संघ के मुताबिक टीवी पर ब्रेन लेश डिसकसन, इसमें शामिल होते हैं अपठित पत्रकार जिन्हें भारतीय संस्कृति का ज्ञान नहीं (देखें वीडियो)

मऊ : भारत में चाहें जो बड़ी समस्या चल रही हो, सूखा हो, महंगाई हो, भ्रष्टाचार हो लेकिन आरएसएस वालों का हमेशा एक राग बजता है. वह है राग मुसलमान. घुमा फिरा कर कोई ऐसा मुद्दा ले आते हैं जिससे मुसलमानों को चुनौती दी जा सके और पूरे भारत की बहस इसी मसले पर शिफ्ट किया जा सके. दुर्भाग्य से मीडिया का बड़ा हिस्सा भी इसी उलझावों में बह जाता है और भाजपा-संघ का भोंपू बनते हुए मूल मुद्दों से हटते हुए इन्हीं नान इशूज को इशू बना देता है. हालांकि संघ नेता फिर भी टीवी वालों को बख्शते नहीं और कहते हैं कि चैनलों पर ब्रेनलेस डिसकशन चलती है और इसमें अपठित पत्रकार भाग लेते हैं जिन्हें भारतीय संस्कृति का ज्ञान नहीं. मतलब कि अगर संघ का चले तो वो सारे चैनल बंद करा के सिर्फ एक संघ नाम से चैनल चलाएं और उसमें जो कुछ ज्ञान दिया जाएगा, उसे ही प्रसाद के रूप में पाने के लिए देश भर के दर्शक बाध्य होंगे.

प्रबल प्रताप और संजीव पालीवाल ला रहे एक नया नेशनल न्यूज चैनल!

नोएडा के सेक्टर63 में जहां पर न्यूज एक्सप्रेस चैनल का आफिस हुआ करता था, उसके ठीक बगल वाली बिल्डिंग से एक नया चैनल अवतार लेने जा रहा है. चैनल का नाम वैसे तो फाइनली तय नहीं हुआ है लेकिन लोग कह रहे हैं कि यह ‘नेशन्स वायस’ नाम से लांच होगा. चैनल से अभी दो लोग जुड़ चुके हैं. प्रबल प्रताप सिंह और संजीव पालीवाल. प्रबल प्रताप के नेतृत्व में ही चैनल के सारे इक्विपमेंट्स, मशीनों आदि की खरीद-फरोख्त होने से लेकर इंस्टालेशन का काम चल रहा है. संजीव पालीवाल चैनल से सलाहकार की भूमिका में जुड़े हैं. भड़ास4मीडिया ने जब प्रबल से मैसेज कर इस चैनल से जुड़ने के बारे में पूछा तो उन्होंने पूरी तरह से इनकार किया. हालांकि सूत्र कहते हैं कि प्रबल प्रताप सिंह चैनल से न सिर्फ जुड़े हुए हैं बल्कि चैनल इंस्टालेशन का सारा काम उनकी अगुवाई में हो रहा है.

कुछ चैनलों ने इंद्राणी प्रकरण में किसी जासूसी कहानी की तरह रहस्य-रोमांच का ‘रस’ घोल दिया है

Om Thanvi : मेरी पत्नी प्रेमलताजी ने अजीब उलझन में डाल दिया है: कहती हैं समझाओ कि यह इंद्राणी मुखर्जी वाला मामला क्या है? शीना बेटी थी तो बहन क्यों बनी? विधि कौनसी बेटी है? कितने भाई-बहन थे? इंद्राणी का पहला पति कौन था? संजीव कितने नंबर का पति था, दूसरा या तीसरा? शीना का पिता कौन है? पिता की जगह वह नाना का सरनेम बोरा क्यों प्रयोग करती थी? पीटर की पहली और दूसरी बीवी कौन थी? राहुल कौनसी बीवी से है? पीटर के और कितने बच्चे हैं? पीटर की नजर में शीना साली थी तो अपने सास-ससुर या ससुराल में अन्य किसी निकट-पास के शख्स से बातचीत में यह बात पोशीदा कैसे रही, जो शीना को पीटर के सामने उसकी बेटी ही कहेंगे, साली तो नहीं?

भारत का मीडिया TRP के लिए दंगा, फसाद, हत्या, बलात्कार, धरना-प्रदर्शन, आगजनी और लूट के कार्यक्रम प्रायोजित करेगा!

Ajit Singh : पकिस्तान जब भारत से हारा तो पाकिस्तानियों ने अपने TV फोड़ दिए। ऐसा हमको मीडिया ने बताया। हम लोगों ने भी खूब चटखारे लिए। पाकिस्तानियों को इसी बहाने certified चूतिया घोषित कर दिया। बड़ा मज़ा आया। अब मीडिया ने दिखाया कि हिन्दुस्तान में भी लोगों ने TV फोड़ दिए। मैंने इस खबर को बड़े गौर से देखा। मीडिया ने ये भी बताया कि लोग आंसू बहा रहे हैं। उनके आंसू भी देखे । लोग tv सड़कों पे पटक रहे हैं। प्रश्न ये है कि लोग news channel के कैमरा को दिखाने के लिए टीवी फोड़ रहे हैं क्या ? लोगों ने tv खुद फोड़े या मीडिया ने स्टोरी बनाने के लिए फुड़वाये? पुराने टंडीरा TV हैं। साफ़ दिखाई दे रहा है। क्या ये नहीं खोजा जाना चाहिए कि ये नाटक किसने कराया? क्यों कराया? टीवी फोड़ने की घटना किसने शूट की? टीवी कहाँ से आये? कौन लोग थे जिनने अपना TV फोड़ा। जिन लोगों ने TV फोड़ा उन ने अपने घर से कभी संडास का mug भी फेंका है? रोने वालों में कुछ लोग तो स्टेडियम में बैठे हैं। बाकी जो बाहरी लोग दिल्ली मुम्बई में दिखाए जा रहे है वो बहुत घटिया acting कर रहे हैं। मीडिया वाले अपनी दुकानदारी चमकाने के चक्कर में सारी दुनिया को ये बताना चाहते है की सिर्फ पाकिस्तानी ही नहीं हम हिन्दुस्तानी भी certified चूतिया हैं ……ISO मार्का ….. हम भी किरकिट जैसे फर्जीवाड़े पे अपना TV फोड़ सकते हैं।

एक न्यूज चैनल जहां महिला पत्रकारों को प्रमोशन के लिए मालिक के साथ अकेले में ‘गोल्डन काफी’ पीनी पड़ती है!

चौथा स्तंभ आज खुद को अपने बल पर खड़ा रख पाने में नाक़ाम साबित हो रहा है…. आज ये स्तंभ अपना अस्तित्व बचाने के लिए सिसक रहा है… खासकर छोटे न्यूज चैनलों ने जो दलाली, उगाही, धंधे को ही असली पत्रकारिता मानते हैं, गंध मचा रखा है. ये चैनल राजनेताओं का सहारा लेने पर, ख़बरों को ब्रांड घोषित कर उसके जरिये पत्रकारिता की खुले बाज़ार में नीलामी करने को रोजाना का काम मानते हैं… इन चैनलों में हर चीज का दाम तय है… किस खबर को कितना समय देना है… किस अंदाज और किस एंगल से ख़बर उठानी है… सब कुछ तय है… मैंने अपने एक साल के पत्रकारिता के अनुभव में जो देखा, जो सुना और जो सीखा वो किताबी बातों से कही ज्यादा अलग था…. दिक्कत होती थी अंतर आंकने में…. जो पढ़ा वो सही था या जो इन आँखों से देखा वो सही है…

दिल्ली की मीडिया इंडस्ट्री में हर रोज पत्रकार होने का दर्द भोग रहे हैं ढेर सारे नौजवान

: इंतजार का सिलसिला कब तक….  : दूर दराज के इलाकों से पत्रकार बनने का सपना लिए दिल्ली पहुंचने वाले नौजवान अपने दिल में बड़े अरमान लेकर आते हैं। उन्हे लगता है कि जैसे ही किसी न्यूज चैनल में एन्ट्री मिली तो उनका स्टार बनने का ख्वाब पूरा हो जाएगा. लेकिन जैसे ही पाला हकीकत की कठोर जमीन पर होता है वैसे ही सारे सपने धराशायी होते नजर आते हैं. अभी चंद रोज पहले मेरे पत्रकार मित्र से बात हुई तो पता चला कि उनके संस्थान में पिछले चार महीने से तनख्वाह नहीं दी गई है। हैरानी की बात ये है कि फिर भी लोग बिना किसी परेशानी के न केवल रोज दफ्तर आते हैं बल्कि अपने हिस्से का काम करते हैं।  जब बात सैलरी की होती है तो मिलता है केवल आश्वासन या फिर अगली तारीख.

अंग्रेजी न्यूज चैनल का अहंकारी एंकर और केजरीवाल की जीत

Binod Ringania


पिछले सप्ताह राष्ट्रीय विमर्श में जिस शब्द का सबसे अधिक उपयोग किया गया वह था अहंकार। दिल्ली में बीजेपी की हार के बाद लोगों ने एक स्वर में कहना शुरू कर दिया कि यह हार अहंकार की वजह से हुई है। इन दिनों तरह-तरह का मीडिया बाजार में आ गया है। एक तरफ से कोई आवाज निकालता है तो सब उसकी नकल करने लगते हैं। और एक-दो दिन में ही किसी विचार को बिना पूरी जांच के स्वीकार कर लिया जाता है। इस तरह दिल्ली में हार की वजह को बीजेपी का अहंकार मान लिया गया। कल को किसी राज्य में बीजेपी फिर से जीत गई तो ये लोग उसका विश्लेषण कैसे करेंगे पता नहीं।

भारतीय टीवी न्यूज इंडस्ट्री में बड़ा और नया प्रयोग करने जा रहे हैं दीपक शर्मा समेत दस बड़े पत्रकार

(आजतक न्यूज चैनल को अलविदा कहने के बाद एक नए प्रयोग में जुटे हैं दीपक शर्मा)


भारतीय मीडिया ओवरआल पूंजी की रखैल है, इसीलिए इसे अब कारपोरेट और करप्ट मीडिया कहते हैं. जन सरोकार और सत्ता पर अंकुश के नाम संचालित होने वाली मीडिया असलियत में जन विरोधी और सत्ता के दलाल के रूप में पतित हो जाती है. यही कारण है कि रजत शर्मा हों या अरुण पुरी, अवीक सरकार हों या सुभाष चंद्रा, संजय गुप्ता हों या रमेश चंद्र अग्रवाल, टीओआई वाले जैन बंधु हों या एचटी वाली शोभना भरतिया, ये सब या इनके पिता-दादा देखते ही देखते खाकपति से खरबपति बन गए हैं, क्योंकि इन लोगों ने और इनके पुरखों ने मीडिया को मनी मेकिंग मीडियम में तब्दील कर दिया है. इन लोगों ने अंबानी और अडानी से डील कर लिया. इन लोगों ने सत्ता के सुप्रीम खलनायकों को बचाते हुए उन्हें संरक्षित करना शुरू कर दिया.

टीवी कार्यक्रम और विज्ञापन के बीच चलो चलें जुमले बनाएं

Sanjaya Kumar Singh : दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मतदान का दिन था। मैं दिन भर घर पर ही था लेकिन जिससे भी बात हुई सबका यही कहना था कि आम आदमी पार्टी की स्थिति मजबूत दिख रही है। शाम में सोचा एक्जिट पॉल देख लिया जाए। शाम 6:00 बजे टीवी ऑन किया और चैनल सर्फ करते हुए देखा कि इंडिया टीवी पर अजीत अंजुम Ajit Anjum एंकरिंग कर रहे थे। इसी पर रुक गया। 6:20 होने तक लगने लगा कि मैं खबरें देख रहा हूं या विज्ञापन। पुराना अनुभव यह रहा है कि एक चैनल पर विज्ञापन आता है तो दूसरे पर भी विज्ञापन ही आ रहा होता है और चैनल बदलने का कोई लाभ नहीं मिलता।

टीवी चैनलों को विज्ञापनों व कार्यक्रमों को लेकर ज्यादा सतर्क होने की जरूरत, अश्लीलता से सख्ती से निपटने के निर्देश

टेलीविजन चैनलों को विज्ञापनों और कार्यक्रमों को लेकर अब ज्यादा सतर्क होने की जरूरत है. माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को निर्देश दिया है कि अश्लील और अवांछित कार्यक्रम दिखाने वाले चैनलों पर कोई नरमी नहीं बरती जानी चाहिए. सूत्रों के मुताबिक सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरूण जेटली ने भी संबंधित अधिकारियों को ऐसे ही निर्देश दिए हैं. हालांकि अश्लील और अवांछित कार्यक्रमों से निपटने के लिए दिशानिर्देश मौजूद हैं और कार्रवाई की जाती है लेकिन अब भी इन दिशानिर्देशों का उल्लंघन हो रहा है. हालांकि कई स्वनियामक व्यवस्थाओं के कारण इनमें कमी आई है लेकिन प्रधानमंत्री ने दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वाले चैनलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की वकालत की है.

निजी टीवी चैनल ‘न्यूज चैनल’ की बजाय ‘न्वायज चैनल’ हो गए हैं : प्रसार भारती चेयरमैन

बेंगलूरू। प्रसार भारती के नव नियुक्त चेयरमैन ए. सूर्य प्रकाश ने कहा कि दूरदर्शन एवं आकाशवाणी को स्वायत्तता हासिल करने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना है। “प्रेस से मिलिए” कार्यक्रम में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि प्रसार भारती एक स्वायत्त निगम है और इसके गठन के बाद पीछे हटने का सवाल ही पैदा नहीं होता। सूर्यप्रकाश ने कहा कि प्रसार भारती के 90 फीसदी कर्मचारी केंद्र सरकार के हैं, जबकि शेष विभिन्न मीडिया हाउस से हैं जिन्हें करार पर रखा गया है। जब तक यह स्थिति रहेगी तब तक प्रसार भारती की स्वायत्तता की राह नहीं खुलेगी। इस दिशा में कदम उठाए जाने की जरूरत है मगर यह एक प्रक्रिया है। गुणवत्ता के लिए पेशेवर होना पड़ेगा। यह संभव है और इसे अवश्य करेंगे।

भारत के न्यूज चैनल पैसा कमाने और दलगत निष्ठा दिखाने के चक्कर में सही-गलत का पैमाना भूल चुके हैं : अजय कुमार

: इलेक्ट्रानिक न्यूज चैनलों का ‘शोर’ : टेलीविजन रेटिंग प्वांइट(टीआरपी) बढ़ाने की चाहत में निजी इलेक्ट्रानिक न्यूज चैनल अपनी साख खोते जा रहे हैं। समाचार सुनने के लिये जब आम आदमी इन चैंनलों का बटन दबा है तो उसे यह अहसास होने में देरी नहीं लगती कि यह चैनल समाचार प्रेषण की बजाये ध्वनि प्रदूषण यंत्र और विज्ञापन बटोरने का माध्यम बन कर रह गये हैं। इन चैनलों पर समाचार या फिर बहस के नाम पर जो कुछ दिखाया सुनाया जाता है, उससे तो यही लगता है कि यह चैनल न्यूज से अधिक  सनसनी फैलाने में विश्वास रखते हैं।

रुबी अरुण के बाद अलका सक्सेना भी न्यूज एक्सप्रेस से जुड़ीं, मैनेजिंग एडिटर बनाई गईं

न्यूज एक्सप्रेस चैनल में दो बड़े पदों पर महिला पत्रकारों की तैनाती हो गई है. रुबी अरुण के बाद अलका सक्सेना भी चैनल का हिस्सा बन गई हैं. वरिष्ठ पत्रकार अलका सक्सेना को न्यूज एक्सप्रेस में मैनेजिंग एडिटर बनाया गया है. अलका एक नवंबर से आफिस ज्वाइन कर चुकी हैं. वे एडीटर इन चीफ प्रसून शुक्ला को रिपोर्ट करेंगी. अलका सक्सेना कई दशकों से प्रिंट और टेलीविजन पत्रकारिता में सक्रिय हैं. उन्होंने अपने करियर का काफी बड़ा हिस्सा जी न्यूज के साथ प्रमुख एंकर के रूप में गुजारा है.