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टीवी चैनलों को विज्ञापनों व कार्यक्रमों को लेकर ज्यादा सतर्क होने की जरूरत, अश्लीलता से सख्ती से निपटने के निर्देश

टेलीविजन चैनलों को विज्ञापनों और कार्यक्रमों को लेकर अब ज्यादा सतर्क होने की जरूरत है. माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को निर्देश दिया है कि अश्लील और अवांछित कार्यक्रम दिखाने वाले चैनलों पर कोई नरमी नहीं बरती जानी चाहिए. सूत्रों के मुताबिक सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरूण जेटली ने भी संबंधित अधिकारियों को ऐसे ही निर्देश दिए हैं. हालांकि अश्लील और अवांछित कार्यक्रमों से निपटने के लिए दिशानिर्देश मौजूद हैं और कार्रवाई की जाती है लेकिन अब भी इन दिशानिर्देशों का उल्लंघन हो रहा है. हालांकि कई स्वनियामक व्यवस्थाओं के कारण इनमें कमी आई है लेकिन प्रधानमंत्री ने दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वाले चैनलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की वकालत की है.

<p>टेलीविजन चैनलों को विज्ञापनों और कार्यक्रमों को लेकर अब ज्यादा सतर्क होने की जरूरत है. माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को निर्देश दिया है कि अश्लील और अवांछित कार्यक्रम दिखाने वाले चैनलों पर कोई नरमी नहीं बरती जानी चाहिए. सूत्रों के मुताबिक सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरूण जेटली ने भी संबंधित अधिकारियों को ऐसे ही निर्देश दिए हैं. हालांकि अश्लील और अवांछित कार्यक्रमों से निपटने के लिए दिशानिर्देश मौजूद हैं और कार्रवाई की जाती है लेकिन अब भी इन दिशानिर्देशों का उल्लंघन हो रहा है. हालांकि कई स्वनियामक व्यवस्थाओं के कारण इनमें कमी आई है लेकिन प्रधानमंत्री ने दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वाले चैनलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की वकालत की है.</p>

टेलीविजन चैनलों को विज्ञापनों और कार्यक्रमों को लेकर अब ज्यादा सतर्क होने की जरूरत है. माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को निर्देश दिया है कि अश्लील और अवांछित कार्यक्रम दिखाने वाले चैनलों पर कोई नरमी नहीं बरती जानी चाहिए. सूत्रों के मुताबिक सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरूण जेटली ने भी संबंधित अधिकारियों को ऐसे ही निर्देश दिए हैं. हालांकि अश्लील और अवांछित कार्यक्रमों से निपटने के लिए दिशानिर्देश मौजूद हैं और कार्रवाई की जाती है लेकिन अब भी इन दिशानिर्देशों का उल्लंघन हो रहा है. हालांकि कई स्वनियामक व्यवस्थाओं के कारण इनमें कमी आई है लेकिन प्रधानमंत्री ने दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वाले चैनलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की वकालत की है.

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने हाल में भविष्य की योजना के बारे में प्रधानमंत्री के समक्ष प्रस्तुति दी थी जिसमें अश्लीलता वाले कार्यक्रमों के प्रसारण पर लगाम कसने का मुद्दा भी उठा था. मौजूदा व्यवस्था के तहत विज्ञापन इंडस्ट्री के स्व नियमन का काम भारतीय विज्ञापन मानक परिषद .एएससीआई. करती है. इसकी उपभोक्ता शिकायत परिषद (सीसीसी) विज्ञापन संबंधी उपभोक्ताओं की शिकायत पर कार्रवाई करती है.

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टीवी चैनलों ने भी उपभोक्ताओं की शिकायतों से निपटने के लिए अपनी एक नियामक संस्था बनायी है. ब्राडकास्टिंग कंटेट कंप्लेंट्स काउंसिल .बीसीसीसी. टीवी कार्यक्रमों के बारे में दर्शकों. अन्य स्रोतों और मंत्रालय से मिली शिकायतों का निपटारा करती है. लेकिन व्यवस्था में फिल्म. वीडियो. ट्रेलर और अन्य प्रसारक सामग्री शामिल नहीं है जिसे केंद्रीय फिल्म प्रमाण बोर्ड की मंजूरी के बाद प्रसारित किया जा सकता है.

इंडियन ब्राडकास्टिंग फाउंडेशन ने मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकवादी हमले के बाद अपने लिए दिशानिर्देश बनाए थे. इन हमले के दौरान हमले की सीधा प्रसारण दिखाने पर मीडिया की स्वतंत्रता पर कई सवाल उठाए गए थे. इसमें कई मुद्दे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुडे थे. इसके अलावा मंत्रालय ने भी अश्लील और गुमराह करने वाले विज्ञापनों के प्रसारण पर रोकने की व्यवस्था बनाई है.

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केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम 1994 के तहत सरकार ने 15 सूत्री कार्यक्रम संहिता बनायी है. वर्ष 2009 में इन नियमों में बदलाव किया गया था ताकि निजी चैनलों को भी इनके दायरे में लाया जा सके। जब भी दिशानिर्देशों का उल्लंघन होता है. इन नियमों के तहत कार्रवाई होती है लेकिन केंद्र में नयी सरकार के आने के बाद मंत्रालय पर उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई को लेकर दबाव बढा है.

माना जा रहा है कि गृह मंत्रालय ने भी आतंकवादी हमलों और आतंकवाद विरोधी अभियानों के टेलीविजन चैनलों पर सीधे प्रसारण पर पाबंदी लगाने की मांग की है. सूत्रों ने हालांकि साफ किया कि सरकार मौजूदा व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं चाहती है और स्वनियमन व्यवस्था को पूरी आजादी देना चाहती है लेकिन चाहती है कि नियमों का सख्ती से पालन हो.

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मीडिया खासकर टीवी चैनलों में अश्लीलता का मामला संसद के शीतकालीन सत्र में दोनों सदनो में उठाया गया था. संसद सदस्यों का कहना था कि इससे युवाओं पर दुष्प्रभाव पड रहा है. टीवी चैनल उनके कार्यक्रमों को नियंत्रित करने की सरकार की किसी भी कोशिश का विरोध करते रहे हैं. प्रियरंजन दासमुंशी के कार्यकाल में ऐसी एक कोशिश पर खूब हंगामा हुआ था और इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था. सरकार को यहां तक कहना पडा था कि उसकी मीडिया पर लगाम लगाने की कोई मंशा नहीं है. साथ ही सरकार ने प्रसारकों को स्वनियमन के लिए व्यवस्था बनाने को कहा था.

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