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सुख-दुख

NBT के रामेश्वर जी ने मेरे वोटों का बंटवारा कर दिया : विभूति रस्तोगी

ईमानदारी से मेहनत की थी, प्रेस क्लब की बेहतरी के लिए काम करता रहूँगा

दोस्तों

आप सभी को नमस्कार

अभी अभी सोकर उठा हूँ। मैंने प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में मैनेजिंग कमेटी सदस्य के लिए चुनाव बेहद शिद्दत और ईमानदारी के साथ लड़ा था। सच बताऊँ, प्रेस क्लब में बहुत कुछ ठीक नहीं चल रहा है। भ्रष्टाचार का बोलबाला है। वहां काफी कुछ किया जा सकता है। मैं इसी वजह से मात्र 7 दिन पहले चुनाव लड़ने का मूड बनाया और बाला जी पैनल से चुनाव लड़ा। 6 दिन तक धुंआधार प्रचार किया। सभी अग्रज और अपने मित्र पत्रकारों से मिला। आप सभी ने दिल से साथ दिया और मेरा खूब उत्साह बढ़ाया। इसका मैं ऋणी हूँ।

ईमानदारी से मेहनत की थी, प्रेस क्लब की बेहतरी के लिए काम करता रहूँगा

दोस्तों

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आप सभी को नमस्कार

अभी अभी सोकर उठा हूँ। मैंने प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में मैनेजिंग कमेटी सदस्य के लिए चुनाव बेहद शिद्दत और ईमानदारी के साथ लड़ा था। सच बताऊँ, प्रेस क्लब में बहुत कुछ ठीक नहीं चल रहा है। भ्रष्टाचार का बोलबाला है। वहां काफी कुछ किया जा सकता है। मैं इसी वजह से मात्र 7 दिन पहले चुनाव लड़ने का मूड बनाया और बाला जी पैनल से चुनाव लड़ा। 6 दिन तक धुंआधार प्रचार किया। सभी अग्रज और अपने मित्र पत्रकारों से मिला। आप सभी ने दिल से साथ दिया और मेरा खूब उत्साह बढ़ाया। इसका मैं ऋणी हूँ।

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प्रेस क्लब का चुनाव लड़कर पता चला कि मुझे वाकई दिल्ली में संपादक, वरिष्ठ पत्रकार, समकक्ष पत्रकार और अनुज पत्रकारों ने बहुत साथ दिया। वाकई सर, बहुत साथ दिए आप लोग। हर बार प्रेस क्लब में दो पैनल बनते हैं। लेकिन इस बार चार पैनल बने। इसी के साथ मेरे समय में ही दिल्ली लोकल से हबीब अख्तर जी का पैनल बन गया जिसमें कई ऐसे थे जिनकी वजह से न चाहते हुये मेरे वोट का ठीकठाक बंटवारा हो गया। हालाँकि वोटिंग वाले दिन मैंने खुद लोकल पत्रकारों से अनुरोध करता रहा कि भाई मैं गंभीरता के साथ चुनाव लड़ा हूं, मुझे आप वोट देते हैं तो मैं आगे निकल सकता हूँ। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

NBT से रामेश्वर जी को 113 वोट मिले जो 100% मेरे वोटर पत्रकारों से ही बंटवारा हुआ है। अगर रामेश्वर जी गंभीरता से लड़ते तो मुझे बहुत ज्यादा ख़ुशी होती। मैं उनका छोटा भाई हूँ, उनकी पूरी मदद करता। फिर हम दोनों में से कोई जीत जाता। कई फैक्टर इसी बार हुआ क्योंकि मैं इसी बार जो चुनाव लड़ रहा था। मुझे कुछ भी बहुत ज्यादा संघर्ष के बाद मिलता है। हालाँकि मैंने बहुत ज्यादा मेहनत की थी। तभी मनोरंजन भारती से लेकर ज्यादातर लोगों ने कहा कि इस बार वाकई तुमने प्रेस क्लब के चुनाव को चुनाव बना दिया।

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15 ऐसे पत्रकार मित्र हैं जो वाकई मेरे घर, परिवार, दिल और दिमाग से बेहद करीब हैं बावजूद इसके वो मुझे वोट देने घर से निकले ही नहीं। इससे मेरा समीकरण कुछ गड़बड़ हो गया। मेरे पैनल में अध्यक्ष सहित सभी लोग बहुत अच्छे और जुझारू थे लेकिन बेवजह हमारे पैनल को संघी बोलकर बदनाम किया गया जिसका माकूल जवाब नहीं दिया जा सका। हालाँकि मेरी बहन और दूरदर्शन की सीनियर जर्नलिस्ट अनीता चौधरी जीत दर्ज करने में सफल रहीं। उन्हें बहुत बहुत बधाई।

खैर, दिल्ली में मुझे 235 पत्रकार प्यार करते हैं, यह मेरे लिए बहुत ही ज्यादा गौरव की बात है। माना जाता है कि प्रेस क्लब जैसे देश के पत्रकारों के गढ़ में चुनाव लड़ना आसान नहीं होता लेकिन 7 दिन पहले सोच कर चुनाव लड़ने के बाद भी 235 वोट यह दर्शाता है कि मंजिल बहुत नजदीक है। आदमी को ईमानदारी से और बेहद मजबूती से कोई काम करना चाहिए, भले ही नतीजा कुछ भी हो।

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दिल्ली के सभी मेरे मित्र चाहे पत्रकार हो या नहीं, उन्होंने हर तरीके से मदद की। मनोबल बढ़ाया। सभी का दिल से धन्यवाद। साथ ही इतना जरूर कहूँगा कि हम प्रेस क्लब को यूँ ही नहीं छोड़ सकते हैं, वहां की बेहतरी के लिए लगातार सक्रिय रहूँगा।

आपका

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विभूति रस्तोगी

मूल खबर….

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