An Open Letter to new PCI president Shri Gautam Lahiri

Dear Sir,

Please accept my Durga Puja and Dussehra greetings.

Congratulations on your resounding victory. I impose great trust in your able leadership as president of the Press Club of India (PCI). You have earned respect and admiration all these years through your sheer hard work and integrity. But, Sir, at PCI you have succeeded something which I would describe as a “bed of thorns”. The erstwhile PCI Secretary-General has left behind him a legacy of falsehood, distrust, and fraud played by him on the Club, in general, and members, in particular.

हार के बाद मठाधीशों को अब मार्गदर्शक मंडल ज्वाइन कर लेना चाहिए : नदीम अहमद काजमी

Nadeem Ahmad Kazmi : Lesson of the press club elections result are…. 

1- mathadeesh should join margdarshak mandal.

2- press club of India will carry on with its liquor policy, Afeem won’t be served. Marx said (religion is like opium)

NBT के रामेश्वर जी ने मेरे वोटों का बंटवारा कर दिया : विभूति रस्तोगी

ईमानदारी से मेहनत की थी, प्रेस क्लब की बेहतरी के लिए काम करता रहूँगा

दोस्तों

आप सभी को नमस्कार

अभी अभी सोकर उठा हूँ। मैंने प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में मैनेजिंग कमेटी सदस्य के लिए चुनाव बेहद शिद्दत और ईमानदारी के साथ लड़ा था। सच बताऊँ, प्रेस क्लब में बहुत कुछ ठीक नहीं चल रहा है। भ्रष्टाचार का बोलबाला है। वहां काफी कुछ किया जा सकता है। मैं इसी वजह से मात्र 7 दिन पहले चुनाव लड़ने का मूड बनाया और बाला जी पैनल से चुनाव लड़ा। 6 दिन तक धुंआधार प्रचार किया। सभी अग्रज और अपने मित्र पत्रकारों से मिला। आप सभी ने दिल से साथ दिया और मेरा खूब उत्साह बढ़ाया। इसका मैं ऋणी हूँ।

प्रेस क्लब आफ इंडिया चुनाव 2016 : ये है फाइनल लिस्ट, देखिए कौन कितने वोट से हारा, कौन जीता

प्रेस क्लब आफ इंडिया चुनाव 2016 में हार जीत की फाइनल लिस्ट आ गई है. निवर्तमान महासचिव नदीम अहमद काजमी द्वारा समर्थित लाहिरी-विनय पैनल को भारी जीत मिली है. सिर्फ मैनेजिंग कमेटी में तीन सदस्य इस पैनल से बाहर के जीते हैं जिसमें एक अनीता चौधरी हैं जो बाला-कृष्णा पैनल से थीं. समृद्धि भटनागर और रवि बत्रा निर्दल लड़े और जीते. इन तीन के अलावा सभी वो जीते जो लाहिरी-विनय पैनल के थे. लाहिरी-विनय पैनल ने काफी मतों से अपने प्रतिद्वंदियों को पछाड़ा. मतगणना का काम आज सुबह चार बजे खत्म हुआ. ये है हार जीत की पूरी लिस्ट…

प्रेस क्लब आफ इंडिया चुनाव के शुरुआती रुझान : गौतम-विनय-मनोरंजन-अरुण पैनल जीत की ओर

रायसीना रोड स्थित प्रेस क्लब आफ इंडिया में वोटों की गिनती का काम जोरों पर है. जो शुरुआती रुझान मिल रहे हैं उसके मुताबिक गौतम लाहिरी (अध्यक्ष), विनय कुमार (सेक्रेट्री जनरल), मनोरंजन भारती (उपाध्यक्ष) और अरुण जोशी (कोषाध्यक्ष) पैनल जीत की तरफ तेजी से अग्रसर है. इस पैनल के मैनेजिंग कमेटी के लगभग 14 सदस्य जीत की ओर हैं. राष्ट्रीय सहारा के संजय सिंह लगातार छठीं बार जीत दर्ज कराने जा रहे हैं.

प्रेस क्लब आफ इंडिया में राजनीतिक एजेंडा लेकर चुनाव लड़ रहे पत्रकारों को वोट न दें : विनीता यादव

Vinita Yadav : प्रेस क्लब का चुनाव कुछ ज़्यादा ही राजनीतिक हो चला है. जिस बात पर आपत्ति जताते हुए मैंने ख़ुद को अलग किया, हुआ इसके उलट कि वहाँ अब लोग खुलकर राजनीतिक रंग में आ हुए हैं. क्या है ये भाई, क्यूँ? इस बार पूरा जेएनयू यहीं ज़ोर लगा रहा है तो भाई मोदी जी और सोनिया जी को भी चिट्ठी लिख दो कि नज़र इधर करें. Raisina hills पर बने प्रेस क्लब को क्रांति के नाम पर बर्बाद ना कर दिया जाए.

नदीम अहमद काजमी का जंगलराज (पार्ट दो) : चुनाव बाद भी लगाम अपने हाथ में रखने की तैयारी!

नदीम अहमद काजमी ने प्रेस क्लब आफ इंडिया का जो हाल कर दिया है, उसे पटरी पर लाने में क्लब की नई चुनी जा रही समिति को बहुत मशक्कत करनी पड़ेगी. अगर नदीम अहमद काजमी के पैनल का आदमी सेक्रेट्री जनरल चुन लिया गया तो यकीन मानिए कि क्लब पटरी पर क्या आएगा, जंगलराज की अराजकता बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी. वैसे भी कहा जा रहा है कि नदीम अहमद काजमी अपने पैनल में एनडीटीवी के मनोरंजन भारती उर्फ बाबा और सुधि वगैरह को लाकर एक तरह से लगाम अपने हाथ में रखने की तैयारी में हैं. आइए जानते हैं कि नदीम अहमद काजमी ने अपने कार्यकाल में क्या क्या बड़े पाप किए हैं…

प्रॉपर्टी डीलरों को सदस्यता, पत्रकारों की बेदख़ली… यह है प्रेस क्लब ऑफ इंडिया का सच!

कल दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया की वोटिंग है। मुझे एक संजीदा पत्रकार मानते हुए लोगबाग मुझे भी अप्रोच कर रहे हैं कि मैं उनके पैनल को वोट करूं। मगर मैं करूं तो कैसे, मेरा वोट ही कहां है? आज तक मुझे प्रेस क्लब के पदाधिकारियों ने यह जवाब नहीं दिया कि मुझे इस क्लब का सदस्य नहीं बनाने के पीछे उनका तर्क क्या है। क्या मैं उनके मानकों को पूरा नहीं करता? पिछले 33 साल से मैं पत्रकार हूं और वह भी श्रमजीवी। इंडियन एक्सप्रेस समूह में बीस साल रहा। 12 साल अमर उजाला में और पिछले 17 वर्षों से मान्यताप्राप्त पत्रकार हूं तथा आज भी यह मान्यता है। क्लब के मानकों के अनुरूप मेरी नियमित मासिक आय जो पहले दो लाख के करीब थी अब रिटायर होने के बाद घट अवश्य गई लेकिन पत्रकारीय पेशे से ही मुझे 50 हजार रुपये मासिक की आय तो आज भी है।

प्रेस क्‍लब की नई प्रबंधन समिति ऐसे पत्रकारों का समूह हो जो महासचिव पद की तानाशाही प्रवृत्तियों पर निगरानी रखे

मित्रों, प्रेस क्‍लब ऑफ इंडिया के चुनाव में केवल एक दिन शेष है। शनिवार 1 अक्‍टूबर को मतदान होगा। ऐसे में अब तक सामने आए पैनलों से जो चुनावी तस्‍वीर उभर रही है, वह काफी भ्रमित करने वाली है। एक तरफ़ तथाकथित ‘आधिकारिक’ पैनल है (गौतम लाहिड़ी-विनय सिंह) जिसे पिछली प्रबंधन समिति के नीति-निर्माताओं का समर्थन प्राप्‍त है, जिसके ऊपर वरिष्‍ठ सदस्‍य और प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव रहे अली जावेद के खिलाफ कार्रवाई करने का आरोप है और जिसने बीते कुछ वर्षों में प्रेस क्‍लब के महासचिव का पद एक सीईओ के समानांतर बनाकर सदस्‍यता जैसी सामान्‍य प्रक्रिया को भी अपारदर्शी व प्रच्‍छन्‍न बनाने का काम किया है।

लॉबी-पैनल गोल गैंग गिरोह छोड़िए, अच्छे उम्मीदवारों को वोट कीजिए : अवतंस चित्रांश

वरिष्ठ पत्रकारों और मित्रों को नमस्कार, प्रेस क्लब का सदस्य होने के नाते मुझे लगा कि ये वक्त उचित है कि आप सभी से संवाद किया जाए। प्रेस क्लब चुनाव के सिलसिले में मुझे कई मेल मिले हैं। काफी तल्ख और आरोप प्रत्यारोप हैं। मीडिया में काम करने का मुझे गर्व है और सुकून होता है कि तमाम आरपोरेट कारपोरेट ..अल्ले बल्ले दल्ले आरोपों के बावजूद इस पेशे से जुड़े साथी अपने सामाजिक सरोकारों को कही ना कही किसी ना किसी तरह से निभाने की पूरी कोशिश करते हैं।

PCI Elections 2016 : A note of “Dissent”

Journalism means expressing dissent and speaking truth to power. Alas! The Press Club Of India has lost this very essence. In the lust for power, all ethics and morality, even professional wisdom is being negotiated with in the current elections for PCI, New Delhi. The recent move by one brave journalist to dissociate himself from his panel at the last moment exposes grave corruption embedded in the the moral sphere of scribes who have formed convenient rainbow coalitions, convenienty called panels, to grab the small power centre that operates from 1, Raisina Road, New Delhi. This election however was a farce from the very beginning. Let us take some time to read this before we go to vote on October 1st, 2016.

राडिया टेप वाले पत्रकार को चुनाव लड़ाने पर नवीन कुमार ने खुद को पैनल से अलग किया, पढ़िए उनका पत्र

Dear all, This is with regard to the latest developments in Prashant-Shahid panel to which I have been associated from the very beginning as a candidate for Vice-President post in the Press Club Of India elections 2016.

ये है प्रेस क्लब आफ इंडिया के चुनाव का तीसरा पैनल…. एक अक्टूबर को पड़ेंगे वोट

प्रेस क्लब आफ इंडिया में एक अक्टूबर को वोट पड़ने हैं. भड़ास पर आपने अब तक दो पैनल के बारे में पढ़ा. अब ये तीसरा और आखिरी पैनल का डिटेल है. यह पैनल वामपंथी पत्रकारों का है. इसमें अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार प्रशांत टंडन बनाए गए हैं तो सेक्रेट्री जनरल के लिए शाहिद अफरीदी सामने हैं. उपाध्यक्ष के लिए नवीन कुमार मैदान में हैं तो ज्वाइंट सेक्रेट्री के लिए जी. सुब्रामण्यम हैं. ट्रेजरार पद के लिए निर्निमेष कुमार टक्कर दे रहे हैं.

नदीम अहमद काजमी ने ‘गौतम-विनय-मनोरंजन-अरुण’ पैनल को जिताने की अपील की

Nadeem Ahmad Kazmi : Dear Friends, I am not in fray this year in Press club Elections as we ourselves amended the constitution not to contest on Office bearer post after two years and i respect the amendment in toto. Elections are on 1st October and my support is for the Gautam Lahiri, Vinay Kumar, Manoranjan Bharti, Arun Joshi and Jomy Thomas panel.

प्रेस क्लब आफ इंडिया में चुनाव : Vote for ‘Bala-Srikrishna-Souvagya-Ajay-Sondeep’ Panel

We Solemnly Promise

The Press Club of India is an institution that’s almost as old as the nation. In its sixty-odd years of history, this organization has, very much like the nation itself, been through many changes, both lofty highs and steep lows. In its halcyon days, the Club was a professional place where journalists, and only journalists, turned in to not only hone their professional skills and enrich their intellectual quotient, but also to rest and recreate with the best of the ale that’s available in town, and at affordable prices.