राजस्थान पत्रिका समूह के अखबार पत्रिकार के इंदौर संस्करण के अंतर्गत आने वाले मालवा जोन के मीडियाकर्मी बगैर किसी ब्रेक के लगातार कार्य किए जा रहे हैं। इस जोन में रतलाम, मंदसौर, नीमच, उज्जैन, देवास, शाजापुर और आगर जिला आता है। यहां संपादकीय प्रभारी की मनमानी के कारण किसी कर्मचारी को 20 मार्च से अब तक साप्ताहिक अवकाश तक नहीं मिल सका है। इतने लंबे समय से लगातार कार्य करने के कारण अब मीडियाकर्मियों की हालत खराब होने लगी है, लेकिन संस्थान के प्रति अपनी वफादारी के कारण चुपचाप घिसाए जा रहे हैं।
संपादकीय प्रभारी से अगर कोई रिपोर्टर साप्ताहिक अवकाश की मांग करता है तो उसे जयपुर से आदेश ना होने का रटा रटाया जवाब दिया जा रहा है। अन्य जोन के सभी रिपोर्टर, उपसंपादक साप्ताहिक के साथ ही अर्जित और उपार्जित अवकाश भी ले रहे हैं, लेकिन मालवा जोन के मीडियाकर्मी इससे अछूते हैं। हालांकि इन जोन के अंतर्गत आने वाले सभी ब्यूरो में संपादकीय प्रभारी के ‘खासमखास’ लोग ब्यूरो चीफ की कुर्सी पर बैठे हैं।
ऐसे में वे कुर्सी की खातिर चुप रहने में ही भलाई समझ रहे हैं, लेकिन इनकी चमचागिरी के चक्कर में बेचारा छोटा कर्मचारी बुरी तरह पिस रहा है। इंचार्ज टाइप के लोगों को इधर के मैसेज उधर और उधर के मैसेज इधर करने के सिवा दूसरा कोई काम होता नहीं है। ये लोग काम नहीं करते, काम की फिक्र होने का जिक्र अपने आला अधिकारियों से जरूर करते हैं।
लेकिन अखबार का पेट भरने के लिए जीतोड़ मेहनत करने वालों को थोड़े आराम की जरूरत होती है। यह बात संपादकीय प्रभारी को समझ नहीं आ रही। कई बार तो कर्मचारी के खुद या परिवार में किसी के बीमार होने के बाद भी उनसे काम लिया गया। कर्मचारियों का कहना है कि अखबार के लिए कार्य करने वाले स्टाफ की कमी तो पत्रिका में हमेशा बनी ही रहेगी, तो क्या जब तक नौकरी करेंगे साप्ताहिक अवकाश भी नहीं मिलेगा क्या। ऊपर से पूरा वेतन भी नहीं दिया जा रहा। ऐसे में दोहरी मार पड़ रही है।
एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
Ashish Pathak
September 6, 2020 at 11:05 am
यह फर्जी पोस्ट है श्रीमान। मैं पत्रिका रतलाम में रिपोर्टर हूं। और अवकाश में कोई समस्या है ही नहीं।