Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

रक्षा मंत्री ने लद्दाख की मौजूदा स्थिति पर राज्यसभा को कराया अवगत, कहा- चीन के साथ सीमा समझौते के करीब पहुंचा भारत

लद्दाख में चीन के साथ चल रहा गतिरोध अभी खत्म नहीं हुआ है। राज्यसभा में पूर्वी लद्दाख की मौजूदा स्थिति के बारे में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत ने चीन को हमेशा कहा है कि द्विपक्षीय संबंध दोनों देशों के प्रयास से ही विकसित हो सकते हैं, साथ ही सीमा विवाद को भी बातचीत के जरिए हल किया जा सकता है।

रक्षा मंत्री ने सदन को बताया कि अब तक कूटनीतिक और सैन्य वार्ताओं में चीन को भारत ने स्पष्ट कर दिया था कि हम एक इंच भी जमीन किसी को नहीं लेने देंगे, इसी का नतीजा है कि हम चीन के साथ समझौते के करीब पहुंच गए हैं। पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे को लेकर चीन के साथ समझौता हो गया है। इस समझौते में हमने कुछ भी नहीं खोया है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण किनारों पर पीछे हटने का समझौता

उन्होंने चीन के साथ हुए समझौते के बारे में बताते हुए कहा कि सितंबर, 2020 से लगातार सैन्य और राजनयिक स्तर पर दोनों पक्षों में हुई बातचीत में इस विघटन का पारस्परिक स्वीकार्य तरीका निकाला गया है। सीमा के अग्रिम इलाकों में पिछले साल मई, 2020 के बाद की गई तैनातियों से दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के काफी नजदीक आ गई हैं। इसलिए समझौते में तय किया गया है कि दोनों सेनाएं वापस अपनी-अपनी स्थाई और मान्य चौकियों पर लौट जाएं। हमारे इस दृष्टिकोण और निरंतर वार्ता के फलस्वरूप चीन के साथ पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण किनारों पर पीछे हटने का समझौता हो गया है। समझौते में तय किया गया है कि पैन्गोंग झील क्षेत्र में दोनों पक्ष चरणबद्ध, समन्वित और सत्यापित तरीके से अपनी-अपनी सेनाओं को पीछे हटायेंगे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

चीनी सेना फिंगर-8 पर अपनी पुरानी जगह पर जाएगी वापस

समझौते के अनुसार अभी फिंगर-4 एरिया में मौजूद चीनी सेना फिंगर-8 पर अपनी पुरानी जगह पर वापस जाएगी। इसी तरह भारतीय सेना अपने स्थायी आधार पर धन सिंह थापा पोस्ट में फिंगर 3 के पास स्थित होगी। इस तरह फिंगर-3 से फिंगर-8 के बीच का इलाका दोनों पक्षों के लिए बफर जोन बन जाएगा। दोनों पक्षों पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर एक समान कार्रवाई करेंगे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

बफर जोन में दोनों देशों की सेनाएं नहीं करेंगी पेट्रोलिंग

झील के दोनों किनारों पर अप्रैल, 2020 से दोनों पक्षों द्वारा बनाए गए किसी भी ढांचे को हटा दिया जाएगा और भूमि सुधारों को बहाल किया जाएगा। उत्तरी किनारे के लिए दोनों पक्षों ने सैन्य गतिविधियों पर एक अस्थायी रोक लगाने पर भी सहमति जताई है, जिसमें पारंपरिक क्षेत्रों में गश्त शामिल है। यानी चीन के साथ हुए विघटन समझौते के अनुसार बफर जोन में दोनों देशों की सेनाएं पेट्रोलिंग भी नहीं कर सकेंगी। भारत और चीन के बीच बनी सहमति के मुताबिक वापसी प्रक्रिया के लिए कई कदम उठाए जाने हैं, जिनमें से सबसे पहला बख्तरबंद टैंकों को पीछे करना है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

चीन के साथ हुईं वार्ताओं में हमने कुछ भी नहीं खोया

राजनाथ सिंह ने बताया कि पेट्रोलिंग तभी फिर से शुरू की जाएगी जब दोनों पक्ष राजनयिक और सैन्य वार्ता में एक समझौते पर पहुंचेंगे। पांगोंग झील के उत्तर और दक्षिण किनारे पर इसी समझौते का कार्यान्वयन शुरू हुआ है। यह पिछले साल गतिरोध शुरू होने से पहले की स्थिति को काफी हद तक बहाल कर देगा। उन्होंने सदन को भरोसा दिलाया कि चीन के साथ हुईं वार्ताओं में हमने कुछ भी खोया नहीं है। सदन को यह भी जानना चाहिए कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी के साथ कुछ अन्य बिंदुओं पर तैनाती और गश्त के संबंध में अभी भी कुछ बकाया मुद्दे हैं जिन पर बाद में चर्चा होगी। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए हैं कि जल्द से जल्द पूरी तरह से विघटन हासिल करना चाहिए और द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करना चाहिए। अब तक चीनी पक्ष भी हमारे संकल्प से पूरी तरह अवगत है। इसलिए हमारी अपेक्षा है कि चीनी पक्ष इन शेष मुद्दों को हल करने के लिए पूरी ईमानदारी के साथ हमारे साथ काम करेगा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

सितंबर, 2020 से दोनों पक्षों ने सैन्य कूटनीतिक वार्ता जारी

एलएसी पर शांति में किसी प्रकार की प्रतिकूल स्थिति का हमारे द्विपक्षीय संबंधों पर बुरा असर पड़ता है। कई उच्च स्तर के संयुक्त बयानों में भी यह जिक्र किया गया है कि एएलसी और सीमाओं पर शांति कायम रखना द्विपक्षीय संबंधों के लिए अत्यंत आवश्यक है। पिछले साल भी मैंने इस सदन को अवगत कराया था कि एलएसी के आस-पास पूर्वी लद्दाख में कई विवादित क्षेत्र बन गए हैं। हमारी सशस्त्र सेनाओं ने भी भारत की सुरक्षा की दृष्टि से पर्याप्त और प्रभावी कार्यवाहियां की हैं। सितंबर, 2020 से दोनों पक्षों ने सैन्य और कूटनीतिक वार्ता जारी कर रखी है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

भारतीय सेना ने पैंगोंग झील के दोनों किनारों पर बहादुरी का दिया परिचय

उन्होंने कहा कि अब तक 9 दौर की सैन्य वार्ताओं के बीच भारतीय सेनाओं ने इन सभी चुनौतियों का सामना करके पैंगोंग झील के दोनों किनारों पर अपने शौर्य और बहादुरी का परिचय दिया है। भारतीय सेनाएं अत्यंत बहादुरी से लद्दाख की ऊंची दुर्गम पहाडि़यों तथा कई मीटर बर्फ के बीच में भी सीमाओं की रक्षा करते हुए अडिग हैं और इसी कारण हमारा मनोबल ऊंचा बना हुआ है। हमारी सेनाओं ने इस बार भी यह साबित करके दिखाया है कि भारत की संप्रभुता एवं अखंडता की रक्षा करने में वे सदैव हर चुनौती से लड़ने के लिए तत्पर हैं। जिन शहीदों के शौर्य और पराक्रम की बुनियाद पर यह समझौता हुआ है, उसे यह देश हमेशा याद रखेगा। मैं आश्वस्त हूं कि यह पूरा सदन, चाहे कोई किसी भी दल का क्यों न हो, देश की संप्रभुता, एकता, अखंडता और सुरक्षा के प्रश्न पर एक साथ खड़ा है और एक स्वर से समर्थन करता है कि यही सन्देश केवल भारत की सीमा तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि पूरे जगत को जायेगा।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement