व्यस्त होना ही काफ़ी नहीं है; व्यस्त तो चींटियाँ भी होती हैं!

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अजय तिवारी-

टाइम मैनेजमेंट और उसके दो महत्वपूर्ण सिद्धांत —

1— पैरेटो के 20/80 के नियम!

व्यस्त होना ही काफ़ी नहीं है; व्यस्त तो चींटियाँ भी होती हैं। सवाल यह है कि आप किस काम में व्यस्त हैं।
— थोरो

पैरेटो का 20/80 का नियम समय के सर्वश्रेष्ठ उपयोग के लिए बहुत इंपोर्टेंट है, क्योंकि इसे जानने के बाद हम समय का बेहतर यूज कर सकते हैं।

पैरेटो के अनुसार ‘आपकी 20 प्रतिशत प्राथमिकताएँ आपको 80 प्रतिशत परिणाम देंगी, बशर्ते आप अपनी शीर्षस्थ 20 प्रतिशत प्राथमिकताओं पर अपना समय, ऊर्जा, ठहराव और डिसिप्लिन को लगाएँ।’ यानी हमें अपने 80 प्रतिशत परिणाम 20 प्रतिशत समय से मिलते हैं। इसका यह अर्थ भी है कि हमारे समय का अधिकांश हिस्सा, यानी 80 प्रतिशत, सिर्फ़ 20 प्रतिशत परिणाम हासिल करने में बर्बाद होता है।

यदि हम अपने समय का सर्वश्रेष्ठ उपयोग करना चाहते हैं, तो यह जरूरी है कि हम उस 20 प्रतिशत सार्थक समय का पता लगाएँ और जहाँ तक संभव हो, उसे बर्बाद होने से बचाएँ। यही नहीं, हमें उस 80 प्रतिशत समय का भी पता लगाना चाहिए, जिसमें हम सिर्फ़ 20 प्रतिशत परिणाम ही हासिल कर पाते हैं। ऐसा करने पर हम अपने सार्थक समय के अनुपात को बढ़ा सकते हैं और निरर्थक समय को कम कर सकते हैं।

कोई भी योजना या कुछ भी क्रैक करने के लिए पैरेटो के 20/80 के नियम का पालन करने से आपकी सफलता में आशातीत वृद्धि होती है, क्योंकि इससे आप यह महत्वपूर्ण तथ्य जान जाते हैं कि कौन सा समय आपकी सफलता में कितना योगदान दे रहा है।

पैरेटो का नियम अप्रत्यक्ष रूप से हमें पूर्णतावाद या परफ़ेक्शन के प्रति भी सावधान करता है। यह बताता है कि हम 80 प्रतिशत काम 20 प्रतिशत समय में ही पूरा कर लेते हैं, और बचे हुए 20 प्रतिशत काम में 80 प्रतिशत समय बर्बाद करते हैं, सिर्फ़ इसलिए क्योंकि हम उस काम को आदर्श तरीक़े से करना चाहते हैं। कई बार परफ़ेक्शन या पूर्णता का आग्रह समय की बर्बादी का कारण बन जाता है और व्यक्ति को असफल करा सकता है।

यदि आपको लगता है कि आप कड़ी मेहनत करने के बावजूद सफल नहीं हो रहे हैं, तो पैरेटो के सिद्धांत को आज़माकर देखें। इससे आप यह जान जाएँगे कि आप किस काम में कितनी मेहनत कर रहे हैं।

देखिए, वास्तविक संसार में यह महत्वपूर्ण नहीं होता कि आप कितनी कड़ी मेहनत करते हैं; महत्वपूर्ण तो यह होता है कि आप कितनी बुद्धिमानी या चतुराई से मेहनत करते हैं।

यह पता लगाना सफलता के लिए बहुत ज़रूरी है कि आप अपने लक्ष्य का पीछा करने में कितना समय लगा रहे हैं और छोटे-छोटे कामों में कितना समय बर्बाद कर रहे हैं। अक्सर ऐसा होता है कि हम अपना समय छोटे-छोटे कामों में लगा देते हैं। हम यह सोचते हैं कि पहले आसान और छोटे काम निबटा लें, इसके बाद आराम से अपने महत्वपूर्ण या बड़े काम निबटा लेंगे। बहरहाल, बाद में जाकर हमें इस दुखद तथ्य का एहसास होता है कि महत्वपूर्ण या बड़े कामों के लिए हमारे पास समय बचा ही नहीं है। यदि आप पैरेटो के सिद्धांत को याद रखेंगे, तो ऐसा कभी नहीं होगा!

बुरी ख़बर यह है कि समय उड़ता है। अच्छी ख़बर यह है कि आप इसके पायलट हैं।

— माइकल आल्थसुलर

2— समय के सर्वश्रेष्ठ उपयोग का सिद्धांत पार्किन्सन के नियम का लाभ भी ले सकते हैं।

समय के सर्वश्रेष्ठ उपयोग के लिए पार्किन्सन के नियम को भी जानना बहुत आवश्यक है। पार्किन्सन का नियम है, ‘काम उतना ही फैल जाता है, जितना इसके लिए समय होता है।’

इसका अर्थ यह है कि हमारे पास जितना काम होता है, हमारा समय भी उसी के अनुरूप फैलता या सिकुड़ता है।
यानी अगर हम कम समय में ज्यादा काम करने की योजना बनाएँगे, तो समय फैल जाएगा और वे सारे काम उसी अवधि में पूरे हो जाएँगे। दूसरी ओर, अगर हम उतने ही समय में कम काम करने की योजना बनाएँगे, तो समय सिकुड़ जाएगा और उतनी ही अवधि में हम कम काम कर पाएँगे।

पार्किन्सन के नियम का सिद्धांत बताता है कि लक्ष्य जितना बड़ा होगा, उपलब्धि भी उतनी ही बड़ी होगी। क्रिकेट मैच का उदाहरण देखें —

जब दूसरी टीम पहली टीम द्वारा निर्धारित लक्ष्य का पीछा करती है, तो इस बात से फ़र्क़ नहीं पड़ता कि उसके सामने 20 ओवर में जीत के लिए 225 रनों का लक्ष्य है या 275 रनों का।
लक्ष्य चाहे जो हो, आम तौर पर उसे अंतिम तीन-चार ओवरों में ही हासिल किया जाता है। यहाँ पर महत्वपूर्ण बात यह है कि दूसरी टीम उतने ही समय में अपने लक्ष्य तक पहुँचती है, चाहे उसका लक्ष्य छोटा हो या बड़ा। यही हमारे और आपके बारे में भी सही है। जो व्यक्ति बड़े लक्ष्य बनाता है, वह अपने सीमित समय का सर्वश्रेष्ठ उपयोग करने में सफल हो जाता है, जबकि छोटे लक्ष्य बनाने वाला अपने समय का सीमित उपयोग ही कर पाता है।

इसका एक और उदाहरण देखें —जब हम सैर-सपाटा करने या लंबी छुट्टियाँ मनाने जाते हैं, तो उससे कुछ दिन पहले हम अपने घर और ऑफ़िस के काम ताबड़तोड़ तरीक़े से निबटाने में जुट जाते हैं। उस सप्ताह में हम सामान्य से दुगुना या तिगुना काम कर लेते हैं। हम फटाफट काम करते हैं और कम समय में ज़्यादा काम करते हैं, क्योंकि हमें निश्चित समयसीमा में काम निबटाकर छुट्टियाँ मनाने जाना है। हमारे पास समय कम होता है और काम ज्यादा, लेकिन चूँकि हमारे सामने स्पष्ट लक्ष्य होता है, इसलिए हम उसे हासिल कर लेते हैं और यह पार्किन्सन के नियम की वजह से संभव हो पाता है।

जो ऊंची छलांग लगाना चाहता है, उसे लंबा दौड़ना होगा।
— डेनिश सूक्ति

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