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ब्रेन कैंसर के चलते मेदांता अस्पताल में कार्टूनिस्ट सुधीर तैलंग का निधन

नई दिल्ली। प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट सुधीर तैलंग का शनिवार दोपहर गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। वह 55 वर्ष के थे। परिजनों का कहना है कि वे लंबे समय से ब्रेन कैंसर से पीड़ित थे। दो वर्षों से इसका इलाज चल रहा था। उन्होंने दोपहर 12.30 बजे के करीब अंतिम सांस ली। इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को मयूर विहार स्थित निवास पर लाया गया। उनका अंतिम संस्कार लोधी रोड स्थित शवदाह गृह में रविवार दोपहर 1.30 बजे किया गया।

<p>नई दिल्ली। प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट सुधीर तैलंग का शनिवार दोपहर गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। वह 55 वर्ष के थे। परिजनों का कहना है कि वे लंबे समय से ब्रेन कैंसर से पीड़ित थे। दो वर्षों से इसका इलाज चल रहा था। उन्होंने दोपहर 12.30 बजे के करीब अंतिम सांस ली। इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को मयूर विहार स्थित निवास पर लाया गया। उनका अंतिम संस्कार लोधी रोड स्थित शवदाह गृह में रविवार दोपहर 1.30 बजे किया गया।</p>

नई दिल्ली। प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट सुधीर तैलंग का शनिवार दोपहर गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। वह 55 वर्ष के थे। परिजनों का कहना है कि वे लंबे समय से ब्रेन कैंसर से पीड़ित थे। दो वर्षों से इसका इलाज चल रहा था। उन्होंने दोपहर 12.30 बजे के करीब अंतिम सांस ली। इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को मयूर विहार स्थित निवास पर लाया गया। उनका अंतिम संस्कार लोधी रोड स्थित शवदाह गृह में रविवार दोपहर 1.30 बजे किया गया।

विभिन्न समाचार पत्रों व न्यूज चैनल में काम कर चुके सुधीर तैलंग को कार्टून कला में विशेष योगदान के लिए 2004 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उनका जन्म राजस्थान के बीकानेर में 26 फरवरी, 1960 में हुआ था। उन्होंने अपना करियर मुंबई में इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया के साथ वर्ष 1982 में शुरू किया था। हालांकि, उन्होंने अपना पहला कार्टून 1960 में ही बना लिया था। उस वक्त वे महज 10 साल के थे।

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1983 में वे हिंदी अखबार नवभारत टाइम्स चले गए। फिर उन्होंने अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स के साथ काम किया। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस और टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ भी वे जुड़े रहे। एशियन एज के बाद उन्होंने किसी अखबार के लिए काम करना बंद कर दिया था। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर कार्टूनों की एक श्रृंखला किताब की शक्ल में प्रकाशित की थी। इसका नाम था- नो प्राइम मिनिस्टर।

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