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सुख-दुख

समस्या कितनी भी बड़ी हो, किसी भी नशे की गिरफ़्त में न आएँ!

पुनीत शुक्ला-

क्या यार सुचित भाई इतनी जल्दी क्यों चले गए! अभी फिर से हमें मिलना था। साथ में समोसे बनाने-खाने थे! ऐसे भला कोई करता है! यह तो बहुत ग़लत और बहुत दुःखद हुआ। RIP Suchhit Kapoor!

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सुचित कपूर

कुछ बातें मैं आप सभी से कहना चाहता हूँ: (हममें से सभी कभी न कभी बुरे दौर से गुज़रते हैं और ये बातें कॉमन रूप से शायद सभी के काम आएँ।)

1- सबसे पहले अपने आपको बुद्ध या सुपरमैन मानने की ग़लती न करें। अपनी सीमाओं को समझें। कितना तनाव-दबाव झेल सकते हैं, उसको समझें। तनाव पैदा करने वाले कारकों को दूर करते रहें।

2- स्वास्थ्य को पहली प्रियॉरिटी में रखें। अगर आप शारीरिक-मानसिक रूप से फिट हैं तो दुनिया की किसी भी समस्या से निजात पा सकते हैं।

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3- सोशल मीडिया में आप कितने भी सक्रिय हों और आपके कितने भी अधिक फॉलोवर हों। उससे बाहर रियल वर्ल्ड में भी कुछ दोस्त बनाएँ जिनसे आप अपने सुख-दुःख साझा कर सकें। आपके पास ऐसे कुछ दोस्त ज़रूर होने चाहिये जिनसे आप कभी भी बिना किसी हिचकिचाहट के कॉल/मैसेज के द्वारा संपर्क कर सकें।

4- अपने पार्टनर/हसबैंड/वाइफ से प्यार करें, समय दें, लंच-डिनर साथ करें और उससे तालमेल बनाने का भरसक प्रयास करें। एक समय बाद माँ-बाप, भाई-बहन या बच्चों से दूरी हो जाती है। कई बार कुछ मजबूरियाँ होती हैं या कुछ पारिवारिक व्यस्तताएँ होती हैं। सबकी अपनी फैमिली, जॉब और ज़िन्दगी होती है जिनके चलते वे पहले जैसे न जुड़ पाते और न मदद कर पाते। इसलिये आपका पार्टनर ही आपका सबसे करीबी साथी होता है। अगर कोई आपसी समस्या है तो बैठकर उसको सुलझाएँ या काउंसलर की मदद लें।

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5- समस्या कितनी भी बड़ी हो, किसी भी नशे की गिरफ़्त में न आएँ। एक बार आदी होने के बाद उसकी मात्रा कब बढ़ जाती है, कुछ याद ही नहीं रहता। इसे उपदेश न समझें बल्कि मेरा निवेदन मानें।

6- बजट यानी अपने आय-व्यय को समझें। व्यय कभी भी आय से ज़्यादा न होने पाए। पूँजीवाद के कुछ नुकसान हैं तो कुछ फायदे भी हैं। पूँजीवाद ने अनेक विकल्प दिए हैं। हर शहर में कुछ ऐसी दुकानें होती हैं जहाँ लोकल ब्रांड के कपड़े और ज़रूरी सामान कम पैसों में मिल जातें हैं। ये भी ब्रांडेड सामान के लगभग बराबर ही टिकाऊ होते हैं।

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7- जब आप वास्तव में समस्या से गुज़र रहे हों और जेनुइन दिक़्क़तें हों तो लोगों/दोस्तों से मदद माँगने में संकोच न करें। इसमें अपने ईगो/स्वाभिमान को बीच में न लाएँ। मदद माँगना और मदद करना दोनों बुरी बातें नहीं हैं। कोई आपकी मदद तभी करेगा जब उसको पता चलेगा कि आपको क्या समस्या है और कितनी मदद की ज़रूरत है।

8- थोड़ा स्वार्थी बनें। अपना ध्यान रखें। कुछ करीबी लोगों को आपकी कमी खलती है। शेष दुनिया वैसे ही चलती रहती है।

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