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तनु प्रकरण पर न्यूज चैनलों के मौनी बाबा बनने का रहस्य

Vineet Kumar : तरुण तेजपाल को पूरी तरह tehelka से जोडकर तमाम न्यूज़ चैनलों ने इसलिये धुआं धार स्टोरी इसलिये नहीं चलायी थी कि वो स्त्री अधिकारों और उसकी अस्मिता के पक्ष में माहौल बनाना चाहते थे..इन चैनलों को तेजपाल ने जो किया उससे ज्यादा परेशानी tehelka से रही है..एक ऐसी पत्रिका जो इनकी आँखों में चुभती रही है, अपने आगे बौना बनाती रही है और पत्रकारिता के नाम पर जो गंध मचाते रहे हैं, उन सबको औकात बताती रही है..वो अपनी ख़बरों से पीडिता को न्याय नही, tehelka को पूरी तरह ख़त्म होते देखना चाहते थे.

<p>Vineet Kumar : तरुण तेजपाल को पूरी तरह tehelka से जोडकर तमाम न्यूज़ चैनलों ने इसलिये धुआं धार स्टोरी इसलिये नहीं चलायी थी कि वो स्त्री अधिकारों और उसकी अस्मिता के पक्ष में माहौल बनाना चाहते थे..इन चैनलों को तेजपाल ने जो किया उससे ज्यादा परेशानी tehelka से रही है..एक ऐसी पत्रिका जो इनकी आँखों में चुभती रही है, अपने आगे बौना बनाती रही है और पत्रकारिता के नाम पर जो गंध मचाते रहे हैं, उन सबको औकात बताती रही है..वो अपनी ख़बरों से पीडिता को न्याय नही, tehelka को पूरी तरह ख़त्म होते देखना चाहते थे.</p>

Vineet Kumar : तरुण तेजपाल को पूरी तरह tehelka से जोडकर तमाम न्यूज़ चैनलों ने इसलिये धुआं धार स्टोरी इसलिये नहीं चलायी थी कि वो स्त्री अधिकारों और उसकी अस्मिता के पक्ष में माहौल बनाना चाहते थे..इन चैनलों को तेजपाल ने जो किया उससे ज्यादा परेशानी tehelka से रही है..एक ऐसी पत्रिका जो इनकी आँखों में चुभती रही है, अपने आगे बौना बनाती रही है और पत्रकारिता के नाम पर जो गंध मचाते रहे हैं, उन सबको औकात बताती रही है..वो अपनी ख़बरों से पीडिता को न्याय नही, tehelka को पूरी तरह ख़त्म होते देखना चाहते थे.

 

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नहीं तो तनु ने सुसाइड नोट की शक्ल में जो कुछ भी लिखा है वो तेजपाल मामले से किस रूप में कम नहीं है..मुझे याद है, इस मामले पर लगभग सारे चैनलों पर स्पेशल पैकेज चली थी और उसके बाद लगातार स्टोरी.. इंडिया टीवी की एंकर तनु शर्मा मामले पर आपने कितनी स्टोरी देखी ? क्या इंडिया टीवी चैनल न होकर अखबार होता या फिर तेजपाल का सम्बन्ध पत्रिका से न होकर टीवी चैनल से होता तो वैसा ही होता ? साथ ही तनु हिंदी चैनल की एंकर न होकर अन्ग्रेजी मीडिया हाउस की मीडियाकर्मी होते तो न्यूज़ चैनल खबर को इसी तरह स्किप कर जाते?

आपसी विवाद के बीच इंडिया टीवी की एंकर तनु शर्मा ने अपने एक सहकर्मी को एसएमएस किया कि वह अब इस चैनल में काम नहीं करेगी. ये एसएमएस लोगों के बीच घूमाया जाने लगा और होते-होते ये एचआर तक पहुंच गया. एचआर ने इसे औपचारिक संदेश के रुप में लेते हुए तनु को टर्मिनेशन लेटर पकड़ा दिया..इस तनाव में आकर तनु ने आत्महत्या करने की कोशिश की और ऑफिस में ही जहर खा लिया. पूरे प्रकरण पर गौर करें तो ऐसा कई बार होता है कि हम आपस में मैसेज करते हैं, न जाने कितनी बार कहते हैं कि यार यहां अब मुझसे रहा नहीं जाएगा, अब मैं यहां काम नहीं कर सकता. इनबॉक्स खंगाले जाएं तो हममे से अधिकांश लोगों के पास ऐसे संदेश मिल जाएंगे, सेंट आइटम में भी ऐसा ही कुछ लिखा हुआ. वैसे तो मीडिया इन्डस्ट्री के एक से एक महंत एसएमएस से लेकर सोशल मीडिया के संदेशों को बहुत गंभीरता से नहीं लेते और उसे औपचारिक मान लेना तो दूर की बात है लेकिन तनु के मामले में ऐसा किया है..मानो उन्हें निकाल-बाहर करने के पहले से ही बहाने की तलाश दी. इसका जो एक खतरनाक पहलू है वो ये कि आप अपने साथ के लोगों से हल्का होने के लिए कुछ भी शेयर नहीं कर सकते, आपको खुद भी पता नहीं चलेगा कि आपकी बात को कौन कहां तक ले जाएगा? ऑफिस की इन्टर्नल पॉलिटिक्स का बेहर ही क्रूर चेहरा हमारे सामने आता है-

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इंडिया टीवी, एक ऐसा चैनल जहाँ इंसान क्या, येलियन, गाय, बन्दर, भूत सबको बराबर जगह मिलती है..आज वहां की एंकर ने वहां की सिस्टम और लोगों से आजीज आकर आत्महत्या करने की कोशिश की…क्या ये इंडिया टीवी सहित बाकी के चैनलों के लिये कोई खबर नहीं है..क्या खबर में आने के लिये इंसान को कटहल होना होगा..मीडिया, सरोकार,संस्कार के महंत, कुछ तो बोलिये इस पर या फिर आपकी अदालत में जज बनकर जाने का लोभ नहीं छोड़ पा रहे हैं.

रजत जी ( रजत शर्मा, इंडिया टीवी) ! वैसे तो पत्रकारिता करने का नैतिक अधिकार आप बहुत पहले खो चुके हैं लेकिन कुछ धंधे की भी नैतिकता होती है और ये नैतिकता सवाल करती है कि जिस आपकी अदालत के शोमैन को एक से एक घाघ, उससे जुडी घटनायें,प्रसंग और विवाद की खबर रहती है, उसे अपने ही चैनल में कौन कमीना है, दरिंदगी का खेल खेल रहा है, पता नहीं होगा.. अगर सब कुछ पता होते हुये भी आँख मूंदकर प्राइम टाइम में देश से सवाल करते रहे, तब तो अदालत आपकी नहीं, सचमुच वाली अदालत। में आपकी पेशी होनी चाहिये, बेईज्ज़त और बाइज्जत का अधिकार सचमुच के जज का हो और अगर सचमुच आपको कुछ पता नहीं तो आप एक इंटर्न से भी गये बीते हैं…

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तनु, अब तक आपको सनकी, बदमिजाज, बेवजह चैनल और वहां के लोगों को बदनाम करने के इरादे से ये सब करनेवाली एंकर करार दे दिया गया होगा..इंडिया टीवी पर इस खबर को लेकर लकवा मार गया होगा..अन्दुरुनी मामला बताकर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की जा रही होगी..बाकी के सहोदर चैनल के पास भी मोदी-निंदा-चारण के आगे इस खबर में कोई न्यूज़ वैल्यू नज़र नहीं आ रहा होगा लेकिन आपके लिखे ने लोगों को ठीक-ठाक तरीके से बता दिया है कि मीडिया मंडी की अंदरूनी हालत कैसी है..बस suicide attempt लिये बिना ये सब लिखती तो हम जैसों का हौसला बढता..अभी तो एकदम सइ अलग ही इमोशनल क्राइसिस में आ गये हैं..
आपकी तरह बाकी लोगों का लिखना बेहद जरूरी है..

सिर्फ मीडिया ही क्यों, तथाकथित सामाजिक सरोकार से जुड़े उन तमाम पेशे के जो दुनिया बदलने का दावा करते हैं, के महंत आपके साथ ऐसी स्थिति पैदा करते हैं कि आपको लगेगा आप नौकरी नहीं कर रहे बल्कि mtv के उस टास्क से गुजर रहे हैं जहाँ आपको suicide के एटेम्पट लेने हैं लेकिन मरना नहीं हैं..आप चाहें तो तिल-तिलकर मरें लेकिन घोषित रूप से कभी नहीं. इंडिया टीवी की एंकर रही तनु शर्मा ने जो कुछ भी किया उसमे परिस्थितियों के प्रति हार तो है ही, साथ ही ज़िन्दगी के प्रति भी ज़बरदस्त हार है..हमारी जिंदगी में कोई सचमुच इतना कमीना हो सकता है कि जिससे अपने को अलग करने के बजाय अपनी इतनी खूबसूरत ज़िन्दगी ख़त्म करने पर आमादा हो जाये..

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तनु, मैंने आपका fb पर लिखा पढ़ा और इतना तो आसानी से समझ गया कि इसके पहले भी आपने सांकेतिक रूप अपने को कई बार मारा होगा..वैसे तो ये कहना बेहद आसान है कि ज़िन्दगी हर हाल में पूरी जीने की चीज है लेकिन कई बार हममे से कईयों के कदम लडखडा कर उस गली की तरफ बढने को हो आते हैं जहाँ आप चली गयीं..लेकिन आपसे सॉरी कहते हुये मैं ये कहने से अपने को रोक नही पा रहा कि आपने मानसिक रूप से आपको बेहद तोड़ देने के पीछे जिनका नाम लिया, उनसे पिंड छुड़ाने के लिये आपने शिद्दत से विकल्प खोजे होंगें..कभी इंडिया टीवी के बाहर निकलकर अपनी दुनिया के बारे में सोचा होगा..सच कहूँ, अगर आपने सोचा होता तो fb पर sucide नोट लिखने के बदले इंडिया टीवी की उस सडांध को लेकर विस्तार से लिखती, सम्बंधित लोगों के खिलाफ fir करती, अगर दर्ज न किया जाता तो वही कॉपी fb पर लगातीं और चैनल को लात मार देतीं..

मुझे नहीं पता कि ऐसा करके आप क्या हासिल कर लेतीं लेकिन इतना ज़रूर है कि तब आपका इंडिया टीवी से भरोसा उठता, अपनी ज़िन्दगी के प्रति लगाव और गहर हो जाता…आखिर हम सब इसलिये तो लिख रहे हैं कि न लिखने से कहीं मर तो नहीं जायेंगें..आप तो मरने के लिये लिख रही थी..ऐसा भला कोई करता है क्या, लिखना जिंदा होने का पर्याय है, मरने का नहीं. मुझे पता है कि आगे आपकी ज़िन्दगी बेहद। मुश्किल हो जायेगी, शायद मौत सइ भी बदतर लेकिन इन सबके बीच भी आप ज़िन्दगी को खोज लेती हैं तो मैं आपको हमेशा सलाम करूँगा. बाकी जो इंडिया टीवी और सम्बंधित लोगों के बारे में लिखा, उस अंदरखाने की खबर आपकी तरह विक्टिम न होकर भी काफी कुछ जानते-समझते हैं..आपकी suicide करने के फैसले से घोर असहमत होने के बावजूद मैं आपके लिखे पर यकीन करता हूँ..

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मीडिया विश्लेषक विनीत कुमार के फेसबुक वॉल से.

Samar Anarya : इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने इंडिया टीवी मालिकान और उनके गुर्गों द्वारा तनु शर्मा को आत्महत्या पर मजबूर कर देने की खबर टिकर में भी नहीं चलाई इसमें कोई आश्चर्य नहीं है. आप को किसी ने कहा था कि एनडीटीवी से उम्मीद लगाइए? बाकी कल ‘निहालचन्द मेघवाल’ मामले पर एक ट्वीट कर चुकी होने की सफाई पेश कर उनके खिलाफ ‘गोएबल्सियन’ कैम्पेन बंद करने की मांफ करने वाली सुपारी फेमिनिस्ट कविता कृष्णन कहाँ हैं? वैसे उन्होंने इस मसले पर पहले एक सैड रिट्वीट और बाद में पूरी ट्वीट कर दी है.

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पर फिर क्या तरुण तेजपाल के मामले में भी एक ट्वीट/रिट्वीट भर की थी? और कामरेड खुर्शीद अनवर के मसले पर? सो इस बार चुप्पी क्यों? ये समझ के कि बोलने का मसला पूरे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से बहिष्कृत होना होगा सो मैडम जी टीआरपी की वेदी पर नारीवाद की बलि चढ़ा आयीं? रजत शर्मा जो करते हैं वो पत्रकारिता नहीं दलाली है. वैसे ये कृष्णनें और किश्वरें जो कर रही हैं वो भी नारीवाद नहीं, तो सोचिये कि क्या है? तनु शर्मा को आत्महत्या के (प्रयास) के लिए मजबूर करने वाली रितु धवन, अनीता शर्मा बिष्ट और प्रसाद को अंजाम तक पंहुचाएँगे- इंडिया टीवी न्यूज़ आज ऐसी हेडिंग्स क्यों नहीं चला रहा है? इस बार तो पीड़िता उनकी ही एंकर है?

किसी आम शहरी के मेट्रो स्टेशन से के कूद कर आत्महत्या के प्रयास की रिपोर्टिंग याद करिये इंडिया टीवी के गार्डरूम में सांसे खो रही तनु शर्मा के बारे में सोचिये। सारा दिन सारे काम मुल्तवी कर यही सोचता रहा कि इंडिया टीवी जैसे ब्लैकमेलर चैनल की कोई बात नहीं, एनडीटीवी की सरोकारी से लेकर टाइम्स नाऊ की सनसनीखेज पत्रकारिता के बीच सारे चैनलों की चुप्पी का मतलब क्या है। प्रताड़ना से तंग आकर अपनी ही सहकर्मी की मौत की कोशिश दबाने में क्या क्या कमाल की एकता है. वह देख चुकें तो इंकलाब के नारों से लेकर राष्ट्र के नाम मर मिटने को तैयार पत्रकारों की चुप्पी देखिये। दुनिया की खबर देने वालों के लिए अपनी सहकर्मी की जान इतनी सस्ती है या अपनी रोटी इतनी मंहगी की उन्होंने मुंह सिल लिए हैं? उनको नहीं दिख रहा कि अगला नंबर उनका भी हो सकता है? खैर, इस संगीन दौर में भी आवाज उठा कर यकीन बनाये रखने वाले Vikas Kumar, Smita Singh, Abhishek Parashar और Shahnawaz Malik जैसे युवा पत्रकारों का शुक्रिया कि कलमें अभी सूखी नहीं हैं, लड़ाई ख़त्म नहीं हुई है. इंडिया टीवी और वैसी पीत पत्रकारिता को उसके अंजाम तक पंहुचाना है.

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Will India TV’s Rajat Sharma run a sleazy media trial on his wife Ritu Dhawan and colleagues Anita Sharma Bisht and Prasad for abetting Tanu Sharma’s attempted suicide? Will the prime time feminists fight for justice if he doesn’t?
The answers, my friend, are blowing in the wind…..

Not a single celebrity journalist spoke on their colleague and India TV anchor Tanu Sharma’s attempted suicide at channel office. So much about their daily evening outrages over everything.

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अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारवादी अविनाश पांडेय समर के फेसबुक वॉल से.

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