: तनु – एक बहादुर लड़की, हम सबकी हार और 10 सवाल : तनु, एक शानदार और आत्मविश्वासी लड़की, जिसने अपने करियर में सिर ऊंचा रखना सबसे बड़ी प्राथमिकता बनाए रखी। ज़ी यूपी में भी जब केबिन में विशेष आरती की आंधी चल रही थी, तनु ने झुकने, समझौता करने और फ्रैंडली जेस्चर दिखाने की जगह इस्तीफा दे देना बेहतर समझा। ज़ी के उसके संघर्ष के भी कई साक्षी साथी होंगे। पी7 में भी काम के दौरान कोई ये नहीं कह सकता होगा कि कभी तनु ने किसी से कोई अपमानजनक बर्ताव किया हो या अपने साथ बर्दाश्त किया हो। लेकिन ज़ाहिर है ऐसी लड़की के इंडिया टीवी ज्वाइन करने से कई साथी हैरान भी हुए थे, लेकिन इसके पीछे भी कुछ कड़वी मजबूरियां हैं टीवी इंडस्ट्री की।
तनु टीवी न्यूज़ मीडिया छोड़ना चाहती थी, ज़ी यूपी छोड़ने के बाद उसने कई दोस्तों से ये बात साझा की थी। मुंबई जाना चाहती थी, छोटे से कस्बाई शहर चंदौसी की ये लड़की लेकिन फिर पी7 और अंततः जब तक कहीं और किसी और इंडस्ट्री में, न्यूज़ मीडिया से अलग कुछ काम न मिले, तब तक यहीं काम करने को मजबूर और बेहतर विकल्प-सैलरी की तलाश में इंडिया टीवी जा पहुंची। आपको लगता होगा कि टीवी के पत्रकार और एंकर पैसे के लिए विचारधारा-सरोकार सबसे समझौता कर लेते हैं, लेकिन सवाल ये है कि क्या आप सब वो ही नहीं करते हैं? क्या मंगल ग्रह से उतर कर हमारे आपके बीच आ खड़े हुए तनु जैसे सारे मेधावी-तेज़ तर्रार और स्वाभिमानी लोग एक अदद पेट और भूख नहीं रखते? और फिर उनके संघर्ष में समाज और सारे समीक्षक कितना साथ देते हैं?
अपने विचार और अपने अलग स्वभाव के लिए परिवार को भी एक कीमत चुकानी होती है…याद रखिए कि छोटे शहरों से आने वाले सारे बड़े विचारों-खुली जीवन शैली वाले हम सारे लोग, अगर कमा कर घर पर ढेला नहीं दे सकते हैं तो वो परिवार हमें इनमें से किसी चीज़ की इजाज़त नहीं देंगे। तो साहब धन कमाना एक कीमत अपने परिवार के साथ बने रहने की भी है, हमारे धनपशु समाज में, वो भी एक लड़की हो कर तो और ज़रूरी। यही नहीं अंततः हम जानते हैं कि हमारे साथ कोई खड़ा नहीं होगा, हम अकेले होंगे और धिक्कारे जा रहे होंगे…तो कम से कम आजीविका को विचार और ईमान से जोड़ने के एक बेहद क्रूर विचार के ज़रूरी होने के बाद भी विद्रूप चेहरे की शिकार होती हैं, तनु जैसी सारी लड़कियां। जो अंततः जा पहुंचती हैं कभी किसी आज तक के औरतखोरों, तो कभी इंडिया टीवी के पशुओं के बीच और अंततः बहादुर बने रहते हार जाती हैं…ठीक उसी भाषा में लिखती हैं I am tired of being brave…मालूम है क्यों… क्योंकि हमारे कायर समाज में बहादुरों को देख कर होने वाली कुंठा से बचने के लिए, समाज के सारे गीदड़ घेर कर, छल से सिंह का शिकार कर देते हैं। भेड़िये ताक में रहते हैं और बंदर यह सब देख कर तालियां बजा रहे होते हैं।
आप में से कितने जानते हैं कि एक टीवी चैनल पर सिर्फ मर्द दर्शकों की सेक्सुएल कुंठा को तुष्ट करने के लिए भोग की सामग्री की तरह उतार दी जाने वाली ग्लैमरस न्यूज़ एंकर्स में से कई तनु जैसी होती हैं, जो बेहतरीन किताबें पढ़ती हैं…बेहतरीन कविताएं लिखती हैं…और ब्लॉग्स से डायरी तक उनकी कलम उनके सैकड़ों पुरुष सहकर्मियों से बेहतर चलती है। ये अलग बात है कि उनका मर्दवादी संस्थान ये स्वीकार करने से हमेशा घबराता है कि महिलाएं भी गंभीर लिख सकती हैं…वो तो सिर्फ एंकर बनने के लिए होती हैं, बॉस के साथ खाना खाने के लिए होती हैं…
आज कैलाश अस्पताल में मौजूद तनु के करीबी मित्रों में से कितनों ने कोशिश की, कि पुलिस हर हाल में उसके दोषियों के खिलाफ़ आज ही एफआईआर दर्ज करे, कितनों ने थर्ड पार्टी शिकायत की कोशिश की…जबकि सब जानते थे कि कल तक ये बड़े लोग अपने बचाव का रास्ता खोज लेंगे। कितने पुराने साथियों ने बहस की कि नहीं इंडिया टीवी के अलावा और चैनल्स में ये ख़बर चले, क्यों आखिर बलात्कार के कथित मामलों में आरोपियों को ख़ुदक़ुशी के लिए मजबूर कर देने वाले इंडिया टीवी के अंदर चल रहे मामलों के सामने आने पर सारा मीडिया चुप है? कहां हैं मानवाधिकारवादी, महिलावादी और बाकी सारे आंदोलनकारी…क्या कोई अभिषेक उपाध्याय, तनु को न्याय दिलाने के लिए छोड़ दीजिए एक प्लांटेड स्टोरी…एक लम्बा नहीं तो छोटा ही फेसबुक स्टेटस तक लिखेगा? या फिर इस्तीफा दे देगा…शायद अंततः कभी अपने किये को याद कर अवसाद में वो भी आत्महत्या करेगा…क्या अनीता शर्मा अब बोलेंगी एक शब्द भी महिला मुक्ति का? और रितु धवन…इस सब बातों के ज़हन में आने के पहले ही जान जाइए, हिंदी मीडिया बैंडिट क्वीन के फूलन देवी के बलात्कारी गांव जैसा ही है…बस उसने ढोंग की सफेद चादर ओढ़ी है, महिला, मुक्ति, आज़ादी, बराबरी बलात्कार, न्याय जैसे शब्दों को इस्तेमाल हिंदी मीडिया के ये पिशाच, सुविधानुसार ही करते हैं।
लेकिन सबसे आखिरी में जाते-जाते कुछ सवाल ज़रूरी हैं,
1. तनु को परेशान करने वालों के खिलाफ क्या अभी तक एफआईआर हुई?
2. क्या पुलिस ने तनु के अंतिम फेसबुक स्टेटस (नोट) का संज्ञान लिया?
3. आखिर ऐसा क्या था, जिसके कारण तनु कथित प्रसाद नाम के शख्स से परेशान थी, और अनीता शर्मा और रितु धवन आखिर क्यों उसे बचा रहे थे?
4. क्या अनीता शर्मा और रितु धवन की ओर से भी तनु पर अनर्गल दबाव था?
5. तनु जैसी बहादुर लड़की पर आखिर कौन सा दबाव था कि उसने आत्महत्या की कोशिश की?
6. तनु ने इंडिया टीवी के दफ्तर में ही ज़हरीला पदार्थ पिया, तो क्या पुलिस ने वहां छानबीन की?
7. पुलिस ने क्या तनु के करीबी मित्रों और सहकर्मियों से पूछताछ की?
8. आखिर सेक्टर 82 से लाकर तनु को सीधे बीजेपी सांसद महेश शर्मा के अस्पताल में ही क्यों भर्ती करवाया गया?
9. क्या इस मामले को टीवी मीडिया जानबूझ कर दबा रहा है?
10. क्या इंडिया टीवी प्रबंधन आसानी से इस मामले को दबाने में सफल हो जाएगा?
कई पत्रकार साथी मानते हैं कि नई सरकार में रजत शर्मा का काफी अंदर तक सम्पर्क है, सो ये मामला बहुत दूर नहीं जाएगा।
लेकिन क्या ऐसे में तनु के तमाम दोस्त इस क़ाबिल भी नहीं कि उसकी लड़ाई को किसी अंजाम तक पहुंचा सकें?
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