अफ़सोस, वे 13 बरस मुख्यमंत्री रहे! कलेक्टर ने यदि बदसलूकी की होती तब भी पूर्व मुख्यमंत्री के नाते उन्हें ऐसे फूहड़ और घटिया शब्दों का इस्तेमाल हरगिज नहीं करना था. यहाँ तो छिंदवाड़ा कलेक्टर ने सिर्फ भारत सरकार के नागरिक उड्डयन विभाग के क़ानून का पालन किया था जो हेलीकाप्टर को शाम पांच बजे के बाद उड़ने की इजाजत नहीं देता है.
शिवराजसिंह चौहान के श्रीमुख से निकले भद्दे अपशब्दों से खुद उनकी जगहंसाई तो हुई ही प्रदेश की जनता भी शर्मसार है जिसने उन्हें तेरह बरस तक मुख्यमंत्री बनाए रखा.
गद्दी से उतरते ही उनका स्तर इतना गिर गया कि वे कलेक्टर के लिए पिट्ठू जैसी बाजारू भाषा बोलने लगे हैं? यूँ अभी शासकीय तंत्र उसी संस्कृति का आदी है जैसी वे तेरह बरस में छोड़ गए हैं. तभी तो नयी सरकार के कई मंत्रियों को याद दिलाना पड़ रहा है कि अब भाजपा की नहीं कांग्रेस की सरकार है.
यूँ शिवराजसिंह चौहान कलेक्टरों को उल्टा लटका दूंगा जैसी धमकियाँ देते रहे थे जिसे जुमलेबाजी के मार्फ़त खुद को सख्त जताने की कवायद माना गया था. उधर माई का लाल जैसे उनके जुमलों से भी पार्टी की फजीहत हो चुकी है.
बेहतर होगा कि वे पराजय और कुर्सी जाने को प्रकृतिस्थ होकर स्वीकार करें. साथ ही ‘हमारे भी दिन फिरेंगे’ जैसी चेतावनी देकर सरकारी तंत्र को धमकियां देना बंद करें.
भोपाल से वरिष्ठ पत्रकार श्रीप्रकाश दीक्षित की रिपोर्ट.