Sumant Bhattacharya : दाद दीजिए मुझे, साहस का काम है वॉल खुली रख विमर्श करना… दोस्तों आप क्या किसी Mitali sarkar को जानते हैं..? मैं भी नहीं जानता। दो-चार रोज पहले मेरे इनबॉक्स में देर रात एक झन्नाटेदार मैसेज गिरा। जिसमें कहा गया कि मैं फेसबुक साख को खत्म कर रहा हूं। मैं उनसे बात करता कि देखता हूं ब्लॉक कर दिया गया हूं। फिर दो दिन मेरी पोस्ट पर कुछेक कमेंट जड़ कर चली गईं। यानि वो ब्लॉक खोलने और बंद करने की कला में महारथनी हैं। फिर कल पता चला कि ये मोहतरमा Mitali sarkar मेरे मित्र सुरेंद्र सिंह सोलंकी, त्रिभुवन सिंह और संजय कोटियाल के साथ भी यह हरकत कर चुकी हैं।
आज सुबह मित्र शत्रुंज्य सिंह का फोन आया, सर आपकी पोस्ट कोई Mitali sarkar हैं, बहुत ही गंदा लिखकर गई हैं। मैंने आकर देखा तो कमेंट डिलीट किया..फिर आज उनकी वॉल पर जाने का मौका मिल गया। शायद कमेंट करने के लिए उन्होंने मुझे कुछ समय के लिए अनब्लॉक किया था। तो आज मैंने उनका ब्लॉकिया कत्ल कर डाला। कुछ दिन पहले बिहार के एक शहर से एक वकील का फोन आया था। जो दिमागी उन्माद का शिकार लगा। जो हमारी सोच के इतने खिलाफ थे कि पहले धमकाया फिर कहा कि मेरे पास और भी तरीके हैं। तो मैं निवेदन करना चाहूंगा कि वकील साहब से, तरीके वही स्वीकृत होते हैं, जो सार्वजनिक पटल पर होते हैं।
दोस्तों, कुछेक मित्रों के अनुरोध पर मैंने वॉल ओपन रखा है। यानि मेरी वॉल पर लिखने के लिए आपको मेरी मित्र या फॉलोअर सूची में भी शामिल होने की जरूरत नहीं है। अब मुझे लग रहा है कि मैंने वाकई दुस्साहस का काम किया। इस अनजानी दुनिया में किनको-किनको आमंत्रण दे डाला। तो आप मुझे बताएं कि क्या मुझे वॉल को सिर्फ मित्रों तक सीमित रखने के प्रावधान का इस्तेमाल करना चाहिए….? या नहीं..?
मुझे तो कई फर्क नहीं पड़ता। और मैं जरूरी नहीं समझता कि मेरे बारे में की जा रही हर टिप्पणी पर मैं जवाब या सफाई दूं। मेरी मर्जी। पर मेरी वॉल पर तमाम सम्मानित मित्र हैं, महिलाएं हैं, उन्हें कहीं सदमा ना लग जाए। ऐसी गालियों वाली भाषा से। अपन तो गालियां खाने में भी नंबर वन हैं। डेविड धवन की अगली फिल्म “गालीखोर नंबर वन” के हीरो अपन ही हैं।
अभी पता चला कि ये मिताली आंटी वही बिहार के उन्मादी वकील तिवारी साहब हैं, जो एक ग्रुप से बेआबरू कर बर्खास्त किए गए। बेसब्र इंसान का फोन ही आ गया। घंटे भर तक जी भर कर गरिया उसने और अपन ने भकोसा। सच कितना मजा आता है, जब बिना गुस्सा किए सामने वाले की गालियों को झेलते रहो। है ना..?
वरिष्ठ पत्रकार सुमंत भट्टाचार्या के फेसबुक वॉल से.
MadanTiwary
May 17, 2015 at 1:45 am
Are naam bolo na khul ke apna madan tiwary advocate Gaya tiwarygaya id in Facebook twitter:P