वाराणसी में जिलाधिकारी ने प्रेस कार्ड देखने के बहाने पत्रकारों से की हाथापाई

Share the news

वाराणसी : बीएचयू में छात्रों पर बल प्रयोग से पहले प्रशासन और पुलिस को रिपोर्टिंग करने पहुंच पत्रकार रास्ते का रोड़ा दिखे। उन्हें वहां से हटाने की ओछी तरकीब जब कारगर होती न दिखी तो जिलाधिकारी पत्रकारों से हाथापाई पर उतर आए। इसके बाद कुछ पत्रकार वहां से खिसक लिए और कुछ एक अधिकारियों के तलवे सहलाने में जुट गए। इस बीच प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में फोर्स ने हॉस्टल खाली करा लिया।

पं मदनमोहन मालवीय को भारतरत्न मिलने के 20 दिन के भीतर ही उनकी बगिया एक बार फिर आंदोलनकारियों की भेट चढ़ गयी. क्रिकेट खेलने को लेकर शुरू हुआ विवाद इतना बढ़ गया कि विश्वविद्यालय प्रशासन अपने हाथ खड़ेकर जिला प्रशासन से मदद माँगने लगा. विश्वविद्यालय ने मदद क्या मांग ली कि बीएचयू को  जिला प्रशासन ने छावनी में तब्दील कर दिया. जिलाधिकारी, एसएसपी जनपद की फ़ोर्स सहित पीएससी लाठी भाजने को तैयार हो गयी. जैसे-जैसे रात हुई. फोर्स सख्त रूप धारण करती गई. प्रशासन को विधि छात्रावास पर इक्कठे देख विधि के छात्र जिला प्रशासन के खिलाफ हॉस्टल से नारेबाजी करने लगे. जिला प्रशासन को नारेबाजी नागवार गुजरी. प्रशासन ने रणनीति बनाई कि लॉ छात्रावास में घुसकर छात्रों की धुनाई की जाए और इनके ऊपर मुक़दमे दर्ज किए जाए. 

इसी बीच डीएम और एसएसपी की नजर पत्रकारों पर पड़ी. पत्रकार उनकी राह में अवरोधक दिखे. इसके बाद पुलिस कप्तान ने पत्रकारों पर तंज कसना शुरू किया ताकि पत्रकारों की तरफ से कोई प्रतिक्रिया आए तो हाथ साफ़ किया जाए लेकिन माहौल को समझते हुए पत्रकारों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. इसके बाद जिलाधिकारी ने वहां मौजूद दर्जनों पत्रकारों को बुलाया और प्रेस-कार्ड दिखाने को कहा. दैनिक जागरण से बीएचयू बीट देखने वाले दिनेश सिंह ने प्रेस-कार्ड घर भूलने की बात कही तो डीएम प्रांजल यादव सभी मर्यादा लांघकर पत्रकारों से हाथापाई पर उतारू हो गए. 

इतना होने के बाबजूद कुछ चाटुकार डीएम-एसएसपी की जी-हुजूरी में लगे रहे. अंत में पत्रकारों को बीएचयू से बाहर निकालने के बाद प्रशासन ने लॉ छात्रावास भगवानदास को खाली करा दिया. पूरा मामला यह था कि लॉ के छात्र आईटी के मैदान में क्रिकेट खेलने लगे. दो ओवर बचा ही था कि आईटी के छात्र ग्राउंड में आकर खाली  कराने लगे. इसी दौरान आईटी-लॉ के छात्रों में ग्राउंड में ही गुत्थम-गुत्थी हो गई. दो घंटे बाद दोनों गुटों के छात्रों में बदले की ज्वाला भड़क गयी और दोनों तरफ से पत्थरबाजी के साथ-साथ पेट्रोलबम में फेके गए . सूचना तो यहाँ तक थी कि आईटी के छात्रो की संख्या काफी ज्यादा होने के कारण लॉ छात्रावास में घुसकर आईटी ने मारपीट की जिसमे लॉ छात्रावास के वार्डन गंभीर रूप से घायल हो गए.

इतना होने के बावजूद कुलपति छात्रों के बीच डीएम के बुलाने पर आए. अब प्रश्न यह कि लाखो रुपए प्रतिमाह खर्च कर बीएचयू का सुरक्षातंत्र और खुफिया विभाग बार-बार फेल क्यों होता है. भारी मात्रा में पत्थर और पेट्रोलबम छात्रों के पास इक्कठा हुए और इसकी भनक विश्वविद्यालय के खुफियातंत्र को नहीं हुई? आखिर प्रश्न उठना यह भी लाजमी है कि जिला प्रशासन लॉ के छात्रों को ही निशाना क्यों बनाता है, आईटी के छात्रों के साथ दरियादिली क्यों? चाहे दलीलें कुछ भी हों, लोगों का कहना है कि बीएचयू में यदि छात्र उग्र होते हैं तो ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए कि विश्वविद्यालय ही उन्हें शांत कराए क्योंकि बच्चे लाठी खाने के लिए नहीं होते. जब-जब बीएचयू में बवाल हुआ है तो देखा गया है कि बाहरी अराजकतत्व मुंह बांधकर मौके का फायदा उठाते हैं और अंत में गाज छात्रों पर गिरती है. लोगों की मांग है कि बीएचयू प्रशासन को कदापि जिला-प्रशासन के हाथ छात्रों को नहीं छोड़ना चाहिए.

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *