नया नहीं है प्रो. गिरीश चंद्र त्रिपाठी का मनमाना और तानाशाहीपूर्ण रवैया

प्रो गिरीश चंद्र त्रिपाठी और आईआईटी बीएचयू,  वाराणसी के बोर्ड आफ गवर्नर की चौथी बैठक के मिनट्स का विवाद

शिक्षकों और विद्यार्थियों के साथ ही साथ बनारस के आम लोगों का यह मानना है कि प्रो त्रिपाठी का अपने पद पर बने रहना ; कुलपति होने के नाते बीएचयू के कार्यपरिषद और साथ ही आईआईटी.बीएचयू के बीओजी का चेयरमैन बने रहना न सिर्फ़ इन दोनो प्रतिष्ठित संस्थाओं के हित में नहीं है बल्कि इन पदों की गरिमा का अवमूल्यन है। ऐसे में यह आवश्यक है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय राष्ट्रीय महत्व के इन दो संस्थानो के हितों की सुरक्षा के लिए तत्काल आवश्यक क़दम उठाये…

पढ़ाकू अमर भइया जब लड़कियों को देखते तो बिना कमेंट कसे रह नहीं पाते थे!

Ashwini Sharma : बीएचयू में पढ़ाई के दौरान मेरी अमर भइया से पहचान हुई ..अकसर वो बीएचयू की लाइब्रेरी में पढ़ाई करते मुझे मिल जाते थे..आमतौर पर वो बेहद शांत दिखते थे लेकिन जब वो महिला हॉस्टल के पास से निकलते थे या फिर किसी छात्रा को आते जाते देखते थे तो उनका असली चेहरा सामने आ जाता था..वो लड़कियों पर बिना कमेंट कसे नहीं रह पाते थे..

पत्रकारों पर हमले के खिलाफ और सुरक्षा की मांग को लेकर लखनऊ व मऊ में मीडियाकर्मियों ने किया प्रदर्शन

पत्रकारों की लगातार हो रही हत्याओं व हमलों को लेकर राजधानी लखनऊ के पत्रकारों ने एकजुट होना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में कल दर्जनों पत्रकारों ने हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा पर सामूहिक प्रदर्शन किया। महामहिम राज्यपाल को ज्ञापन प्रेषित करते हुए पत्रकारों पर लगातार हो रहे हमलों की जाँच हेतु विशेष प्रकोष्ठ बनाये जाने की मांग उठाई गई। इस अवसर पर न्यूज़ पेपर एसोसिएशन ऑफ़ उत्तर प्रदेश द्वारा राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकार राजेंद्र प्रसाद द्वेदी पर हाल ही में परिवहन कार्यालय लखनऊ में हुए हमले में की जा रही विवेचना में हीलाहवाली बरते जाने पर भी पत्रकारों ने नाराजगी व्यक्त की। साथ ही लापरवाह व दोषी अधिकारयों के विरुद्ध शीघ्र कार्यवाही किये जाने की मांग महामहिम राज्यपाल को ज्ञापन देकर की।

क्या सीएम आवास के सामने धरना रोकने के लिए कुछ पत्रकार जोर लगा रहे थे?

लखनऊ : बनारस में पत्रकारों पर हुए हमले ने लखनऊ के पत्रकारों के अन्दर वो जोश पैदा कर दिया जो लंबे समय से गायब था। कल सुबह यू.पी. के प्रमुख सचिव गृह द्वारा बनाये गए ग्रुप पर 4पीएम के संपादक संजय शर्मा ने लिखकर डाला कि ”बस बहुत हो गया अत्याचार, चलिये सीधे एक बजे सीएम के घर के बाहर जमीन पर बैठते है, या तो इंसाफ मिलेगा या लाठी!” यह एक बड़े बदलाव की बात थी, क्योंकि लखनऊ की मीडिया का जोश अपने स्वार्थोंं के चलते गायब हो जाता है।

बनारस में घायल पत्रकार साथियों से मिले हेमन्त तिवारी

वाराणसी :  बनारस में प्रधानमंत्री का कार्यक्रम और बीएचयू में छात्राओं के धरने की कवरेज कर रहे पत्रकारों पर हुए बर्बर लाठीचार्ज की सूचना पर रविवार की दोपहर राज्य मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के अध्यक्ष हेमन्त तिवारी घटनास्थल पर पहुंचे. उन्होंने घायल पत्रकारों से मुलाकात की और घटना स्थल के अंतर्गत आने वाले बनारस के थाना लंका में जाकर प्राथमिकी संख्या 1180/17 दर्ज कराई. घटना के संदर्भ में दोषी पुलिसवालों के खिलाफ धारा 323, 325, 352 और 393 के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है.

लखनऊ के पत्रकारों के धरने का असर, सीएम ने किया ट्वीट, कार्रवाई का आश्वासन

लखनऊ के पत्रकारों के सीएम आवास पर धरने से शासन-प्रशासन में हड़कंप. सीएम से लेकर डिप्टी सीएम और डीएम से लेकर सचिवों तक ने लिया संज्ञान… सौ से ज्यादा पत्रकारों के तेवर देख सीएम को भी करना पड़ा ट्वीट. बनारस के कमिश्नर से जांच रिपोर्ट मांगी. कार्रवाई का दिया आश्वासन. पहले डीएम फिर सूचना निदेशक …

बीएचयू में फिर लाठीचार्ज से तनाव बढ़ा, आगजनी और पथराव की भी घटनाएं

Avanindr Singh Aman : बीएचयू में फिर लाठीचार्ज, आगजनी पथराव… बीएचयू में बीती रात की हिंसक घटनाओं के बाद विश्वविद्यालय परिसर को छावनी में तब्दील करके शांति बहाली की ओर बढ़ाया ही जा रहा था कि अचानक परिसर का माहौल एकाएक गर्म हो गया। दोपहर 12 बजे ब्रोचा छात्रावास के सामने से गुजर रहे ट्रैक्टर में आग लगा दी गई… वहीं एलडी गेस्ट हाउस चौराहे पर शांति मार्च निकाल रहीं छात्राओं पर प्राक्टोरियल बोर्ड के सुरक्षाकर्मियों ने लाठीचार्ज कर दिया। लाठीचार्ज में आधा दर्जन छात्राओं के घायल होने की सूचना है। इसके बाद त्रिवेणी छात्रावास के पास आन्दोलनकारियों ने जमकर पथराव किया। मौके पर पहुंचे सुरक्षाकर्मियों ने लाठी पटककर आन्दोलनकारियों को तितर-बितर किया।

बीएचयू में कर्फ्यू जैसी स्थिति, प्रशासन ने आंदोलनकारी छात्राओं को ‘राष्ट्रविरोधी’ करार दिया!

Gurdeep Singh Sappal : ये विरोध भी ‘एंटी नेशनल’ निकला। ज़रा कोई गिनती तो करे कि सरकार के हिसाब से अब कितनी यूनिवर्सिटीयों में ‘एंटी नेशनल’ पसरे हैं। अब सरकार है, सब जानती है। लेकिन ये तो बता दो सरकार कि पूरे देश में जो इतने देश-विरोधी आपने अब तक पहचान लिए हैं तो उनका आज तक आख़िर किया क्या है। क्या ‘एंटी नेशनल’ लोगों को सिर्फ़ लाठी चार्ज करके, टीवी पर गरिया के और बदनाम करके छोड़ दोगे? क्या देश के ख़िलाफ़ ग़द्दारी की बस इतनी सी सज़ा है? BHU में लड़कियों की माँग शायद सुरक्षा की थी। नारे भी ठीक ही थे। लेकिन फिर भी देश विरोधी निकले! अब तो सरकार एक लिस्ट जारी कर ही दो, कि देश में क्या क्या करना एंटी नेशनल है। वैसे भी आज ही के indian Express में ख़बर है कि गृह मंत्रालय ने पुलिस को लिखा है कि वह लोगों को कैशलेस लेनदेन करने के लिए बढ़ावा दें । तो एक नोटिस और भी निकाल दें कि क्या क्या माँग करना, क्या क्या नारे लगाना, कैसे कैसे विरोध प्रदर्शन देश विरोधी माने जाएँगे। बेचारे बच्चे और लोग अनजाने में तो ‘एंटी नेशनल’ न बन जाएँ।

राज्यसभा टीवी के संस्थापक और सीईओ रहे गुरदीप सिंह सप्पल की एफबी वॉल से.

बीएचयू में पुलिस ने मीडियाकर्मियों पर भी किया लाठीचार्ज, दर्जन भर से ज्यादा मीडियाकर्मी घायल

Rajendra Tripathi :  पुलिस ने मीडिया पर किया बर्बर लाठी चार्ज.. अभी कल ही मैने अपने फ़ेसबुक वॉल पर एक पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की बात आम की थी। एक बार फिर याद दिला देता हूँ। इस अधिकारी का कहना था कि पुलिस चौराहों पर दो काम करती है। पहला उगाही। दूसरा कुंठा में होने के कारण जनता से बदसलूकी। आज बीएचयू में हुई हिंसा में हमारे दो साथियों के साथ पुलिस की कुंठा ही सामने आई है। अमर उजाला के रिपोर्टर आलोक त्रिपाठी के सिर में गंभीर चोटें आई हैं। पुलिस ने परिचय देने के बाद भी उन पर बर्बरतापूर्वक लाठियाँ बरसाईं। इसी तरह फोटो जर्नलिस्ट धीरेंद्र कुमार जायसवाल भी शिकार हुए। सामने से आ रहे पत्थरों की तरफ़ इशारा कर के कहा – जाओ ….उधर जाकर फोटो लो, यहाँ हमारे पीछे क्यों खड़े हो। धीरेंद्र ने परिचय दिया, हाथ में कैमरा था पर उनके हाथ रुके नहीं। दोनों साथियों को रात में ही भेलूपुर के एक अस्पताल में ट्रीटमेंट कराया गया। पथराव में अमर उजाला के ही पुष्पेंद्र त्रिपाठी और फोटो जर्नलिस्ट जावेद अली और नरेंद्र यादव को पत्थर लगे हैं। अभी हाल ही में जस्टिस काटजू के हवाले एक मेसेज सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था कि बीएचयू जैसे हालातों की कवरेज करने वाले पत्रकारों के साथ सुरक्षा बल बदत्तमीजी ना करे। जस्टिस काटजू प्रेस कौंसिल ऑफ़ इंडिया के चैयरमैन रह चुके हैं। पुलिस ने बर्बरता का व्यवहार किया है। बताने के बावजूद दोनों के साथ हद दर्जे की बदसलूकी की….बर्बरता की है।

बीएचयू में आंदोलनकारी छात्राओं पर बर्बर लाठीचार्ज, पूरा देश सकते में (देखें वीडियोज)

अमित सिंह रघुवंशी : काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के इतिहास का काला अध्याय. 24 सितम्बर का दिन बीएचयू के 100 वर्षों के इतिहास में सबसे काला दिन के नाम से जाना जायेगा. तानाशाह कुलपति जी सी त्रिपाठी के दिशा निर्देश पर सबसे पहले त्रिवेणी संकुल में महिला वार्डेन द्वारा लड़कियों के साथ धक्का मुक्की की गई, उन्हें रोका गया. लड़कियां तथा कुछ लड़के जब कुलपति आवास पर गयी तो उन पर लाठी चार्ज किया गया, जिससे दो लड़कियों को गम्भीर चोट लगी तथा एक छात्र का हाँथ टूटा, उसके बाद लंका पर प्रोटेस्ट कर रही लड़कियों के ऊपर पुलिस प्रशासन और पीएसी द्वारा बिना महिला पुलिस के लाठी चार्ज की गई तथा एमएमवी गेट के अंदर खड़ी लड़कियों के ऊपर लाठी चार्ज किया गया, उसके बाद बिरला छात्रावास पर छात्रों के ऊपर पेट्रोल बम, रबर की गोली मारी गयी. महामना के बगिया का इतना शर्मनाक दिन आज से पहले कभी नही देखा गया, और लड़कियों के ऊपर हुये लाठीचार्ज का जिम्मेदार कुलपति है!

बीएचयू में सुरक्षाकर्मी से लेकर वीसी तक छात्राओं के बारे में गलत बोलते-सोचते हैं!

पहली नहीं है बीएचयू में छेड़खानी की घटना… भारत के नामचीन बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में छात्राओं से छेड़खानी की घटना पहली बार नही है। आये दिन कोई न कोई लड़की ऐसी वारदात का शिकार होती ही रहती है। इसके पीछे कारण साफ है कि बीएचयू प्रशासन द्वारा इन मामलों को गंभीरता से नहीं लिया जाता। और तो और, बीएचयू वीसी की छात्राओं के बारे में यदा-कदा अपत्तिजनक बयानों के लिए आलोचनाएं भी होती रहती हैं। कभी वे शोधार्थी छात्राओं के बारे में कहते हैं कि ये अपनी दहेज का पैसा जुटा रही हैं तो कभी वो बयान देते हैं कि लड़कियों को अपने भाइयों के लिए पढ़ना छोड़ देना चाहिये। कुछ दिन पहले ही बीएचयू के महिला महाविद्यालय की छात्राओं ने भेदभाव का आरोप बीएचयू प्रशासन पर लगाया था जिसमें फीस से लेकर कपड़े पहनने, भोजन आदि से जुड़ी भेदभावपूर्ण विसंगतियों का जिक्र छात्राओं ने किया था।

पत्रकार से शिक्षिका बनीं डा. शोभना ने बीएचयू के प्रोफेसर कुमार पंकज के खिलाफ दर्ज कराया मुकदमा

बनारस हिंदू विश्‍वविद्यालय के कला संकाय के डीन, पत्रकारिता विभाग के प्रभारी और हिंदी के वरिष्‍ठ अध्‍यापक डॉ. कुमार पंकज के खिलाफ़ शनिवार की दोपहर बनारस के लंका थाने में एक दलित शिक्षिका ने एफआईआर दर्ज करा दी. दलित शिक्षिका का नाम डॉ. शोभना नर्लिकर हैं जो पत्रकारिता विभाग की रीडर हैं. वे 15 साल से यहां पढ़ा रही हैं. डॉ. शोभना पत्रकारिता शिक्षण में आने से पहले पांच वर्ष तक लोकमत समाचार और आइबीएन में बतौर पत्रकार काम कर चुकी हैं.  

बीएचयू पीएचडी एंट्रेंस की टॉपर बनी आदिवासी लड़की

Tauseef Goyaa : देश में वैसे तो दलितों और आदिवासियों की स्थिति सामान्य नहीं है। जेएनयू जैसे संस्थान में अभी तक दूर दराज और वंचित तबके से आने वाले छात्रों के लिए डिप्राइवेशन प्वाइंट मिलते थे। लेकिन अब बंद कर दिए गए हैं। ऐसे में वंचित तबके से आने वाले छात्रों को शिक्षा के द्वार बंद करने की कोशिश की जा रही है। जो व्यक्ति अपने पेट की आग को ठंडा करने के लिए सारा दिन काम करता है और तब भी बमुश्किल ही सारे परिवार के लिए खाना जुटा पाता है उससे यह उम्मीद करना करना की वह पैसे के बल पर अपने बच्चे को स्कूल भेजेगा बेमानी ही है। इन सबके बीच जब कोई आदिवासी छात्र बीएचयू जैसे संस्थान से पीएचडी की प्रवेश परीक्षा निकालता है तो यह बड़ी बात होती है।

अपनी गलती छिपाने के लिए बीएचयू प्रशासन ने पत्रकारों से की बदतमीजी, स्टिंग करने वाले डॉक्टर को किया नजरबन्द

वाराणसी : काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. ओमशंकर ने स्टिंग सीडी मीडिया को देने के लिए गुरूवार की दोपहर 12 बजे अपने आवास पर प्रेसवार्ता बुलाई लेकिन अपनी गलती छिपाने के लिए बीएचयू प्रशासन ने मीडिया से मिलने नहीं दिया। प्रेसवार्ता की सूचना विश्वविद्यालय प्रशासन को मिलते ही हंगामा मच गया। सच्चाई छिपाने के लिए विश्वविद्यालय के सुरक्षाकर्मियों सहित आलाधिकारियों ने उनके आवास पर पहुंचकर डॉ. ओमशंकर को घर में अंदर ही नजरबन्द कर दिया। जब पत्रकार उनके आवास पर अंदर जाने लगे तो बीएचयू सुरक्षाकर्मियों और अधिकारियों ने उनसे धक्कामुक्की की। 

वाराणसी में जिलाधिकारी ने प्रेस कार्ड देखने के बहाने पत्रकारों से की हाथापाई

वाराणसी : बीएचयू में छात्रों पर बल प्रयोग से पहले प्रशासन और पुलिस को रिपोर्टिंग करने पहुंच पत्रकार रास्ते का रोड़ा दिखे। उन्हें वहां से हटाने की ओछी तरकीब जब कारगर होती न दिखी तो जिलाधिकारी पत्रकारों से हाथापाई पर उतर आए। इसके बाद कुछ पत्रकार वहां से खिसक लिए और कुछ एक अधिकारियों के तलवे सहलाने में जुट गए। इस बीच प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में फोर्स ने हॉस्टल खाली करा लिया।

बीएचयू कांड ने हम पत्रकारों को समझा दिया…. मीडिया निष्तेज तलवार हो चुकी है…

BHU हंगामे के दूसरे दिन हम तब अवाक रह गए जब जिला प्रशासन ने खवरनवीसों को आइना दिखाते हुए मेडिकल कालेज से आगे बढ़ने से ही रोक दिया… कुछ बायें दायें से रुइया हास्टल चौराहे तक पहुंचे लेकिन यहाँ पहले से ज्यादा की तादात में डटे वर्दीधारियों ने प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के लोगों के साथ आंय-बांय करते हुए इन्हें आगे नहीं जाने दिया… एक दो बार के असफल प्रयास के बाद अखबार के रिपोर्टर, फोटोग्राफर, चैनल के कैमरापर्सन, स्ट्रिंगर और रिपोर्टर समझौतावादी नीति के तहत वहीं अपनी-अपनी धूनी जमा ली… लेकिन कुछ खुरचालियो किस्म के खबरनवीसों ने धोबिया पछाड़ दाँव लगाते हुए पुलिसिया करतूत को कैमरे में कैद कर ही किया…

मोदी की बनारस यात्रा : स्मृति ईरानी से मात खाकर हर्षवर्धन को औकात बोध हो गया!

Sheetal P Singh : प्रधानमंत्री की आज होने वाली बनारस यात्रा से “ट्रामा सेन्टर” के शिलान्यास कार्यक्रम को रद्द कराने में मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी कामयाब हो गईं। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन अपनी सारी कोशिशों के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मनाने में नाकामयाब साबित हुए। उन्होंने पिछले कार्यक्रम (जो टल गया था, अब हो रहा है) में इसे सबसे प्रमुख कार्यक्रम तय कराया था। क़रीब २०० करोड़ की लागत से बीएचयू में बना ट्रामा सेंटर पिछले डेढ़ साल से उद्घाटक की प्रतीक्षा कर रहा है।