कहने को इतना बड़ संस्थान लेकिन दिल कितना छोटा. पहले तो अपने पत्रकार की हत्या को दुर्घटना करार देने की साजिश में शामिल रहा चैनल. फिर जन दबाव पड़ा तो उसने प्रेस रिलीज जारी कर निष्पक्ष जांच कराने और दोषियों को सजा देने की बात कही. अब जब दूसरे मीडिया संस्थान और पत्रकारों का समूह सुलभ की पत्नी के एकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर रहा है तो एबीपी की तरफ से साढ़े तीन लाख का चेक सुलभ की पत्नी के पास भिजवाया गया. सिर्फ साढ़े तीन लाख!
इतना बड़ा मीडिया संस्थान एबीपी. कम से कम दस-बारह लाख रुपये देने चाहिए थे. चलिए इतना न देते तो कम से कम पांच लाख रुपये देते. पर सिर्फ साढ़े तीन लाख रुपये और ढेर सारे आश्वासन देकर एबीपी ने खुद के कर्तव्य का निर्वहन कर लिया. इसे ही कहते हैं निर्दय और बेदिल होना.
जो मीडिया संस्थान सच्चाई का ढिंढोरा पीटते हैं, दूसरों का न्याय दिलाने का दावा करते हैं, उनकी खुद का सच बेहद संदिग्ध हो चुका है…
उधर, प्रतापगढ़ से खबर है कि एबीपी संस्थान की तरफ से भेजे गए चेक को सुलभ श्रीवास्तव की पत्नी रेणुका को सौंप दिया गया. बताया गया कि ये आर्थिक मदद की पहली किस्त है. 3 लाख 40 हजार 5 सौ के इस चेक के बारे में जानकारी दी गई कि एबीपी गंगा के सम्पादक रोहित सांवल की पहल पर प्रयागराज मंडल प्रभारी मोहम्मद मोइन ने सुलभ के घर जाकर दो चेक सौंपे. साथ में थे उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष रतन दीक्षित. सम्पादक रोहित सांवल ने रेणुका से फोन पर बात की और हर सम्भव मदद का वादा किया. मोहम्मद मोइन का कहना है कि अगली क़िस्त दो सप्ताह के भीतर आने की संभावना है.
इन पत्रकारों ने डीएम से मिलकर पत्नी को नौकरी, सरकारी आर्थिक मदद, आवास और बच्चों की पढ़ाई आदि के बारे में चर्चा की. सुलभ की मौत की जांच को लेकर पत्रकारों ने प्रभारी एसपी सुरेंद्र द्विवेदी से मिलकर जानकारी ली.