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लखनऊ के पत्रकार असद उल्ला सिद्दीकी का 16 साल से फरार हत्यारा मंदिर में शंख बजाता मिला

लखनऊ। जिस कातिल को पुलिस 16 साल से लापता मान रही थी वह मंदिर में पुजारी बना मिला। इस हिस्ट्रीशीटर ने 33 साल पहले विधानसभा मार्ग स्थित एक अखबार के दफ्तर में घुसकर पत्रकार की चाकू से नृशंस हत्या कर दी थी। इसमें उसे कोर्ट से उम्रकैद की सजा हुई थी। शुक्रवार को हनुमान सेतु पर शिवजी के मंदिर में पुजारी के रूप में इसके होने की जानकारी मिली। लापता अपराधियों की तलाश को लेकर एसएसपी यशस्वी यादव ने मातहतों के पेंच कसे तो नाका पुलिस ने हिस्ट्रीशीटर चमनलाल को ढूंढ निकाला।

लखनऊ। जिस कातिल को पुलिस 16 साल से लापता मान रही थी वह मंदिर में पुजारी बना मिला। इस हिस्ट्रीशीटर ने 33 साल पहले विधानसभा मार्ग स्थित एक अखबार के दफ्तर में घुसकर पत्रकार की चाकू से नृशंस हत्या कर दी थी। इसमें उसे कोर्ट से उम्रकैद की सजा हुई थी। शुक्रवार को हनुमान सेतु पर शिवजी के मंदिर में पुजारी के रूप में इसके होने की जानकारी मिली। लापता अपराधियों की तलाश को लेकर एसएसपी यशस्वी यादव ने मातहतों के पेंच कसे तो नाका पुलिस ने हिस्ट्रीशीटर चमनलाल को ढूंढ निकाला।

चमनलाल की हिस्ट्रीशीट खोलने से लेकर उसकी तलाश में पुलिस की घोर लापरवाही उजागर हुई। वह अपना दिमागी संतुलन गड़बड़ दर्शाने के लिए कोतवाली में भी प्रवचन के साथ शंख बजाने लगा। क्राइम मीटिंग में एसएसपी ने सभी थानेदारों को हिस्ट्रीशीटरों के सत्यापन के लिए अभियान चलाने के आदेश दिए थे। इसके बाद चलाए गए अभियान में इंस्पेक्टर नाका विजय प्रकाश सिंह ने अपने थाने के 23 लापता हिस्ट्रीशीटरों की तलाश शुरू की।

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इसी क्रम में वर्ष 1999 से लापता चल रहे हिस्ट्रीशीटर चमनलाल के घर भी दस्तक दी गई। वर्ष 1987 में जिस चमनलाल की हिस्ट्रीशीट खोलते समय उसे ब्राह्मण दर्शाते हुए चमनलाल तिवारी पुत्र सत्यनारायण तिवारी लिखा गया था वह असल में चमनलाल लोध है। छह भाइयों में तीन की मौत हो चुकी है। दो भाई अपना कामधंधा करते हैं और चमनलाल हनुमान सेतु पर शिवजी के मंदिर में पूजापाठ करता है। पुलिस ने मंदिर जाकर तहकीकात की। पता चला कि चमनलाल मंदिर में भोलेनाथ के नाम से जाना जाता है। अब सुबह-शाम पूजापाठ करने ही आता है। पुलिस टीम शुक्रवार शाम मंदिर पहुंची वहां चमनलाल शंख बजाता मिल गया। उसे हिरासत में लेकर नाका कोतवाली लाया गया। नाका इंस्पेक्टर विजय प्रकाश सिंह का कहना है कि निचली अदालत से सजा होने के बाद उसने हाईकोर्ट में अपील की और वहां से उसे जमानत मिल गई।

राजधानी में करीब दो हजार हिस्ट्रीशीटर हैं। इनमें पांच सौ से अधिक रिकार्ड में लापता दर्शाए जा रहे हैं। एसएसपी ने सभी थानेदारों को हिस्ट्रीशीटरों का खुद सत्यापन करने के आदेश दिए तो लापरवाही उजागर होने लगी है। एसएसपी ने बताया कि हिस्ट्रीशीटरों के साथ जमानत पर छूटे अपराधियों के बारे में भी तहकीकात कराई जा रही है। इंस्पेक्टर विजय प्रकाश सिंह ने बताया कि एसएसपी के आदेश पर उन्होंने हिस्ट्रीशीटरों का खुद सत्यापन शुरू किया। थाने के 62 हिस्ट्रीशीटरों में एक विदेश में रह रहा है, जबकि लापता 23 में से चमनलाल मंदिर में मिला।

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चमनलाल की राजेंद्रनगर के एमपी सिंह से दोस्ती थी। विधानसभा मार्ग स्थित एक अंग्रेजी अखबार के दफ्तर में 23 मार्च 81 को पत्रकार असद उल्ला सिद्दीकी की हत्या में दोनों नामजद आरोपी थे। छह साल चली मुकद्दमे की सुनवाई के बाद स्पेशल जज ने 29 जनवरी 87 को चमनलाल को उम्रकैद की सजा सुनाई और एमपी सिंह को बरी कर दिया। उसने उच्च न्यायालय में अपील की। पुलिस ने 15 अगस्त 87 को चमनलाल की हिस्ट्रीशीट खोली। उस वक्त 30 वर्ष के चमनलाल की जाति के कॉलम में ब्राह्मण दर्शाया। इसके बाद से पुलिस ने हिस्ट्रीशीटर चमनलाल की निगरानी के नाम पर कागजी खानापूरी शुरू की और 16 साल तक उसे लापता दर्शाती रही। परिवारीजनों से उसके बारे में तहकीकात की जरूरत नहीं समझी।

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