एक आरटीआई के माध्‍यम से जब मैंने मुंबई के लेबर कमिश्‍नर कार्यालय से ये जानना चाहा कि क्‍या मुंबई के एक दिग्‍गज प्रकाशन संस्‍थान मैग्‍ना पब्लिशिंग कंपनी में मजीठिया आयोग की‍ सिफारिशें लागू कर दी गयी हैं, जिसकी स्‍टारडस्‍ट अंग्रेजी, स्‍टारडस्‍ट हिंदी, सैवी हेल्‍थ एंड न्‍यूट्रिशनए सोसायटी, सोसायटी इंटीरियर, सिटाडेल जैसी आधा दर्जन से अधिक पत्रिकाएं प्रकाशित होती हैं, तो लेबर ऑफिसर महेश पाटिल ने मुझे आरटीआई का लिखित जवाब देने की बजाय आरटीआई पर दिये मेरे फोन नं पर मुझसे संपर्क कर मिलने के लिए अपने कार्यालय में बुलाया। वहां मौजूद उनके साथी अधिकारियों उप श्रम आयुक्‍त जाधवए सहायक श्रम आयुक्‍त भुजबल आदि ने हैरत भरे अंदाज में कहा कि ये मजीठिया वेज बोर्ड क्‍या है। 

मैं एक आरटीआई कार्यकर्ता हूं और स्‍वतंत्र पत्रकारिता भी करता हूं। पिछले दिनों एक आरटीआई के माध्‍यम से जब मैंने मुंबई के लेबर कमिश्‍नर कार्यालय से ये जानना चाहा कि क्‍या मुंबई के एक दिग्‍गज प्रकाशन संस्‍थान मैग्‍ना पब्लिशिंग कंपनी में मजीठिया आयोग की‍ सिफारिशें लागू कर दी गयी हैं, जिसकी स्‍टारडस्‍ट अंग्रेजी, स्‍टारडस्‍ट हिंदी, सैवी हेल्‍थ एंड न्‍यूट्रिशनए सोसायटी, सोसायटी इंटीरियर, सिटाडेल जैसी आधा दर्जन से अधिक पत्रिकाएं प्रकाशित होती हैं, तो लेबर ऑफिसर महेश पाटिल ने मुझे आरटीआई का लिखित जवाब देने की बजाय आरटीआई पर दिये मेरे फोन नं पर मुझसे संपर्क कर मिलने के लिए अपने कार्यालय में बुलाया। वहां मौजूद उनके साथी अधिकारियों उप श्रम आयुक्‍त जाधवए सहायक श्रम आयुक्‍त भुजबल आदि ने हैरत भरे अंदाज में कहा कि ये मजीठिया वेज बोर्ड क्‍या है। 

उन्होंने कहा कि इस संबंध में मुख्‍यमंत्री की ओर से उन्हें कोई आदेश या निर्देश नहीं मिला है, न ही यहां इस संबंध में जांच के लिए कोई विशेष अधिकारी ही नियुक्‍त किया गया है। हम इस बारे में आपको कोई जानकारी नहीं दे सकते। ऐसी आरटीआई तो आकर पड़ी रहती हैं। मैंने जब उनसे ये कहा कि सुप्रीम कोर्ट की अमुक साइट पर जाकर आप उस फैसले को पढ़ सकते हैं तो उन्‍होंने कहा कि हम देखेंगे। 

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सबसे बड़ा सवाल यह है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जांच की निश्चित समय सीमा समाप्‍त होने वाली है और अभी तक मुंबई जैसे महानगर के लेबर अधिकारियों को कुछ पता ही नहीं है, ये भला कैसे संभव हो सकता है। इस बारे में कोई जानकारी जुटाने के लिए श्रम विभाग को मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के कार्यालय से क्‍या वाकई कोई निर्देश नहीं मिला है। अगर ऐसा है तो ये आश्‍चर्य की बात है और साथ ही साथ माननीय सर्वोच्‍च अदालत के आदेश का उल्‍लंघन भी।

आरटीआई कार्यकर्ता सुव्रत श्रीवास्‍तव 

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0 Comments

  1. KASHINATH MATALE

    July 23, 2015 at 1:41 pm

    LABOUR DEPARTMENT KE SAMBDHIT OFFICER’S KO MAJITHIA WAGE BOARD, MANISANA WAGE BOARD KI JANKARI HONI HI CHAHIYE. AAKHIR YE WAGES KA MAMLA HAI. SABHI JANKARI RAKHNA UNKI DUTY HAI. NEWS PAPER INDUSTRY ME WAGES KAISE DIYA JAY YEH MAJITHIA WAGE BOARD TAY KARTA HAI.

    NAGPUR ME ADDITIONAL LABOUR COMMISSIONER OFFICE ME (ISKE PAHALE MANISANA WAGE BOARD KE KAI MAMLE/CASES THE) MAJITHIA WAGE BOARD KE KAI CASES PENDING HAI. JANKARI OFFICERS KO HAI. PARNTU KARVAI BAHOT HI DHIMI GATI SE HAI. SPEED AUR MORAL RESPONSIBILITY KI JARURAT HAI.

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