नदीम-
इसे लेख नहीं कहिए, वक्त कहिए। आदरणीय सिंह साहब यूपी के डीजीपी थे तो महज़ उनके PS के फोन पर अगला थर्राने लगता था लेकिन अब …… एलडीए के अफ़सर को फोन किया तो उसने इनका मज़ाक़ बनाया कुत्ता मालिक से शिकायत की तो वो मारपीट पर उतर आया… बाक़ी कुछ… उनकी व्यथा पढ़ लीजिए….
सुलखान सिंह योगी सरकार में यूपी के DGP रहे. पुलिस की सबसे बड़ी पोस्ट. अब सुलखान सिंह का ये लेख पढ़िए… इन पर एक कुत्ते ने हमला कर दिया. कुत्ते के मालिक से शिकायत की तो वो बदतमीजी करने लगा. उसके घर पर BJP का झंडा लगा है. लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारी इनकी सुनते नहीं. –Ranvijay Singh
आदरणीय सुलखान सिंह सर बाँदा के ही है। नेकदिल इंसान व कर्मठ आईपीएस अफसर रहे है। अब सेवानिवृत्त के बाद #लखनऊ रहवासी है। जब उन्होंने गोमतीनगर को लेकर अपनी पीड़ा साझा की है तब हासिये पर खड़े आम उत्तरप्रदेश बाशिंदों और उनके अनियोजित शहरों / ग्रामों की स्थिति क्या ही कही जाएगी। ब्यूरोक्रेसी के इर्दगिर्द घूमते सिस्टम मे हमारे पास इतने वर्षों मे एक आदर्श, आत्मनिर्भर ग्रामपंचायत नहीं है। एक नियंत्रित स्मार्ट शहर नहीं है और दावा तो !!? अखबारी विज्ञापनों मे कहना ही क्या है राजनीति का….!!! –आशीष सागर दीक्षित
सुलखान सिंह योगी सरकार में यूपी के DGP रहे. पुलिस की सबसे बड़ी पोस्ट. अब सुलखान सिंह का ये लेख पढ़िए… इन पर एक कुत्ते ने हमला कर दिया. लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारी इनकी सुनते नहीं. कुत्ते के मालिक से शिकायत की तो वो बदतमीजी करने लगा. उसके घर पर BJP का झंडा लगा है.
झंडा लगा होने का मतलब है कि उनको इस सरकार में दबंगई करने की खुली छूट है , कुत्ते छोड़ सकते है ,गाड़ी चढ़ा सकते है मतलब कुछ भी कर सकते हैं। –सुमित सम्राट
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी ने कुत्तों से परेशान होकर ये व्यथा अखबार में छपवाई है। फेसबुक पर मेरे कुछ मित्र मेरे कुत्ता विरोध से नाराज रहते हैं, लेकिन हकीकत बात ये है कि घर में कुत्ता पालने का एक भी लाभ मुझे नहीं समझ आता। कुछ मानसिक रोगियों को जरूर डॉक्टर कुत्ता पालने की सलाह देते हैं stress buster के रूप में । पर मेरा मानना है कि बागवानी से भी आप मन हल्का कर सकते हैं। कुत्ता तो गंदगी का प्रतीक मात्र है मेरे हिसाब से। -हर्ष कुमार
AshokKumar Sharma
July 7, 2023 at 7:04 pm
पूर्व पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह आईपीएस को मैं जितना जानता हूं उससे कहीं अधिक मानता हूं। ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल हैं वह।
ऐसे बहुत ही कम आईपीएस अधिकारी हैं जिनके अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठनों से संबंध हो और जिनकी इज्जत बाहर के देशों में भी की जाती हो।
उनके समय में बहुत से कार्य ऐसे हुए हैं जो किसी पुलिस महानिदेशक के समय में नहीं हुए और ना हो पाएंगे।
सबसे बड़ी बात यह है कि वह पुलिस को एक मानवीय चेहरा और जनता की मदद करने वाला संगठन बनाना चाहते थे। दूसरी सबसे बड़ी बात यह है कि वह जनता और पुलिस के बीच सामुदायिक पुलिसिंग के माध्यम से एक ऐसा संपर्क और संबंध बनाना चाहते थे जिससे पुलिस की विश्वसनीयता प्रतिष्ठा और मान सम्मान बढ़ता। अपने समूचे कार्यकाल में सुलखान सिंह जी ने कभी भी बेइमानों का पक्ष नहीं लिया। माफियाओं से दबे नहीं और किसी भी प्रकार का कोई समझौता, किसी से भी नहीं किया।
उनके जैसे इंसान से जितनी आशाएं हैं उससे कहीं अधिक निराशा इस बात से हुई कि वह इस तंत्र में किसी बात से परेशान है।