अक्टूबर 2018 से अब तक अपने दर्जन भर कर्मचारियों का वेतन ये बोल कर नहीं दे रहे है संतोष भारतीय कि पैसा नहीं है, लेकिन 2 जून को इफ्तार पार्टी पर लाखों रुपये खर्च करने जा रहे है. दिसंबर 2018 में सबको इस्तीफा देने को कहा गया था या फिर मार्च 2019 तक बिना पैसे के काम करने को कहा गया था. जाहिर है, जब अक्टूबर से ही पैसा नहीं मिल रहा था, तब फिर अगले 4 महीने तक बिना पैसा काम करना मुश्किल था. सो, लगभग 10 से अधिक पत्रकारों/कर्मचारियों (तकरीबन सारे के सारे) ने इस्तीफा दे दिया. सबसे कहा गया कि फरवरी 2019 तक बुला कर सबको बकाया वेतन दे दिया जाएगा. मई बीत रहा है. लेकिन पैसा मांगने पर हर बार एक ही जवाब होता है कि पैसा नहीं है. अब खबर आई है कि श्री संतोष भारतीय 2 जून को इफ्तार पार्टी दे रहे है, जिस पर लाखों रुपये खर्च होंगे. इसी को लेकर चौथी दुनिया में काम कर चुके पत्रकार शशि शेखर ने एक पोस्ट एफबी पर अपलोड किया है, जो यूं है :
Shashi Shekhar : या ख़ुदा… Santosh Bhartiya को सद्बुद्धि दे… ताकि कर्मचारियों के पसीने की कमाई हड़प कर इफ्तार पार्टी करने वाले को पता चले कि उसका गुनाह क्या है…
इतना ही पैसा था तो लाखों रुपये के इफ्तार पार्टी करने से पहले आपको उन कर्मचारियों/पत्रकारों का पैसा देना चाहिए था, जिनसे दिसंबर 2018 में इस्तीफा ले कर अब तक यानी मई 2019 बकाया वेतन देने में आनाकानी कर रहे है. और आज जब ये सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैं अपने हक़ का पैसा लेने के लिए तो आपके दफ्तर से उन्हें धमकी दी जाती है कि अवमानना का केस कर देंगे. आप लाउड टीवी यूट्यूब चैनल लांच करते है, इफ़्तार पार्टी करते है, लेकिन कर्मचारियों को पैसा नहीं देते है, क्यों?
क्या ऐसे इफ्तार पार्टी में आदरणीय नेतागण/बुद्धिजीवी/पत्रकार जा कर खुदा को खुश करेंगे या नाराज? क्या ऐसे इफ्तार पार्टी में जा कर आप भी कर्मचारियों का पैसा हडपने वाले के गुनाह का भागीदार बनेंगे? शायद नहीं…
इसी मुद्दे पर वरिष्ठ महिला पत्रकार श्वेता रश्मि लिखती हैं-
संतोष भारतीय जी कुछ दिनों से कई पोस्ट आंखों से होकर गुजरी है कि आपके यंहा 8 महीनों से कर्मचारियों का पैसा बकाया है, और पैसा मांगने पर केस की धमकी दी जा रही है, लगभग 8 महीनों से ऐसा चल रहा है। क्या ये हकीकत है? अब ये रोजा इफ़्तार का आयोजन क्या मंशा है चौथी दुनिया की ?? जिन लोगों की तनख्वाह नहीं मिल रही उनके बीवी बच्चें, बूढ़े माँ बाप की जिम्मेदारी उनपर होगी खुद की सेहत, मकान का किराया इत्यादि होगा कभी सोचा है कैसे गुजारा कर रहे होंगे वो लोग। अगर ये सच है तो मैं आपसे अनुरोध करती हूँ की इस गंभीर मसले को सुलझाये।