आम चुनाव 2024 के पिछले सप्ताह शुरू हुए सात चरणों के मतदान के बाद, न्यूज़ चैनलों को दर्शकों की संख्या में बढ़ोतरी का अनुभव हो रहा है. इससे विज्ञापन सूची की डिमांड बढ़ने के साथ राजस्व के आंकड़ों में वृद्धि दर्ज की जा रही है. इन सबमें खास बात ये है कि इस दौरान चैनल भी अपनी मनमर्जी विज्ञापन दाम वसूलते हैं.
आंकड़ों के अनुसार, मीडिया इंडस्ट्री को इस वर्ष पिछले साल तिमाही Q1 की तुलना.. ऐड रेवेन्यू में 25-30 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है. साथ ही पिछले वर्ष की पहली छमाही H1 की तुलना में 15-20 प्रतिशत बढ़त का अनुमान है. इसका कारण है कि राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों और वकालत समूहों तथा विज्ञापनदाताओं ने चुनाव के दौरान अपने विज्ञापनों को बढ़ा दिया है, जिसके चलते टीवी न्यूज़ उद्योग के लिए ऐड रेवेन्यू का मजबूत रास्ता बनता नजर आया है.
एबीपी नेटवर्क की मुख्य राजस्व अधिकारी रूपाली फर्नांडीस ने राजस्व वृद्धि को लेकर कहा कि, “2024 के फरवरी और मार्च से गति लगातार बढ़ रही है और जैसे-जैसे मतदान के दिन करीब आएंगे, इसके और बढ़ने की उम्मीद है. नेटवर्क के प्रमुख कार्यक्रमों, जैसे कौन बनेगा प्रधानमंत्री, घोषणापत्र और मोदी फैक्टर ने विज्ञापनदाताओं के बीच दिलचस्पी पैदा की है. चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही हैं, मतदान के दिनों, एग्जिट पोल और विशेष तौर पर मतगणना के दिन विज्ञापन स्लॉट के लिए प्रतिस्पर्धा तेज हुई है.”
एनडीटीवी नेटवर्क के रेवेन्यू हेड, मनदीप सिंह के अनुसार, “चैनल को क्यू124 में अपनी टॉप लाइन पर 30 प्रतिशत से अधिक की उम्मीद है, जो इस साल मुख्य रूप से चुनाव के कारण हुई गति को देखा जा रहा है.”
भारत एक्सप्रेस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी वरुण कोहली ने कहा कि, “उन्हें पिछले साल की अप्रैल-जून तिमाही के कंपेयर इस बार राजस्व में 50 प्रतिशत उछाल की उम्मीद है.”
न्यूज़ एक्स के मैनेजिंग एडिटर ऋषभ गुलाटी कहते हैं, “यह देखना आश्वस्त करने वाला है कि जब महामारी या आम चुनाव जैसे राष्ट्रीय महत्व के क्षण आते हैं तब दर्शक और विज्ञापनदाता दोनों टेलीविजन न्यूज़ के मौजूदा मूल्य को पहचानते हैं.”
इंडिया डेली लाइव के मुख्य राजस्व अधिकारी, जितेंद्र कुमार पिछले साल की तुलना में इस साल पहली तिमाही में विज्ञापन राजस्व में 25-30 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाते हैं. उन्होंने कहा, “हमारी प्राथमिकता ग्रामीण बाजार में है इसलिए, पहली तिमाही में हमें 3.5-4 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है, और पहली छमाही में लगभग 9-10 करोड़ रुपये राजस्व होने का अनुमान है.”
एलारा कैपिटल के एसवीपी, करण तौरानी के अनुसार, “चुनाव के कारण समाचार उद्योग में लगभग 5-6 प्रतिशत की बढ़त देखी जा रही है. टीवी समाचार उद्योग का कारोबार लगभग 3000 करोड़ रुपये के करीब है और इसकी स्थिर राज्य वृद्धि लगभग 4-5 प्रतिशत है. जब चुनावी वर्ष आता है तो आप 8-10 प्रतिशत की वृद्धि देखते हैं. चुनाव समग्र उद्योग के लिए 150-200 करोड़ रुपये का बढ़ावा प्रदान करते हैं.”
रेट बढ़ाकर मोटी कमाई करते हैं चैनल
चुनाव के दौरान विज्ञापन की जगह को लेकर बढ़ती मांग के कारण स्लॉट की उपलब्धता में कमी रहती है, विशेष रूप से प्राइम-टाइम और लाइव चुनावी बहसों के दौरान. चुनाव में एफएमसीजी, ऑटो, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, मोबाइल हैंडसेट, इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी कंपनियां अपना प्रोडक्ट दिखाने के उद्देश्य से जुड़ती हैं, जिसे विज्ञापन दरों में उछाल की दरों के साथ देखा जाता है.
एबीपी न्यूज़ की रूपाली फर्नांडीस कहती हैं, “चुनाव के दौरान समाचार चैनलों को विज्ञापन स्लॉट की मांग में वृद्धि का अनुभव वैसे होता है जैसे दिवाली या शादी के मौसम में आभुषण दुकानों में बढ़ी हुई गतिविधि देखी जाती है. चुनाव कवरेज और मतदान के दिनों में बढ़ती मांग के कारण टीवी और डिजिटल दोनों प्लेटफार्मों पर विज्ञापन दरें आम तौर पर 40 से 50 प्रतिशत तक बढ़ जाती हैं. इसके बाद प्रतिष्ठित चैनल टीवी पर विज्ञापन की जगह के लिए प्रीमियम कीमतों का आदेश देते हैं.
विज्ञापनदाता इस महत्वपूर्ण अवधि के दौरान शो की लोकप्रियता का लाभ उठाते हुए एक मूल्यवान और प्रभावशाली विज्ञापन वातावरण में निवेश करने की उम्मीद कर सकते हैं. बढ़ती मांग के साथ विज्ञापन दरें उंची हो जाती है.
वहीं इंडस्ट्री के कुछ सूत्र बताते हैं कि चुनाव के दौरान कुछ समाचार चैनल विज्ञापन दरों में 50 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि करते हैं. जबकि अन्य 100 प्रतिशत तक बढ़ाते हैं. इसके अलावा काउंटिंग के दिन इन्वेंट्री प्रीमियम दरों पर बेची जाती है, जो 200 प्रतिशत तक बढ़ जाती है.
उदाहरण के तौर पर, एक प्रमुख हिंदी न्यूज़ चैनल जो आमतौर पर 5,000 रुपये में 10 सेकंड का स्लॉट बेचता है, अब वह इतने समय को 75-80 हजार रुपये में बेच रहा है. इसी तरह जो चैनल 2000 रुपये में स्लॉट बेच रहा वह चुनावी वक्त 50-60 हजार में बेच रहा है. छोटे चैनल जो 1000-1500 रुपये में स्लॉट दे रहे थे, वे अब 20 हजार में बेचेगा.
जानकारों का मानना है कि चुनाव के दौरान..मतदान, एग्जिट पोल, विशेष चुनाव नेतृत्व वाली पहल, मतगणना और सरकार गठन जैसे महत्वपूर्ण दिनों पर कई समाचार चैनलों को पर्याप्त प्रीमियम मिलता है. यही कारण है कि चुनाव अथवा विशेष दिनों उनकी विज्ञापन दरें 3-4 गुना तक बढ़ गई हैं.