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मध्य प्रदेश

सीबीआई रिपोर्ट में हुआ खुलासा, पत्रकार सुशील पाठक को दो पिस्तौलों से गोली मारी गयी थी

बिलासपुर। पत्रकार सुशील पाठक हत्याकाण्ड की जांच कर रही सीबीआई ने हाईकोर्ट में जवाब पेश कर दिया है। शपथ पत्र में सीबीआई ने कहा है कि जांच किसी भी प्रकार का कोई दबाव नहीं है। रिश्वत लेने वाली जांच टीम को पूरी तरह बदल दिया गया है और नई टीम जांच कर रही है। अभी तक 78 लोगों के बयान हुए है और जांच ठोस स्थिति में है।

<p>बिलासपुर। पत्रकार सुशील पाठक हत्याकाण्ड की जांच कर रही सीबीआई ने हाईकोर्ट में जवाब पेश कर दिया है। शपथ पत्र में सीबीआई ने कहा है कि जांच किसी भी प्रकार का कोई दबाव नहीं है। रिश्वत लेने वाली जांच टीम को पूरी तरह बदल दिया गया है और नई टीम जांच कर रही है। अभी तक 78 लोगों के बयान हुए है और जांच ठोस स्थिति में है।</p>

बिलासपुर। पत्रकार सुशील पाठक हत्याकाण्ड की जांच कर रही सीबीआई ने हाईकोर्ट में जवाब पेश कर दिया है। शपथ पत्र में सीबीआई ने कहा है कि जांच किसी भी प्रकार का कोई दबाव नहीं है। रिश्वत लेने वाली जांच टीम को पूरी तरह बदल दिया गया है और नई टीम जांच कर रही है। अभी तक 78 लोगों के बयान हुए है और जांच ठोस स्थिति में है।

बिलासपुर प्रेस क्लब के तत्कालीन सचिव सुशील पाठक की 19 दिसम्बर 2010 को देर रात उसके घर के सामने अज्ञात लोगो ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। आरोपियो को सरकण्डा पुलिस द्वारा गिरफ्तार नहीं कर पाने पर राज्य शासन ने सीबीआई जांच की अनुशंसा की। हत्याकांड की जांच के लिए पहुंची सीबीआई टीम के एक सदस्य को घूस लेते हुए गिरफ्तार किए जाने पर मामला पेचीदा हो गया। उसके बाद जांच के लिए सीबीआई की दूसरी टीम पहुंची घटना के साढ़े तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी आरोपियों के गिरफ्तार नहीं होने पर सुशील पाठक् की पत्नी ने हाईकोर्ट में अधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के माध्यम से याचिका दायर की।

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कोर्ट की नोटिस पर सीबीआई ने अपना जवाब पेश कर दिया है। हाईकोर्ट में पेश किए गए सीबीआई के जवाब ने सुशील पाठक हत्याकांड में नया खुलासा किया है। सीबीआई ने अपने जवाब में बताया कि सुशील पाठक की हत्या के समय दो पिस्तौल का इस्तेमाल किया गया था। अभी तक यह समझा जा रहा था कि एक व्यक्ति ने ही पिस्तौल से चार फायर किए थे। सीबीआई ने अपने जवाब में जांच के अहम मोड़ पर पहुंचने की बात भी कही है।

सुशील पाठक को रात करीब एक बजे उस समय उनके घर के सामने गोली मारी गई, जब वे प्रेस से लौट रहे थे। उन्हें किसी ने करीब से शूट कर दिया। इसके बाद पुलिस ने आनन-फानन में कार्रवाई की और सुशील के पड़ोस में रहने वाले बादल खान को आरोपी बना दिया। लेकिन 90 दिनों तक पुलिस बादल खान के खिलाफ कोई सबूत नहीं ढूढ पाई और वह कोर्ट से जमानत पर छूट गया।

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इसके बाद 24 मार्च 2011 को यह प्रकरण सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया, लेकिन तीन साल छह माह बाद भी सीबीआई के हाथ कोई सुराग नहीं है, जबकि इस दौरान मामले की जांच कर रहे सीबीआई के कुछ अधिकारी ही रिश्वत कांड में फंस गए। सीबीआई की असफलता से निराश सुशील की पत्नी संगीता पाठक ने हाईकोर्ट में एक याचिका लगाई है और कहा कि मामले की जांच हाईकोर्ट की निगरानी में बनी स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम से की जाए। इसी याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सीबीआई से जवाब  मांगा था।

सीबीआई ने हाईकोर्ट में जवाब पेश किया और बताया कि वह मामले की बड़ी तन्मयता और संजीदगी से जांच कर रही है। सीबीआई ने कहा कि जो लोग रिश्वत लेते गिरफ्तार हुए थे, उन्हें चार्जशीट किया जा चुका है और अब बड़े अफसरों की निगरानी में जांच चल रही है। इसी जवाब में सीबीआई ने एक बड़ा खुलासा करते हुए कोर्ट को यह भी बताया कि सुशील हत्याकांड के दौरान घटनास्थल से 7.65 एमएम के चार खाली कारतूस मिले थे ये कंट्री मेड पिस्टल से फायर हुए थे।

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सुशील के शरीर में गोली के तीन जख्म थे, जिसमें से दो गोलियां शरीर से बाहर निकल गई थी, जबकि एक गोली शरीर के भीतर पाई गई, सीबीआई ने बताया कि जो गोली सुशील के शरीर में पाई गई थी वह 7.65 एमएम स्टैंडर्ड पिस्टल से चली थी, जबकि जो खाली कारतूस मिले थे वे कंट्री मेड पिस्टल के थे, इस जवाब के मुताबिक वहां दो अलग-अलग पिस्टल से गोलिया चलाई गई थी।

इस नई जानकारी पर पाठक के परिजनों के अधिवक्ता सतीश चंद्रवर्मा का कहना था कि यदि सीबीआई के वकील ने लिखने में गलती की हो तो अलग बात है, लेकिन ये लाइनें तो यह बताती हैं कि दो पिस्तौल थी। सीबीआई इस जवाब में उन पुलिस अधिकारियो के संबंध में कुछ नही कह रही है जिन पर सबूत मिटाने का संदेह है, वकील के मुताबिक कई बातों को सीबीआई और क्लीयर करना थीं।

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अपने जवाब में सीबीआई ने तथ्यों से ज्यादा इस बात पर जोर दिया है कि वे पूरी ईमानदारी और बिना दबाव, प्रभाव में आए सीनियर आफिसर्स के निर्देशन में जांच कर रहे हैं।

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