मजीठिया : बेहद सख्त सुप्रीम कोर्ट ने यूपी समेत पांच राज्यों के सचिवों को नए एक्शन रिपोर्ट के साथ 23 अगस्त को तलब किया

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मीडिया मालिकों के कदाचार और सरकारी अफसरों की नपुंसकता से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने मजीठिया वेज बोर्ड मामले में अब एक एक को देख लेने का इरादा बना लिया है. अपना रुख बहुत सख्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्यों से आई रिपोर्ट को एक साथ एक बार में नहीं देखा जा सकता और इसमें बहुत सारी बातें स्पष्ट भी नहीं है इसलिए अब यूपी समेत पांच राज्यों की समीक्षा होगी और समीक्षा के दौरान संबंधित राज्यों के सचिव सुप्रीम कोर्ट में मौजूद रहेंगे. शुरुआत में नार्थ इस्ट के पांच राज्य हैं जिनके सचिवों को अपनी नवीनतम एक्शन रिपोर्ट तैयार करके 23 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष हाजिर रहने को कहा है.

बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद अब उन राज्यों के श्रम विभागों में हलचल शुरू हो जाएगी जहां क्लेम फाइल करने वालों को उनका वाजिब हक दिलाने की बजाय श्रम विभाग के अधिकारी मीडिया मालिकों की चमचागिरी करते हुए पूरे प्रकरण को लीपपोत कर अनिर्णय की स्थिति में डाले हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संबंधित पांच राज्यों के सचिव अपने यहां के सारे क्लेम और सारे दावों के निपटान की स्थिति लेकर 23 अगस्त को कोर्ट आएं. 23 अगस्त की सुनवाई के बाद ऐसे ही फिर अन्य पांच राज्यों के सचिवों को नवीनतम एक्शन रिपोर्ट के साथ सुप्रीम कोर्ट बुलाया जाएगा. तो, इस पूरे घटनाक्रम और सुप्रीम कोर्ट के रुख से जाहिर है कि मामला मीडियाकर्मियों के पक्ष में है और मीडिया मालिकों व उनके चाटुकार अफसरों की चालबाजी सफल नहीं होने वाली है.

भड़ास4मीडिया की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दायर किए गए सैकड़ों अवमानना मामलों के वकील उमेश शर्मा ने भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह को फोन पर बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने बिलकुल सही रास्ता अख्तियार किया है. अब यूपी समेत जिन पांच राज्यों के सचिवों को 23 अगस्त को बुलाया गया है वो न सिर्फ वहां सारे मामले निपटा कर और सही रिपोर्ट लेकर पहुंचेंगे बल्कि इसका असर उन दूसरे राज्यों में होगा जहां मीडिया मालिकों और सरकारी अफसरों का गठजोड़ आम मीडियाकर्मियों के क्लेम को लटकाने में जुटे हुए हैं और गोलमोल रिपोर्ट बनाकर सुप्रीम कोर्ट को बरगलाने की कुत्सित मंशा रखते हैं. आने वाले दिनों में हर राज्य के श्रम अफसरों को पूरी सख्ती दिखाते हुए मीडियाकर्मियों को उनका हक दिलाना पड़ेगा वरना संभव है सुप्रीम कोर्ट में पेशी के दौरान खड़े खड़े उन्हें जेल भेजे जाने का आदेश उच्चतम न्यायालय दे दे. एडवोकेट उमेश शर्मा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आज के आदेश की लिखित कॉपी का इंतजार किया जा रहा है. उसके बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी.

भड़ास4मीडिया के एडिटर यशवंत सिंह का कहना है कि संविधान, सुप्रीम कोर्ट और कानून को ठेंगे पर रखने वाले देश द्रोही मीडिया मालिकों और चोरकट धूर्त अफसरों से निपट पाना कोई मामूली बात नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने पूरा मौका देने के बाद अब इन्हें सही से घेरना शुरू कर दिया है. मजीठिया वेज बोर्ड मामले की आज हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने पांच-पांच राज्यों के सचिवों को नवीनतम एक्शन रिपोर्ट के साथ जो तलब करना शुरू किया है और कहा है कि अपने साथ नवीनतम एक्शन रिपोर्ट लाकर बताओ कि कितनों को न्याय मिला और कितनों को नहीं मिला तो जाहिर है कि संबंधित राज्यों के सचिव खुद सुप्रीम कोर्ट में खड़े रहेंगे और इसका मतलब हुआ कि अगर अफसरों ने तनिक भी चालाकी दिखाई और मीडियाकर्मियों को उनका हक नहीं दिला पाए तो सुप्रीम कोर्ट में खड़े खड़े ही अफसरों को कोर्ट की अवमानना में गिरफ्तार कर के जेल भेजने की आदेश सुप्रीम कोर्ट दे सकती है. इसके ठीक बाद उस मीडिया मालिक को भी अरेस्ट करने का आदेश दे सकती है जिसने अपने कर्मी को उसका हक नहीं दिया. यानि अब मीडिया मालिकों और अफसरों के जेल जाने के दिन आने वाले हैं. तो हम लोग कह सकते हैं- ”अब भी तो सुधर जाओ हरामखोरों!”

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