Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

आज तो ‘गलती गोपाल की’ खबर ही दिलचस्प है!

ज्यादातर अखबारों ने रूटीन शीर्षक ही लगाए हैं

द टेलीग्राफ के पहले पन्ने की लीड

रफाल मामले में सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कल फिर एक अनूठी दलील दी गई। यह दलील अपने आप में और फिर किस मुकदमे के सिलसिले में दी गई – यह सब दिलचस्प है। पर आज के अखबारों में अजहर मसूद को वैश्विक आतंकवादी नहीं घोषित किए जाने का मामला ही दूसरे दिन भी छाया हुआ है। इस मामले में कल राहुल गांधी ने कटाक्ष किया कि, सरकार की कूटनीति गुजरात में जिनपिंग के साथ झूला झूलना, दिल्ली में गले लगना और चीन में घुटने टेक देना रही है। चीन के खिलाफ मोदी एक शब्द भी नहीं बोलते। तो अरुण जेटली ने कहा कि, इस मामले में मूल रूप से जवाहर लाल नेहरू दोषी है जिन्होंने सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भारत की बजाय चीन का पक्ष लिया था।

कायदे से इसे नजरअंदाज किया जाना था या सीधा जवाब देना था। पर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है, चीन ने 2009, 2016, 2017 व 2019 में भी मसूद के मामले में बाधा डाली थी. 2009 में तो केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। तब राहुल गांधी ने इस विषय पर कोई बयान दिया था या ट्वीट किया था? पर जो सरकार या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समर्थक सोशल मीडिया पर करते थे वह केंद्रीय मंत्री आम बोल चाल में और अधिकृत बयान के रूप में कहने लगे हैं।

इस मामले में उमर अब्दुल्ला ने कहा है, भाजपा सरकार आतंक के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने का दावा नहीं कर सकती क्योंकि मसूद के मामले में उसने चीन के सामने समर्पण कर दिया है। भाजपा की समस्या यही है। सुरक्षा परिषद में अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने की उसकी बहुप्रचारित कोशिश फिलहाल नाकाम रही – इसे स्वीकार नहीं करना है तो ऊल-जलूल बयान देने ही पड़ेंगे। यही हो रहा है और बयान आएंगे तो छपेंगे भी।

Advertisement. Scroll to continue reading.
जब रोज-रोज सुप्रीम कोर्ट में गलती हो जाए …

इस मामले में द टेलीग्राफ अलग है। आज की लीड का फ्लैग शीर्षक है, जिम्मेदारी टालने के लिए टाइम ट्रैवेल (समय बदलना) के पुरातन विज्ञान को नए सिरे से ढूंढा गया। मुख्य शीर्षक है नेहरू ने किया। अखबार ने इसके साथ वांटेड का एक दिलचस्प पोस्टर भी बनाकर लगाया है। (तस्वीर देखें) इसमें जवाहर लाल नेहरू उर्फ असली पापी लिखा है और यह भी कि अंतिम बार 27 मई 1964 को देखे गए थे। उनपर मौजूदा सरकार के आरोप तो बताये ही गए हैं यह भी लिखा है कि उनके पास न जाएं – खतरनाक और हथियारों से लैस हैं। खतरनाक हथियारों में उनकी किताबों के नाम लिखे हैं। टेलीग्राफ ने रफाल वाली खबर को पहले पन्ने पर, रफाल नोटिंग क्लेम ऑन टेस्ट शीर्षक से छापा है।

इसके मुकाबले हिन्दी अखबारों में दैनिक भास्कर ने इस खबर को लीड बनाया है जबकि अमर उजाला में टॉप पर है। भास्कर में फ्लैग शीर्षक है, “रफाल विवाद : पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई होगी या नहीं? सुप्रीम कोर्ट में फैसला सुरक्षित”। इसके साथ अखबार ने दो खबरें एक साथ छापी हैं। पहली, अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल की दलील, “चोरी के दस्तावेज में रफाल की कीमत है, जो सुरक्षा को खतरा है” और दूसरी, याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण की, सरकार ने खुद दस्तावेज लीक किए चोरी नही हुए”। इन दोंने खबरों के साथ अखबार ने एक तीसरी खबर तीन कॉलम में छापी है, सुप्रीम कोर्ट लाइव : सरकारी बोली – सीएजी रिपोर्ट दायर करने में चूक हुई, तीन पेज गायब थे। इस लाइव खबर के अंतर में अखबार ने लिखा है, इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया।

अमर उजाला में यह खबर टॉप पर है। सरकार ने माना, सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई कैग रिपोर्ट में जमा नहीं हुए तीन पेज। इसके साथ दो कॉलम की खबर है, कोर्ट ने कहा, भ्रष्टाचार या मानवाधिकर उल्लंघन मामलों में संवेदनशील दस्तावेज का भी खुलासा करना होता है। दैनिक जागरण में आज खबरों के पहले पन्ने पर विज्ञापन है और बची जगह मे जो खबरें लगी हैं उनमें रफाल की खबर नहीं है जबकि एक खबर चार कॉलम में प्रमुखता से छपी है। शीर्षक है, देश में बनने लगा चीन विरीधी माहौल। अखबार ने इसपर संपादकीय लिखा है, चीन का हाथ आतंक के साथ। मुख्य खबर मसूद अजहर वाली ही है, मसूद से दूसरे तरीके से निपटेंगे। खबरों के दूसरे पहले पन्ने पर अखबार ने रफाल वाली खबर को लीड बनाया है पर शीर्षक सरकारी पक्ष ही है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

हिन्दी अखबारों में नवोदय टाइम्स और दैनिक हिन्दुस्तान में यह खबर डबल कॉलम में है। हिन्दुस्तान में शीर्षक है, रफाल के लीक दस्तावेज हटाने पर फैसला सुरक्षित। नवोदय टाइम्स में शीर्षक है, राफेल पहले केंद्र की आपत्तियों पर होगा फैसला।

नवभारत टाइम्स ने पहले पेज पर सूचना भर दी है कि खबर अंदर है। पहले पन्ने पर शीर्षक है, “राफेल में ‘चोरी’ फाइलों पर फैसला पहले : कोर्ट”। अंतिम पन्ने पर खबर का फ्लैग शीर्षक है, “राफेल लीक पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने कहा”, बिना मंजूरी कोई नहीं दे सकता राफेल पेपर।

Advertisement. Scroll to continue reading.

राजस्थान पत्रिका में भी अजहर मसूद की खबर है, “आतंक के खिलाफ खुला खड़ा चीन, इधर भारत में शुरू हुई तू-तू मैं-मैं”। रफाल मामले में भी शीर्षक वही है, “सरकार ने माना रफाल पर सुप्रीम कोर्ट जमा कैग रिपोर्ट में छूट गए थे तीन पन्ने। इसके मुकाबले इंदौर के प्रजातंत्र अखबार का शीर्षक ज्यादा आकर्षक है, गलती गोपाल …!

टॉप पर जनहित की एक खबर है जो किसी और अखबार में इतनी प्रमुखता से नहीं दिखी। शीर्षक है, उड्डयन निदेशालय की चेतावनी के बाद भी हवाई किराया 63% तक बढ़ा। आप जानते हैं कि एक विमान दुर्घटना के बाद दुनिया भर में एक खास विमान के उड़ान पर रोक लगा दी गई है। भारत में भी इस विमान को आखिरकार उड़ाने से रोक दिया गया है। इस कारण विमान किराया बढ़ गया है। छिटपुट खबरें छप रही हैं कि एक निजी विमान सेवा ने संबंधित कंपनी के विमान उड़ाए। पर किराया इतना बढ़ा है तो निश्चित रूप से यह गंभीर मसला है और यात्रियों के लिए परेशानी। पर अखबार सरकार के लिए अजहर मसूद और इस कारण चीन के खिलाफ माहौल बनाने में लगे हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

वरिष्ठ पत्रकार और अनुवादक संजय कुमार सिंह की रिपोर्ट।

https://www.youtube.com/watch?v=uLygDrXpTUs
Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement