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सियासत

13 अप्रैल 2029 की सुबह धरतीवासियों की जिंदगी की आखिरी सुबह होगी अगर 350 मीटर लंबा उल्का पिंड टकरा गया

(विजय सिंह ठकुराय)


महाप्रलय… क़यामत… डूम्स डे… THE END OF EVERYTHING… 13 अप्रैल-2029… हो सकता है… इस दिन की सुबह आपकी जिन्दगी की आखिरी सुबह हो.. APOSPHIS नामक 350 मीटर लम्बा उल्का पिंड 13 अप्रैल 2029 को, आज से ठीक 14 साल बाद, पृथ्वी की तरफ आएगा और 97.3% चांस है कि पृथ्वी की ग्रेविटी के कारण इस उल्कापिंड की कक्षा विचलित हो जाने के कारण ये पृथ्वी से 29470 km की दूरी से निकल जाएगा… इतनी कम दूरी होने के कारण आप “अपनी मौत के सामान” को नंगी आँखों से आसमान में जाते हुए देख सेल्फी ले पाएंगे लेकिन… 2.7% चांसेज है कि (हमारी कैलकुलेशन गलत हो सकती है) टकरा जाए और अगर ऐसा हुआ तो अगले क्षण की तुलना आप उस तबाही से कर सकते हैं जो “हिरोशिमा और नागासाकी” पर गिराए आणविक बम जैसे 65000 बम एक साथ पृथ्वी पर गिरा देने से आयेंगे… 2.7% यानि 1 in 37 chance… लेकिन मायूस होने की जरूरत नहीं….

<p><img class=" size-full wp-image-18309" style="display: block; margin-left: auto; margin-right: auto;" src="http://www.bhadas4media.com/wp-content/uploads/2015/10/images_0ab_vijayst.jpg" alt="" width="650" height="650" /> </p> <p style="text-align: center;"><span style="font-size: 8pt;">(विजय सिंह ठकुराय)</span> </p> <hr /> <p>महाप्रलय... क़यामत... डूम्स डे... THE END OF EVERYTHING... 13 अप्रैल-2029... हो सकता है... इस दिन की सुबह आपकी जिन्दगी की आखिरी सुबह हो.. APOSPHIS नामक 350 मीटर लम्बा उल्का पिंड 13 अप्रैल 2029 को, आज से ठीक 14 साल बाद, पृथ्वी की तरफ आएगा और 97.3% चांस है कि पृथ्वी की ग्रेविटी के कारण इस उल्कापिंड की कक्षा विचलित हो जाने के कारण ये पृथ्वी से 29470 km की दूरी से निकल जाएगा... इतनी कम दूरी होने के कारण आप "अपनी मौत के सामान" को नंगी आँखों से आसमान में जाते हुए देख सेल्फी ले पाएंगे लेकिन... 2.7% चांसेज है कि (हमारी कैलकुलेशन गलत हो सकती है) टकरा जाए और अगर ऐसा हुआ तो अगले क्षण की तुलना आप उस तबाही से कर सकते हैं जो "हिरोशिमा और नागासाकी" पर गिराए आणविक बम जैसे 65000 बम एक साथ पृथ्वी पर गिरा देने से आयेंगे... 2.7% यानि 1 in 37 chance... लेकिन मायूस होने की जरूरत नहीं....</p>

(विजय सिंह ठकुराय)


मैं आप सभी को बता दू की ये कोई कल्पित साइंस फिक्शन नहीं बल्कि समुचित वैज्ञानिक क्षमताओं के प्रयोग से तैयार ब्रह्माण्ड के अंत की सबसे प्रबल संभावना है. अंत हर चीज का तय है पर हर चीज परमात्मा में लीन हो जाती है… इतना जानना आपके लिए अगर काफी नहीं है तो इस पोस्ट को पढ़िए… ये सृष्टि के अंत और आरम्भ के सतत चक्र को समझाने के लिए की गई पोस्ट है जो अब तक की मेरी नॉलेज के अनुसार ठीक है. मैं आपको साइंस फिक्शन नहीं, सृष्टि का चक्र समझा रहा हूँ.

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अभी तक अपने पास कोई ऐसा तरीका भी नहीं है जिससे हम ऐसे किसी एस्टेरोइड पे लगातार निगाह रख पाएं. अभी हम ज्यदातार समय “indirect observation” से ऐसी चीजो को ट्रैक करते हैं. दूसरा बड़े पिंडो को destroy करने के लिए मिसाइल अटैक उलटा गले की फांस बन सकता है। भविष्य में एस्टेरोइड से बचाव के लिए कुछ चीजे प्रस्तावित हैं. लेकिन हमारी तैयारी बहुत अच्छी नहीं है. एक किलोमीटर से ऊपर की चट्टान को हम विश्वास पूर्वक रोक नहीं सकते. बस अमेरिका और रूस नामक दो देशो ने आपात स्थिति की इतनी घन घोर तयारी कर रखी है की हर स्थिति में कुछ मनुष्य और सभी प्रजातियों और वनस्पतियो के डीएनए सुरक्षित बच पाए. चाइना आज कल इन दोनों मुल्को को देखा देख तैयारी में जुट गया है. अगले 50 वर्ष अगर प्राकृतिक स्तर पर ना सही तो मानवीय क्रिया कलापों के कारण भारी उथल पुथल के होंगे.

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गैलेक्सी या तारो का निर्माण हवा में नहीं हो जाता. इसके लिये useable energy लगती है जो “finite” है. ये ब्रह्माण्ड और ऊर्जा दोनों सीमित है, अनंत नहीं. और अब तक 90 प्रतिशत तारे जिनका जन्म होना था… वो जन्म ले चुके हैं. नए तारे बेशक आगे भी जन्म लेंगे पर एक ना एक दिन ये प्रक्रिया रुक जायेगी. उसके बाद कोई तारा नहीं बचेगा. जो तारे होगे वो धीरे धीरे shut down होते रहेंगे. One star at a time एंड 100 ट्रिलियन वर्षो तक 99.9999% तारे अंत अवस्था को प्राप्त कर लेंगे. ब्रह्माण्ड के अंत तक कुछ rare events में कुछ तारो का निर्माण हो सकता है पर उन तारों का जीवन अरबों नहीं बल्कि कुछ लाख साल ही होगा.

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ये उल्कापिंड अगर समुद्र में गिरता है तो समुद्र के sea salt के हवा में ऊपर ब्लो अप कर जाने से ओजोन लेयर को ख़तरा हो सकता है और सुनामी का भी भय है. वास्तविक गणना तो एस्टेरोइड की प्रॉपर्टीज कैलकुलेशन के बाद ही बताई जा सकती है. बस इतना जान लो कि 1.5 km से ऊपर की चट्टान जान लेवा है और 10 km की चट्टान का अभी तक किसी कीमत पर कोई इलाज नहीं है. ऐसी कोई चट्टान सम्पूर्ण पृथ्वी से जीवन मिटा देगी. ऐसी चट्टान के पृथ्वी से टकराने की फ्रीक्वेंसी 5-10 करोड़ साल है. पिछली बार 6.5 करोड़ साल पहले टकराई थी जिसके डायनासोरो का अंत हो गया था.

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ब्रह्माण्ड का नक्शा समझिए. ब्रह्माण्ड में गैलेक्सी के समूह बटे हुए है जिन्हें “क्लस्टर” कहते हैं. हमारे ग्रुप में 54 जीवित और डेड गैलेक्सीज हैं. एक ग्रुप में गैलेक्सी के बीच “matter” यानी पदार्थ होने के कारण ग्रेविटी ब्रह्माण्ड के फैलाव को कैंसिल आउट कर देती है. गैलेक्सीज के ग्रुप्स के बीच खाली ब्रह्माण्ड में पदार्थ की कमी होने के कारण ग्रेविटी कमजोर है इसलिए वहा ब्रह्माण्ड फैलता जा रहा है. इस प्रकार समूह में रहने वाली गैलेक्सी एक साथ जुडी है और एक दुसरे के करीब आ रही है पर दूरस्थ गैलेक्सी और दूर जा रही है. कोई अज्ञात शक्ति है जिसके कारण ब्रह्माण्ड फैलता जा रहा है.  इसे डार्क एनर्जी की संज्ञा दी गई है. इसकी प्रॉपर्टीज के बारे में बहुत ज्यादा नहीं पता है. दो ब्लैक होल मिल के एक giant ब्लैक होल बनाते हैं.

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सवाल१. पृथ्वी की ग्रेविटी से उल्कापिंड की कक्षा क्यूं और कैसे विचलित होगी?

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जवाब1. जब कोई छोटा ऑब्जेक्ट किसी लार्ज ऑब्जेक्ट की ग्रेविटी की जद में आता है तो “tumbling” होती है, मतलब छोटा पिंड थोड़ा फडफडाता है, ये उसी की कैलकुलेशन है.

सवाल२. २९४७० km दूर (पास) से गुज़रता उल्कापिंड पृथ्वी की कुछ हल्की-फुल्की ऐसी-तैसी करेगा या नहीं? मतलब उस परिस्थिति में कितना बड़ा नुकसान हो सकता है?

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जवाब2. नहीं, इस स्थिति में कोई ख़ास नुकसान नहीं होगा पर अगर उल्कापिंड पृथ्वी के पास से निकल जाता है तो ठीक 7 साल के बाद It will come back… Same date

सवाल३. अगर टक्कर होती है तो क्या वह इतनी भीषण होगी की पृथ्वी को उसकी कक्षा से हटा दे या घूर्णन गति का ह्रास हो जाए?

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जवाब3. 350 मीटर की चट्टान में इतना दम नहीं कि पृथ्वी को कक्षा से हटा दे. घूर्णन गति पे बेहद मामूली असर पडेगा. पर धरती के धरातल पर मानव के लिए प्रतिकूल प्रभाव अवश्य पड़ेगा. एक किलोमीटर से लम्बी चट्टान गंभीर नुक्सान कर सकती है. इतनी बड़ी चट्टान के टक्कर से इस प्रकार धूल का गुबार उठेगा कि कई वर्षों तक सूर्य नहीं दिखेगा और पृथ्वी हिम युग में चली जाएगी.

सवाल४. जब दो ब्लैक होल टकरायेंगे तो महाकाय ब्लैक होल क्यूँ (कैसे) बनेगा? क्या यह संभव नहीं कि जैसे दो पिंड टकरा कर नष्ट हो जाते हैं वैसे ही ब्लैक होल भी नष्ट हो जायें या किसी नये रूप, नयी भूमिका में आ जायें?

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जवाब4. ब्लैक होल ग्रेविटेशनल फील्ड है, कोई पदार्थ नहीं जो टकरा के नष्ट हो जाए Force+force= greater force

सवाल5. अगर यह पिंड पृथ्वी की जगह चंदा मामा से टकरा कर उनका राम नाम कर दे तो पृथ्वी और मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

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जवाब5.. बहुत सारे प्रभाव पड़ेंगे जिसके बारे में पढ़ना होगा. एक प्रभाव तो ये पड़ेगा कि ज्वार भाटे उतने ऊँचे नहीं उठेंगे और पृथ्वी का घूर्णन तेज हो जाने से दिन छोटे हो जायेंगे, मामूली छोटे.

सवाल6. क्या ब्रह्मांड का जीवन उसमें पल रही ऊर्जा प्रणालियों के जीवन (तारामंडल, गैलेक्सीस्, ब्लैक होल आदि) के सापेक्ष है अथवा ब्रह्मांड की हैल्थ एंड लाइफ निरपेक्ष है, उसकी इंडिविजुएलिटी अल्टिमेट है???

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जवाब6. ब्रह्माण्ड का जीवन “individual” है पर ब्रह्माण्ड के जीवन के विभिन्न चरण ब्रह्माण्ड के अंदर मौजूद चीजो के ऊपर डिपेंड करते हैं.


लेखक विजय सिंह ठकुराय दिल्ली के निवासी हैं. उनका खुद का अपना बिजनेस है. फिजिक्स का शौक है. ब्रह्मांड और विज्ञान के पढ़ाकू हैं और इनके बारे में लिखते रहते हैं. फेसबुक पर सक्रिय विजय एक लोकप्रिय साइंस राइटर हैं जिनके हजारों फालोअर हैं. विजय से फेसबुक के जरिए संपर्क कर सकते हैं, उनका पता Facebook.com/vijay.singh.thakurai है.

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