अश्विनी कुमार श्रीवास्तव-
रूस अपने यहां से तेल खरीदने वाले देशों को चीन की मुद्रा में लेन देन करने की सुविधा दे रहा है लेकिन भारत की मुद्रा रुपए में लेन देन से उसने साफ मना कर दिया है। चीन से रूस के इस लगाव का फायदा भारत का एक और प्रबल शत्रु पाकिस्तान भी उठा रहा है, जिसे तेल खरीद के लिए चीन ने अपनी मुद्रा दी है तो रूस ने तेल पर पाकिस्तान को भारी डिस्काउंट भी दिया है।
कुल मिलाकर यह कि रूस और चीन अब गहरे सैन्य व असैन्य गठबंधन की मित्रता में बंध चुके हैं, जिसका फायदा पाकिस्तान को भी मिल रहा है। भारत अपने इन्हीं दोनों शत्रु पड़ोसियों से रूस का गठबंधन होते देखकर और अपनी मुद्रा का रूस द्वारा अंतरराष्ट्रीय तिरस्कार होते देखकर भी रूस, चीन और पाकिस्तान की इस तिकड़ी के सामने मौन है।
रूस और चीन को टक्कर देने वाले अमेरिका की वित्तीय हालत इतनी खस्ता है कि अब वह खुद को बचाने के लिए ही जूझ रहा है इसलिए अंतरराष्ट्रीय जगत में भारत के पास इस तिकड़ी का सामना करने के लिए कोई खास गुटबंदी नहीं है। वैसे भी, बाइडेन ने राष्ट्रपति बनते ही साफ कर दिया था कि अमेरिका अब अंतर्राष्ट्रीय दादागिरी छोड़कर अपने ही मसलों पर ज्यादा ध्यान देगा।
इधर यूक्रेन से रूस अपना हिसाब किताब करने में लगा है तो चीन भी अपने प्रतिद्वंदी देशों की सीमाओं में घुसने के लिए बेकरार है। पाकिस्तान में फिलहाल अस्थिरता जरूर है लेकिन वहां सेना के हाथ शासन जाने और चीन का वर्चस्व बने रहने का कॉम्बिनेशन भारत के लिए खतरे की घंटी है।
आने वाले वक्त में चीन और पाकिस्तान से खतरा तो है ही, रूस का दोनों से हो चुका अटूट गठजोड़ भी बहुत बड़ा खतरा है। भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस तिकड़ी का कोई तोड़ निकालने में अभी से जुट जाना चाहिए।
दयाल चंद यादव
May 10, 2023 at 4:27 pm
भारत की सार्वभौमिक स्थिति के चलते रूस भारत को नहीं छोड़ सकता है। दोनों को एक दूसरे की जरुरत है। कूटनीति में जो दिखता वो होता नहीं और जो होता वो दिखता नहीं। अगर ऐसा होता तो अब तक भारत चीन युद्ध हो गया होता। रूस भारत को अमेरिकी खेमे में जाने नहीं देगा।
विपिन नागवंशी
May 11, 2023 at 12:02 pm
दरअसल रूस के पास भारतीय रुपए का ढेर लग गया है, और inr को खपाना उसके लिए संभव नहीं हो पा रहा, इसलिए रूस ने रुपए में कारोबार से मना कर रहा है। न कि चीन–पाकिस्तान के नजदीक जा रहा। वहीं चीन के युवान से इसलिए रूस कारोबार कर रहा है, क्यूंकि पाकिस्तान भी रूस से युवान में कारोबार कर रहा है। और चीन पाकिस्तान को अपनी मुद्रा भी कारोबार के लिए दे रहा है।