लगता है उंट पहाड़ के नीचे आने वाला है. अपने पैसे, धंधे, दलाली, लायजनिंग, शोषण, पावर से नजदीकी, सत्ता-सिस्टम में दखल के बल पर खुद को खुदा समझने वाले मीडिया मालिकों पर आम मीडियाकर्मियों की आह भारी पड़ने वाली है. लेबर डिपार्टमेंट, राज्य सरकारों, केंद्र सरकार, सीएम, पीएम, डीएम निचली अदालतों आदि तक को मेनुपुलेट करने की क्षमता रखने वाले मीडिया मालिकों को सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के आगे पसीना आने वाला है. आज मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लगी दस याचिकाओं की सुनवाई करते हुए अदालत ने संबंधित सभी मीडिया मालिकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.
इस नोटिस में पीड़ितों की तरफ से दायर अवमानना याचिका और याचिका में उल्लखित तथ्यों का हवाला देकर कोर्ट ने मीडिया मालिकों से पूछा है कि तुम सभी के खिलाफ क्यों न कोर्ट की अवमानना का मुकदमा शुरू किया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने जवाब दाखिल करने के लिए मालिकों को चार हफ्ते का समय दिया है. इस कारण बताओ नोटिस से मीडियाकर्मियों के चेहरे खिल गए हैं और मीडिया मालिकों के खेमे में खलबली है. चर्चा है कि अब मीडिया मालिक अपने दलाल संपादकों और मैनेजरों के जरिए कोर्ट जाने वाले मीडियाकर्मियों से संपर्क साधेंगे और उन्हें भांति भांति तरीके से प्रलोभित कर याचिका वापस लेने के लिए दबाव बनाएंगे. इस दबाव की रणनीति के तहत पैसे देने से लेकर नौकरी की पक्की गारंटी तक का प्रलोभन हो सकता है.
याचिका दायर करने वाले कई मीडियाकर्मियों ने भड़ास4मीडिया डॉट कॉम से बातचीत के दौरान कहा कि वे अबकी मीडिया मालिकों को जेल भिजवाकर दम लेने वाले हैं क्योंकि इन ठग मालिकों की नीयत ही गंदी है. ये पूंजीवादी मानसिकता के मीडिया मालिक दलाली के जरिए पैसे तो बहुत बना लिए हैं लेकिन इनके भीतर तनिक भी लोकतांत्रिक समझ व कानून के राज की अवधारणा को सम्मान देने की मानसिकता विकसित नहीं हो पाई है. ये सामान्य दिनों में अपने इंप्लाइज को कूड़ा करकट से ज्यादा नहीं समझते. जब जी में आता है कि निकाल बाहर करते हैं. लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट का डंडा इनमें घुसता है तो ये माई बाप चिल्लाते हुए कोर्ट जाने वाले अपने इंप्लाई के चरणों में गिर पड़ते हैं. इस बार इन्हें जेल भिजवाकर ही दम लेना है ताकि इन्हें समझ आ सके कि हर मीडियाकर्मी तुम्हारे छलावे-झांसे में नहीं आ सकता.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील उमेश शर्मा ने भड़ास4मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कारण बताओ नोटिस का जवाब मीडिया मालिकों को चार हफ्ते में देना है. अब मीडिया मालिकों को अपना जवाब तैयार करना होगा कि आखिर वो क्यों मजीठिया वेज बोर्ड संबंधित मीडियाकर्मियों को नहीं दे रहे हैं और दे रहे हैं तो किस तरह दे रहे हैं. श्री शर्मा के मुताबिक मीडिया मालिकों के लिए जवाब तैयार कराना बेहद मुश्किल काम होगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में दायर जवाब में अगर तनिक भी झूठ साबित हुआ तो मीडिया मालिकों को दंडित होना पड़ सकता है. एडवोकेट उमेश शर्मा ने बताया कि मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर आज जिन दस केसों की सुनवाई हुई उनमें से कई दिसंबर महीने में दायर किए गए थे. जल्द ही कई नए दायर हुए केस भी सुप्रीम कोर्ट की बेंच के सामने आने वाले हैं.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील उमेश शर्मा ने आगे बताया कि मजीठिया वेज बोर्ड मामले को लेकर मीडिया मालिकों के खिलाफ दस अवमानना याचिकाओं की आज सुनवाई न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एनवी रमण की खंडपीठ ने की. अदालत संख्या 8 में इस मामले का आइटम नंबर एक रहा. जिन कुल दस याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने मालिकों से चार हफ्ते में जवाब मांगा है, उनके डिटेल इस प्रकार हैं….
1. CONMT.PET.(C) NO. 411/2014 IN W.P.(C) NO. 246/2011 X A/N-D 1ST LISTING AVISHEK RAJA & ORS. VS. SANJAY GUPTA (WITH APPLN. (S) FOR IMPLEADMENT AND OFFICE REPORT) MR. PARMANAND PANDEY
2. WITH CONMT.PET.(C) NO. 33/2015 IN W.P.(C) NO. 246/2011 X FRESH-E LAKSHMAN RAUT AND ORS VS. SHOBNA BHARTI AND ORS (WITH OFFICE REPORT) MR. SHEKHAR KUMAR
3. CONMT.PET.(C) NO. 572/2014 IN W.P.(C) NO. 246/2011 X A/N AMIT MISHRA AND OTHERS VS. NIHAR KOTHARI AND ANOTHER (WITH APPLN. (S) FOR IMPLEADMENT) MR. PARMANAND PANDEY MR. AJAY CHOUDHARY
4. CONMT.PET.(C) NO. 34/2015 IN W.P.(C) NO. 246/2011 X FRESH-E JAGJEET RANA VS. SANJAY GUPTA AND ANR (WITH OFFICE REPORT) MR. DINESH KUMAR GARG
5. CONMT.PET.(C) NO. 571/2014 IN W.P.(C) NO. 246/2011 X A/N P. NAVEEN RAJ KUMAR & ORS. VS. RAMOJI RAO & ANR. MR. PARMANAND PANDEY
6. CONMT.PET.(C) NO. 38/2015 IN W.P.(C) NO. 246/2011 X FRESH-E RAJIV RANJAN SINHA & ANR. VS. CHAIRMAN D.B. CORP. LTD. & ANR. (WITH OFFICE REPORT) DR. KAILASH CHAND
7. CONMT.PET.(C) NO. 46/2015 IN W.P.(C) NO. 246/2011 X A/N TARUN BHAGWAT VS. RAMESH CHANDRA AGARWAL AND ORS (WITH OFFICE REPORT) MR. KUNAL VERMA
8. CONMT.PET.(C) NO. 450/2014 IN W.P.(C) NO. 264/2012 X A/N-D THE INDIAN EXPRESS EMPLOYEES UNION (REGD.) VS. VIVEK GOENKA & ANR. (WITH APPLN. (S) FOR PERMISSION TO SUBMIT ADDITIONAL DOCUMENT(S) AND OFFICE REPORT) MR. SATYA MITRA MR. ANIL SHRIVASTAV
9. CONMT.PET.(C) NO. 50/2015 IN W.P.(C) NO. 264/2012 X A/N INDIAN EXPRESS EMPLOYEES UNION (REGD) VS. VIVEK GOENKA AND ORS. (OFFICE REPORT) MR. SATYA MITRA
10. CONMT.PET.(C) NO. 385/2014 IN W.P.(C) NO. 264/2012 X A/N-D INDIAN EXPRESS NEWSPAPERS VS. VIVEK GOENKA & ANR. (WITH APPLN. (S) FOR PERMISSION TO FILE ADDITIONAL DOCUMENTS AND MR. SATYA MITRA MR. ANIL SHRIVASTAV
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह की रिपोर्ट. संपर्क: Yashwant@Bhadas4Media.com
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