विश्व दीपक-
टोनी जी नहीं रहे. अब जबकि वो नहीं हैं तो मुझे उनकी याद आ रही है. काश उनके रहते हुए उनको याद कर लिया होता! लोग कहते हैं कि टोनी जी भगवान थे. हर जगह थे और कहीं भी नहीं थे. उनको खोजना मुश्किल था. लेकिन अगर आपकी तपस्या में दम है तो वो ज़रूर चलकर, बिना बुलाए आप तक पहुंच जाते थे.
टोनी जी के बारे में कहा जाता है कि सुल्तानपुरी की गलियों से लेकर साउथ ब्लॉक के बैठकखाने तक हर जगह वो बराबर दखल रखते थे. रफाएल डिफेंस डील पर स्टोरी करने के बाद टोनी जी ने बुलवाया था. कई बार फोन करवाया, मैसेज भिजवाया लेकिन मैं ही भागता रहा.
उनके महत्व को, समय रहते समझ नहीं पाया. बाद में जब अनिल अंबनी ने 5,000 करोड़ का मुकदमा ही कर दिया तो टोनी जी के संदेश आने बंद हो गए. सुनने में आया कि टोनी जी मुकदमे के खिलाफ थे लेकिन मोदी सरकार के बहकावे में आकर अनिल अंबानी ने उनकी सलाह को दरकिनार कर दिया. इतिहास गवाह है कि टोनी जी सही थे.
टोनी जी के अंदर कितना टैलेंट था. इसका पता इस बात से भी चलता है कि 1985 से ही वो दिल्ली के पॉवर कॉरिडोर में आवाजाही कर रहे थे लेकिन उनकी एक ढंग की तस्वीर तक किसी के पास नहीं. यहां तक कि गूगल के पास भी नहीं. हालांकि टोनी जी का अप्वाइंटमेंट धीरूभाई ने किया था लेकिन बाद में रिलांयस विभाजन के बाद वो अनिल अंबानी के साथ चले गए.
यह टोनी जी का ही टैलेंट था कि नीरा राडिया की गुप्त बातचीत वाले टेप हर अखबार, टीवी चैनल्स के दरवाजे तक हवा में उड़कर पहुंच गए. रतन टाटा की साख को जितना बड़ा झटका टोनी जी ने दिया, कोई और नहीं दे पाया. टोनी जी नहीं होते तो विनोद मेहता “आउटलुक” में राडिया टेप कांड की स्क्रिप्ट नहीं छाप पाते.
हालांकि बातचीत तो टोनी जी भी करते थे लेकिन उसका रिकॉर्ड किसी के पास नहीं होता था. कमस से अगर मैं भगवान होता तो टोनी जी को रॉ का प्रमुख बनाता. सारे दुल्लत, दुग्गल उनके सामने पानी भरते. कहने को तो टोनी जी के बारे में बहुत कहा जा सकता है लेकिन अब जबकि वो नहीं हैं तो क्या ही कहा जाए. अस्तु श्रद्धांजलि!