Shameer Aameen Sheikh : डॉ. अब्दुल करीम टुंडा, पिलखुवा (यूपी) के एक होम्योपैथी चिकित्सक, जिनको 16 अगस्त’ 2013 को भारत-नेपाल सीमा से गिरफ्तार किया गया था, 1996-1998 के बीच 40 से अधिक बम ब्लास्ट करने का आरोप था इन पर| 3 साल बाद अभी न्यायालय ने करीम साहब को बाइज्जत बरी कर दिया| फिर भी दैनिक हिंदुस्तान लिखता है “लश्कर आतंकी टुंडा बम विस्फोटों से जुड़े मामले में बरी”।
दैनिक भास्कर लिखता है “आतंकी अब्दुल करीम टुंडा ब्लास्ट के आरोपों से बरी”।
दैनिक जागरण लिखता है “लश्कर का आतंकी टुंडा और तीन अन्य सबूतों के अभाव मे बरी”| अब आप ही सोचिये न्यायालय सच बोल रहा है या मीडिया?
न्यायालय ने करीम साहब को बाइज्जत बरी किया है, तो फिर मीडिया वालों के लिए वह आतंकी कैसे हो गये?
अभी तक सौ से अधिक आतंक के आरोप में जेल में बंद लोग बाइज्जत बरी हो चुके हैं, कुछ ने तो 10/12 साल जेल में गुजारे, मगर मीडिया ने उनको लोगों के सामने पेश नहीं किया| हाँ, यह वही मीडिया है जिसने एक छात्र को देशद्रोही घोषित करके फिर हीरो बना दिया| जिम्मेदारी तो मीडिया की आज भी बनती थी कि जिसको आतंकवादी घोषित किया उसको एक भला इंसान भी घोषित करे| लेकिन आज भी वो लोग आतंकी ही रहे न्यायालय के निर्णय के बाद भी|
हम आप और मीडिया होते कौन हैं, किसी को देशद्रोही या आतंकवादी घोषित करने वाले, और क्या इनके बरी होने पर उतने ही जोर शोर से इसका खंडन भी किया जाता है, क्या इन लोगों के बेकसूर होने का ढोल भी हम उतनी ही तेजी से पीटते हैं?
शमीर आमीन शेख के फेसबुक वॉल से.
Comments on “कोर्ट ने डॉ. अब्दुल करीम टुंडा को बाइज्जत बरी किया तो फिर मीडिया वालों के लिए वह आतंकी कैसे हो गये? देखिए शर्मनाक रिपोर्टिंग”
पूर्णतया सहमत हूं शेख साहब। मीडिया से संस्कारों के विलुप्त हो जाने के कारण ये विसंगतियां हैं। कोई बताने वाला ही नहीं है नयी पीढ़ी को।
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