गोरखपुर : सी एम सिटी में पत्रकारिता करना अब इतना मुश्किल हो चला है कि यदि आप पुलिस की चाटुकारिता करते है तो आप पत्रकार कहलायेंगे और यदि सही खबरों के माध्यम से भ्रष्टाचार को सामने लाएंगे तो हिस्ट्रीशीटर बना दिये जायेंगे। गोरखपुर के एक खोजी पत्रकार को अपनी निजी खुन्नस में गोरखपुर पुलिस ने हिस्ट्रीशीटर बना दिया है।
ये हाल तब है जब हाइकोर्ट के आदेश के बाद सूबे के डी जी पी ने अपनी पुलिस को हाल ही में यह आदेश जारी किया था कि हिस्ट्रीशीट ऐसे व्यक्तियों की खोली जाए जिसके बारे में यह विश्वास करने का आधार हो कि वह आदतन अपराधी है । आदेश में यह भी लिखा है कि रंजिशन या रिश्तेदारों के आपसी झगड़ो में लिखे गए मुकद्दमों में हिस्ट्रीशीट न खोली जाए । लेकिन शाहपुर पुलिस ने एक अहंकारी पुलिस अधिकारी की निजी खुन्नस को तृप्त करने की खातिर खोजी पत्रकार की हिस्ट्रीशीट खोलकर बड़ा कारनामा कर दिखाया है।
आज यह स्थितियां इसलिए आयी क्योंकि आज यह खोजी पत्रकार पिछले लगभग ढाई महीनों से गोरखपुर पुलिस के एक अधिकारी के खिलाफ तथ्यों के साथ मोर्चा खोले बैठा है और शाहपुर पुलिस की मनमानी के खिलाफ कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट की कार्यवाही शुरू करा रखी है । पुलिस आज यह बता पाने में अक्षम है कि पिछले अट्ठारह सालों में अब तक क्या कर रही थी और आज पत्रकार की हिस्ट्रीशीट खोलनी जरूर ऐसे समय मे क्यों हो चली जब वह शाहपुर पुलिस के कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट की कार्यवाही करा रहा है । इसका भी जवाब नही है कि पत्रकार पर दर्ज उन मुकदमो की ताजा स्थिति क्या है जिसे हिस्ट्रीशीट के लिए आधार बनाया जा रहा है ।
हिस्ट्रीशीट खोलने में पत्रकार के खिलाफ मुकदमा संख्या 200/2010 धारा 306 गोरखनाथ…मुकदमा संख्या 583/18 धारा 506 तथा मुकदमा संख्या 1791/2010 धारा 504, 506 तीन मुकदमे पुलिस ने ऐसे दिखाए हैं जो सत्येन्द्र कुमार की सास द्वारा लिखवाए गए है । मुकदमा संख्या 287/2017 धारा 306 थाना शाहपुर जो दिखाया गया है उस मुकदमे मे आई पी एस से लेकर पी पी एस अधिकारी लोग अब तक पिछले 6 सालों में कई बार फाइनल रिपोर्ट लगा चुके हैं तथा मुकदमा करने वाले व्यक्ति ने स्वयं यह शपथ पत्र देकर खुलासा कर दिया था कि उससे यह मुकदमा चढ़ा बढ़ा कर रंजिश में लिखवाया गया था ।
मुकदमा संख्या 317/2017 धारा 419, 420 147 थाना शाहपुर में मुकदमा करने वाले व्यक्ति ने खुद शपथ पत्र देकर कोर्ट को यह बता दिया था कि मुकदमा पत्रकार के खिलाफ दुश्मनी में रंजिशन लिखवाया गया था इसलिए वह मुकदमा भी कोर्ट ने खारिज कर दिया ।
मुकदमा संख्या 17/2023 धारा ..मेडिकल कौंसिल एक्ट के तहत थाना गुलरिहा में लिखा गया जिसमें आरोपी अस्पताल संचालक और अस्पताल का डॉक्टर था । पुलिस ने पत्रकार को इस मुकदमे में गवाह बनाने की नोटिस भी जारी कर चुकी थी लेकिन अपने साहब को खुश करने की खातिर करामाती तौर पर आखिरी क्षणों में गुलरिहा पुलिस ने पत्रकार का नाम मुकदमे में बढ़ा दिया ।
ये तो रही गोरखपुर पुलिस करामाती करतब और हिस्ट्रीशीट में शामिल मुकदमो के असलियत की कहानी, लेकिन अब यह भी जान लीजिए कि पत्रकार सत्येन्द्र कुमार हैं कौन ?
पत्रकार सत्येन्द्र कुमार आज लगभग 18 सालों से गोरखपुर में रह रहे हैं। इनके पास एक मकान के सिवा कोई प्रॉपर्टी नही है। सत्येन्द्र कुमार के पिता एक रिटायर फौजी हैं जिन्होंने देश की रक्षा के लिए दो बार जंग लड़ी । पत्रकार सत्येन्द्र कुमार की शिक्षा दीक्षा अपने पिता के साथ ड्यूटी में रहने के दौरान नागपुर प्रयागराज कानपुर आदि जगहों पर अंग्रेजी माध्यम से सम्पन्न हुई।
सत्येन्द्र कुमार एन डी ए का प्री एग्जाम भी क्लियर कर चुके थे लेकिन कुछ पारिवारिक समस्याओं की वजह से उन्हें राह बदलनी पड़ी । सत्येन्द्र कुमार ने बड़ी बडी मल्टीनेशनल फार्मा कंपनियों जैसे हाइग्लांस, इप्का, कैडिला सिप्ला आदि में रीजनल हेड और जोनल हेड तक कि जिम्मेदारी निभाई है । आज भी सत्येन्द्र वकालत की पढ़ाई कर रहे हैं । इन्हें पहली पोस्टिंग गोरखपुर में 2004 में सिप्ला फार्मा में मिली थी जब यह गोरखपुर आये ।
सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन 2010 में प्रेम विवाह करना उनके लिए घातक साबित हुआ और उनपर पहला मुकदमा लिखा गया और उन्हें पहली बार जेल काटनी पड़ी । बाहर आने के बाद जेल जाने के पीछे की पड़ताल सत्येन्द्र कुमार ने जब करनी शुरू की तो वे पत्रकार बन गए और ऐसे सबूत निकलकर सामने आ गए जिसने यह साबित किया कि पुलिस ने चंद रुपयों के लिए एक इंसान को जेल भेजकर उसका जीवन तबाह कर दिया था ।
इस घटना से आहत पत्रकार सत्येन्द्र कुमार ने पत्रकारिता की राह चुनी और अब तक उन्होंने किसी भी तरह के भ्रष्टाचार को किसी भी कीमत पर आज तक नही बक्शा । बस इनका यही जुनून आज गोरखपुर के एक पुलिस अधिकारी को रास नही आ रहा था इसलिए आज गोरखपुर पुलिस की हिस्ट्रीशीट ने यह साबित कर दिया कि वह अपनी ताकत का इस्तेमाल अपराध खत्म करने के लिए नही बल्कि एक इंसान को अपराधी बनाने और उसे अपराधी दर्शाने के लिए करती है ।