प्रवेश चौहान-
गोदी मीडिया और सोशल मीडिया की पत्रकारिता
न्यूज़ चैनलों की पत्रकारिता और सोशल मीडिया की पत्रकारिता में क्या अंतर है ?
आज जब हर कोई व्यक्ति न्यूज़ चैनल देखता है तो उसके मन में केवल एक ही सवाल रहता है, आखिर इन न्यूज़ चैनल द्वारा किसानों को खालिस्तानी, आतंकवादी, उपद्रवी और देशद्रोही कहकर क्यों बुलाया जाता है. सबसे ज्यादा जो दर्शकों में भ्रम पैदा किया गया है वह नकली किसान और असली किसान को लेकर किया गया है. जिस वजह से एक दर्शक अपने आप को ठगा हुआ महसूस करता है. वह समझ ही नहीं पाता आखिर किस पर विश्वास करें. एक या दो चैनलों को छोड़कर आपको नकली और असली किसानों का फर्क न्यूज़ चैनलों और अखबारों में नहीं पता चलेगा.
मगर जब आप न्यूज़ वेबसाइटस, यूट्यूब चैनल इन सभी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर किसानों की कवरेज देखेंगे तो मुख्यधारा की मीडिया और सोशल मीडिया की पत्रकारिता दोनों अलग-अलग तरह की दिखाई देगी. यानी कि जो आप देखना चाहते हैं वह आपको सोशल मीडिया पर दिखाई देगा. न्यूज़ चैनल कई बार आपको यह कहते हुए दिखाई देंगे कि किसानों को गुमराह किया गया है और ऐसी पत्रकारिता को हम पत्रकारिता तो नहीं कह सकते, क्योंकि पत्रकारिता का धर्म दोनों पक्षों को दिखाना होता है. विशेषकर ऐसी पत्रकारिता से तो उम्मीद बिल्कुल भी नहीं की जा सकती है जिसमें खुद ही पत्रकार सरकार की बोली बोलने लग जाए. किसानों को पत्रकार खुद ही कहने लग जाए आपको गुमराह किया गया है.
किसानों की कवरेज करने के लिए अगर कोई न्यूज़ चैनल का पत्रकार जाता है तो उसको भारी विरोध का सामना करना पड़ता है, यानी कि गोदी मीडिया कहा जाता है. इसी जगह अगर कोई यूट्यूबर और न्यूज़ वेबसाइट वाला जाता है तो उससे किसानों द्वारा अच्छे से बात की जाती है. क्योंकि किसानों का आरोप है कि एक या दो चैनल को छोड़कर सभी मीडिया चैनल्स सरकार का पक्ष लेती हैं. जिस वजह से किसान मीडिया चैनलों से दूरी बना रही है.
कई बार आप लोगों ने देखा होगा कि पत्रकार किसानों की कवरेज के दौरान बिना चैनल के माइक से रिपोर्टिंग कर रहा होता है. इसका सबसे बड़ा कारण न्यूज़ चैनलों द्वारा लगातार सरकार के पक्ष में बात करना है. जिस वजह से अब पत्रकार बिना चैनल माइक से रिपोर्टिंग करता है क्योंकि उसे भी डर रहता है कि कहीं किसानों के गुस्से का सामना ना करना पड़े.
यही कारण है आज किसान सोशल मीडिया यानी कि यूट्यूब चैनल और न्यूज़ वेबसाइट पर ज्यादा भरोसा कर रहा है, और सोशल मीडिया को अपना मुख्य हथियार मानकर चल रहा है. किसानों का मानना है कि आज का मीडिया सरकार के पक्ष की बात करता है. जिस वजह से किसान हमेशा न्यूज़ चैनलों के पत्रकारों से खफा रहते हैं.
किसानों द्वारा न्यूज़ चैनलों के पत्रकार को गोदी मीडिया कहने की वजह से कई न्यूज़ चैनलों ने तो किसानों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और दिन रात अपने चैनलों में किसानों के खिलाफ जहर उगलते रहते हैं. यही कारण है आज जब दर्शक न्यूज़ चैनल देखता है तो मैं अपने आप को ठगा हुआ महसूस पाता है वह समझ नहीं पाता आखिर कौन असली और कौन नकली.
प्रवेश चौहान
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