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टीवी9 के पूर्व सीईओ रवि प्रकाश ने चैनल संचालित करने वाली कम्पनी पर दावा ठोंका

श्वेता सिंह-

रवि प्रकाश ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के समक्ष एक याचिका दायर कर एसोसिएटेड ब्रॉडकास्टिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड पर अपना हक जमाने की कोशिश की है। कुछ महीनों की खामोशी के बाद लोकप्रिय टेलीविजन चैनल टीवी 9 के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी वी रवि प्रकाश फिर सुर्खियों में छा गये हैं। इस बार वह चैनल पर अपना कब्जा जमाने के मूड में दिख रहे हैं। एबीसीएल कंपनी टीवी 9 समूह का मालिक है और इसका संचालन करता है।

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टीवी 9 के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी वी.रवि प्रकाश ने कंपनी प्रबंधन पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए हैदराबाद में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) का रुख किया है। वह एसोसिएटेड ब्रॉडकास्टिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड (एबीसीएल) के बड़े हिस्से को खरीद कर कंपनी अपनी मुट्ठी में करना चाहते हैं। गौरतलब है कि एबीसीएल के संस्थापक-निदेशक रवि प्रकाश को कंपनी के प्रमोटरों को धोखा देने के आरोप में पिछले साल 10 मई को निदेशक और सीईओ के पद से बर्खास्त कर दिया गया था।

उल्लेखनीय है कि माय होम ग्रुप और मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एमईआईएल) के संयुक्त उपक्रम अलंदा मीडिया एंड एंटरटेनमेंट लिमिटेड ने अगस्त 2018 में 90.54 प्रतिशत शेयर प्राप्त करके एबीसीएल को अपने कब्जे में ले लिया था और मई 2019 में नया बोर्ड नियुक्त किया था। हालाँकि, रवि प्रकाश बोर्ड से बर्खास्त होने के बाद भी अभी तक कंपनी में 8.82 प्रतिशत की मामूली हिस्सेदारी के मालिक हैं। पिछले 5 अक्टूबर को रवि प्रकाश को हैदराबाद की बंजारा हिल्स पुलिस ने कंपनी से 18.31 करोड़ रुपये की कथित रूप से जालसाजी करने के आरोप में गिरफ्तार किया था और 26 अक्टूबर को उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया था।

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एनसीएलटी में अपनी नवीनतम याचिका में रवि प्रकाश ने कहा है कि नये प्रबंधन द्वारा टीवी 9 चैनल का प्रबंधन संभाले जाने के बाद से ही कंपनी लगातार घाटे में चल रही है। रवि प्रकाश का आरोप है कि अगस्त 2020 में तैयार की गई कंपनी की मूल्यांकन रिपोर्ट में कहा गया है कि बाजार में कंपनी का वर्तमान शेयर मूल्य 78.32 रुपये प्रति शेयर है। उन्होंने कहा कि नये प्रबंधन ने जब कंपनी का जिम्मा संभाला था तब शेयर का मूल्य 252 रुपये था। उनका आरोप है कि 2018-19 में जो कंपनी कर चुकाने के बाद 16.78 करोड़ रुपये के फायदे में थी, वही कंपनी 2019-20 के वित्तीय वर्ष के अंत में 56.09 करोड़ रुपये के घाटे में चली गयी है। 2020-21 में कंपनी ने 58.78 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया है। उन्होंने कहा कि ऐसी हालत में आने वाले चार सालों में भी कंपनी उबर नहीं पायेगी।

कंपनी के पूर्व सीईओ रवि प्रकाश का कहना है कि उन्होंने कंपनी के नये प्रबंधन के सामने अपने बीस लाख शेयरों को 252 रुपये प्रति शेयर की मूल दर से बेचने का प्रस्ताव रखा था। हालांकि कंपनी उन शेयरों को बाजार मूल्य के अनुसार केवल 78.32 रुपये प्रति शेयर की दर से ही खरीदने को राजी है।

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रवि प्रकाश का आरोप है कि कंपनी ने यहां तक कहा है कि वो सिर्फ पांच लाख शेयरों के ही मालिक हैं, बाकि के 15 लाख शेयर आंशिक रुप से भुगतान किये गये शेयर हैं। उन्होंने दावा किया कि पूर्व के प्रबंधन ने 6 मई, 2019 को बाकि के शेयरों को भी पेड-अप इक्विटी शेयर में तब्दील कर दिया था। रवि प्रकाश का दावा है कि उन्होंने बाकि के 15 लाख शेयरों के एवज में 1.35 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया था। उन्होंने कहा कि बोर्ड के प्रस्तावों और भुगतान का विवरण रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय को भेजा गया था। रवि प्रकाश ने एनसीएलटी से अनुरोध किया है कि उन्हें कंपनी के तमाम शेयरों को कम कीमत में खरीदने की अनुमति दी जाए। 78.32 रुपये में खरीदने की अनुमति प्रदान करें। उनका कहना है कि कंपनी ने अपनी वैल्यूएशन रिपोर्ट में जाहिर किया है कि शेयर की कीमत घटकर 78.32 रुपये हो गई है। इस तरह से नये प्रबंधन ने कंपनी को नुकसान की ओर ढकेला है।

एबीसीएल के एक शीर्ष अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि रवि प्रकाश को एनसीएलटी में दायर की गयी याचिका का कोई फायदा नहीं मिलने वाला है। उन्होंने बताया कि जब कोई अपने शेयरों को बेचना ही नहीं चाहता है तब रवि प्रकाश के शेयरों को खरीदने का सवाल ही कहां उठता है। ऐसे में वह भला किस तरह से प्रबंधन पर अपना अधिकार जमा सकते हैं। एनसीएलटी वर्तमान प्रबंधन को रवि प्रकाश को अपने शेयर बेचने का आदेश नहीं दे सकता है। जब तक मौजूदा शेयरधारक अपना दांव बेचने को तैयार नहीं होते, तब तक वह उन्हें नहीं खरीद सकता।

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पत्रकार श्वेता सिंह की रिपोर्ट.

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