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मजीठिया पर आज के फैसले का निहितार्थ : सुप्रीम कोर्ट आरपार वाले एक्शन के मूड में, जो मीडियाकर्मी सोए हैं वो अब भी जग सकते हैं

देश भर के पत्रकारों और गैर पत्रकारों के वेतन प्रमोशन से जुड़े मजीठिया वेज बोर्ड मामले में आज माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए उन श्रम सचिवों / श्रम आयुक्तों को तलब करना शुरू किया है जिन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड मामले में या तो सुप्रीम कोर्ट की अवमानना करते हुए अपनी स्टेटस रिपोर्ट नहीं भेजी या जिन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड लागू कराने के आदेश को गंभीरता से नहीं लिया।

देश भर के पत्रकारों और गैर पत्रकारों के वेतन प्रमोशन से जुड़े मजीठिया वेज बोर्ड मामले में आज माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए उन श्रम सचिवों / श्रम आयुक्तों को तलब करना शुरू किया है जिन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड मामले में या तो सुप्रीम कोर्ट की अवमानना करते हुए अपनी स्टेटस रिपोर्ट नहीं भेजी या जिन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड लागू कराने के आदेश को गंभीरता से नहीं लिया।

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शुरुआत पांच राज्यों से होगी। नार्थ इस्ट के चार राज्यों के अलावा एक राज्य उत्तर प्रदेश भी है। इन राज्यों के श्रम सचिव / श्रमायुक्त 23 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में तलब किए गए हैं। इस तरह सुप्रीम कोर्ट ने अब मीडिया मालिकों, राज्य सरकारों और अफसरों की मनमानी को संज्ञान लेकर उन्हें दंडित करने का सीधा रुख अख्तियार कर लिया है। साथ ही इससे मीडियाकर्मियों को उनका हक भी मिल सकेगा।

खचाखच भरे सुप्रीमकोर्ट के कोर्ट नंबर 7 में इस फैसले को सुनने के लिए देश भर के पत्रकारों का जमावड़ा लगा। हालत ये थी कि कई पत्रकारों को कोर्ट रूम के अंदर जाने का पास भी नहीं मिला। इस दौरान सुप्रीमकोर्ट में पत्रकारों की तरफ से केस लड़ रहे एडवोकेट उमेश शर्मा ने जमकर पत्रकारों का पक्ष रखा और कहा कि आज समाचार पत्र कर्मियों का अखबार मालिक अत्यधिक शोषण कर रहे हैं। इस दौरान माननीय सुप्रीमकोर्ट के न्यायमूर्ति रंजन गोगोई जी ने सभी राज्यों के श्रम आयुक्तों को सुप्रीम कोर्ट में तलब किया। फिलहाल पांच-पांच राज्यों के श्रम आयुक्तों को सुप्रीमकोर्ट ने तलब करने का निर्णय लिया।

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इस दौरान अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस और परमानन्द पांडे ने 20जे का मुद्दा उठाया। इस मुद्दे पर भी बहस होगी। उधर आज के फैसले को उमेश शर्मा ने निर्णायक बताते हुए कहा कि जो भी समाचार कर्मी अब तक क्लेम नहीं कर सके हैं, अब वे भी क्लेम कर सकते हैं। सरकार और अफसर सुप्रीम कोर्ट के डंडे के बाद अब थक हार कर अपनी नौकरी बचाने के लिए शिकायतकर्ताओं की शिकायतों को गंभीरता से लेंगे और मीडियाकर्मियों को उनका हक मिल जाएगा।

मुंबई से दिल्ली आए पत्रकार और आरटीआई कार्यकर्त शशिकांत सिंह ने यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट से बाहर निकलते हुए तैयार करके भड़ास के पास भेजी है. शशिकांत से संपर्क 9322411335 के जरिए किया जा सकता है.

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0 Comments

  1. rakesh kumar

    July 19, 2016 at 7:17 am

    NOTHING JUDGEMENT COME FROM HO’BLE SUPREME COURT. ONLY ONE ORDER HAD TO PASS BY HON’BLE COURT WHETHER 20J VALID OR NOT. SUPREME COURT FINALLY NOT GIVEN ANY COMMENT ON 20J TILL NOW WHICH INDICATE SILENT FAVOUR OF SUPREME COURT TOWARDS OWNER. FINALLY ORDER WOULD IN FAVOUR OF NEWSPAPER OWNER AND 20J WOULD BE DEEMED VALID. DO NOT PASS TIME DEAR EMPLOYEES “TARIK PE TARIK HOGA”. YE MAJATHIA NE KITENA KA NAUKARI LE KAR KITNE PARIVAR KA GHAR UJAR DIYA.

  2. sumit tiwari

    July 20, 2016 at 3:05 am

    dear sir muje 4 sal ho gye amar ujala kanpur me magar ab tk prmanent nhi kiya kam brabar salary sbse kam .mai print production deppt.me hu machin oprater hu. prmanent workar se salary aadhi h jbki kam brabar isme kuch ho skta h court me

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