Connect with us

Hi, what are you looking for?

उत्तर प्रदेश

मां विंध्यवासिनी धाम पहुंचे ‘आजतक’ के वरिष्ठ पत्रकार ने लिखा- यहां तो ‘गुंडों’ का कब्जा है!

Vikas Mishra

मां विंध्यवासिनी के धाम पर ‘गुंडों’ का कब्जा.. जी हां, आपने सही पढ़ा है। विंध्याचल में मां विंध्यवासिनी के धाम पर गुंडों का कब्जा हो गया है। ये गुंडे कोई और नहीं यहां के कुछ अवैध पंडे हैं या पंडों के भेष में कुछ गुंडे हैं। माथे पर त्रिपुंड, गले में सोने की मोटी मोटी जंजीरें, रुद्राक्ष या स्फटिक की माला भी। मुंह में गुटखा दबाए हुए। कुछ तो दारू पीकर टुन्न भी।

मां विंध्यवासिनी के मंदिर की हर गली में मंदिर से करीब सौ मीटर दूर से ही ये पंडे रुपी गुंडे मिलने शुरू हो जाते हैं। दर्शनार्थियों के पीछे लग जाते हैं। अगर आप इनसे बच गए तो भी खैर नहीं है। नहीं बचे, तो ये साथ चल देते हैं। पटाते हैं आपको कि ये गर्भगृह में बिना लाइन लगाए सीधे दर्शन करवा देंगे। मंदिर के भीतर, इनके लोग सेट होते हैं। जो भक्त बिना पंडों की मर्जी के आए हुए हैं, वो तो बेचारे लाइन में लगे रहते हैं, लेकिन पंडे जिन्हें साथ लेकर आते हैं, लाइन तोड़कर उनको लेकर मंदिर में घुसते हैं। लोगों का विरोध बेमानी हो जाता है। जजमान के साथ पंडे भी मंदिर के भीतर जाते हैं। फिर वहां मोलभाव शुरू हो जाता है। उन पर 11 हजार रुपये के दान से दबाव शुरू हो जाता है। अंत में एक हजार से पांच हजार रुपये तक निकलवा लिया जाता है, जैसा जजमान, वैसी वसूली।

इधर जो लोग लाइन में स्वतंत्र रूप से खड़े हैं, मंदिर के द्वार पर पहुंचकर भी उनका नंबर नहीं आता। पंडों के जजमानों के बाद उनका नंबर आता है। उन पर भी वही दबाव पड़ता है, लेकिन जो यहां पहले आ चुके हैं या फिर जिन्हें उनके परिचित, रिश्तेदार सचेत कर देते हैं, वो तो अपनी श्रद्धा के मुताबिक, 501, 101, 51, 21 रुपये देकर दर्शन कर आते हैं। लेकिन जो पहली बार आते हैं पंडे इन्हें मूंड़ने की कोशिशों में लग जाते हैं। कई दर्शनार्थी तो लुटकर ही बाहर आते हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

मैंने भी श्रीमती जी के साथ मां विंध्यवासिनी का दर्शन किया। पंडों की चालों से बचते हुए मैं बाकायदा पत्नी के साथ लाइन में लगा था। पीछे से दारू पीकर टुन्न एक कथित पंडा पांच लोगों का परिवार लेकर पीछे से आया और तीसरी लाइन बनाकर आगे खड़ा हो गया। पंडे के जजमान ठीक मेरी पत्नी के सामने आ गए। मैंने उनके कंधे पर हाथ रखा, पूछा-प्रभु इतनी जल्दी प्रमोशन कैसे हो गया..? अचानक आप पीछे से आगे प्रगट हो गए। वो टेढ़ी मुस्कान मुस्कुराए। इस मुस्कान से वो बताना चाहते थे कि ऊंची सेटिंग से आए हैं। उनको साथ लेकर आए पंडे से मैंने पूछा-क्या गुरू, ये क्या तरीका है..? त्रिपुंडधारी पंडे के भीतर दारू उबल रही थी, लेकिन मुंह में दबा गुटखा साइलेंसर का काम कर रहा था, मुंह उठाकर बोला-का भयल..? शराब का भभका सीधे मुंह पर आया। खैर मैं दर्शन करके बाहर आया, कुछ पंडों से उसकी शिकायत भी की।

पंडों की इस तरह की गुंडागर्दी का सिलसिला बहुत पुराना है। 22 जुलाई 2013 को एक बड़ी घटना हो गई थी। लाइन तोड़कर जबरदस्ती जजमानों को मंदिर के गर्भ गृह में ले जाते वक्त हरियाणा के एक परिवार ने कुछ पंडों का विरोध किया था। इसके बाद इन गुंडों का गिरोह उस ग्रुप के पुरुषों और महिलाओं पर टूट पड़ा था। बाद में ये मामला तूल पकड़ गया। पंडा समाज ने इस घटना पर माफी मांगी थी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

पिछले साल बसंत पंचमी पर ऐसी एक घटना में एक पंडे ने जौनपुर के एक परिवार को पीटकर घायल कर दिया था, मंदिर में भगदड़ मच गई थी। बाद में पुलिस ने प्रदीप पाठक नाम के इस कथित पंडे को गिरफ्तार भी किया था। यहां ये बात साफ कर दूं कि यहां पंडों के भेष में ये गुंडे ज्यादातर अवैध पंडे हैं, रजिस्टर्ड नहीं हैं, बस भेष बनाकर पंडे बने हुए हैं। अपनी करतूतों से मां के धाम को बदनाम कर रहे हैं।

पंडों की ये मनमानी सिर्फ विंध्यवासिनी मंदिर तक नहीं है। अष्टभुजा देवी मंदिर के भीतर तो पंडों के भेष में गुंडे नहीं बल्कि ठग हैं। ये गुंडागर्दी नहीं करते, बस श्रद्धालुओं से ज्यादा से ज्यादा वसूलने में इन्हें महारत हासिल है। जैसे ही छोटे से द्वार से कोई श्रद्धालु भीतर पहुंचता है, पंडा उसे धर लेता है, माथे पर मां के चरणों से उठाकर चंदन लगाता है, श्रद्धालु का नाम पूछता है, फिर उस नाम के साथ संस्कृत में उल्टे सीधे मंत्र बोलकर एक रकम भी बोलता है। मेरा और मेरी पत्नी का नाम लेकर पंडे ने श्लोक पढ़ा, उसमें बोला कि आपके नाम से 11 हजार रुपये का संकल्प हो गया है मां के श्रृंगार के लिए। मैंने कहा-महराज जी, जो मेरी श्रद्धा होगी वो मैं करूंगा। मेरे और मां के बीच आप कहां से आ गए। पंडा अड़ गया, मैं आगे बढ़ा तो पंडे के चेले ने हाथ लगाकर रोक दिया, वो बाधा पार की तो अखंड ज्योति पर बैठा पंडा 11 हजार, फिर 11 सौ पर अड़ गया। उससे भी अपनी श्रद्धा की बात कहकर पीछा छुड़ाया। आगे फिर तीन-चार चुंगी, हर चुंगी पर बैठा पंडा। हर पंडा श्रद्धालु को लूटने पर आमादा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

अष्टभुजा देवी मंदिर से सीता कुंड के बीच में एक चाय वाला मिला। मैंने कहा-चाय हमारे मन की पिलाओ, पैसे अपने मन का लो। उसने तरोताजा कर देने वाली चाय पिलाई वो भी कुल्हड़ में। मैंने और श्रीमती जी ने दो-दो कुल्हड़ चाय पी। कीमत पूछी-उसने 7 रुपये प्रति कप के हिसाब से बताया। लोकल चाय 5 रुपये, स्पेशल चाय-7 रुपये कुल्हड़। मैंने उसे दस रुपये के हिसाब से जबरदस्ती करके चुकाया। वो ले नहीं रहा था, लेकिन मेरा मानना था कि इस ऊंची पहाड़ी पर इतनी

बढ़िया चाय का दाम तो कम से कम 10 रुपये कुल्हड़ होना चाहिए। एक तरफ ये मेहनतकश था, जो 5 से 7 रुपये की शानदार कुल्हड़ वाली चाय पिला रहा था, दूसरी तरफ वो पंडे थे, जो श्रद्धालुओँ को ठगकर अपनी तिजोरियां भरने में व्यस्त थे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

जिस गेस्टहाउस में मैं रुका था, वहां एक कार्यक्रम था, उसमें नगर पालिका चेयरमैन भी आए थे। मैंने उनसे पंडों की शिकायत की, कहा कि इससे मां का धाम बदनाम होता है। उन्होंने मेरे आगे हाथ जोड़े, कहा कि पंडों की गलती के लिए मैं आपसे क्षमा चाहता हूं.. और क्या कर सकता हूं। मैंने कहा-मुझसे क्षमा मत मांगिए, इन गुंडे पंडों का कुछ कीजिए। बोले-कैसे करूं और कौन करेगा भी। यहां का विधायक भी पंडा है। यानी भांग तो कुएं में ही पड़ी है। हे विंध्यवासिनी माता, अब आप ही इन धूर्त और गुंडे पंडों को कुछ सद्बुद्धि दें। मैं विंध्याचल पंडा समाज से भी अपील करना चाहता हूं कि आप अपने बीच आ गए इन गुंडों को पहचानिए, ढूंढकर इन पर कार्रवाई करवाइए। इन चंद गुंडों की वजह से पूरा पंडा समाज बदनाम हो रहा है। धूर्तता से अवैध कमाई करके ये गुंडे मां विंध्यवासिनी के धाम को भी बदनाम कर रहे हैं।

आजतक न्यूज चैनल में वरिष्ठ पद पर कार्यरत पत्रकार विकास मिश्र की एफबी वॉल से. उपरोक्त स्टेटस पर आए ढेर सारे कमेंट्स में से कुछ प्रमुख यूं हैं….

Advertisement. Scroll to continue reading.

Ravi RanVeera पुरी, कपिलास, पटना हनुमान मंदिर, थावे मंदिर आदि जगह पर मैं खुद अनुभव कर चुका हूँ। अधिकतर हिन्दू मंदिर के पंडों की गुंडागर्दी / दादागिरी जगजाहिर है।

Vikas Mishra साईं बाबा के दरबार में कोई लूट नहीं है। किसी भी गुरुद्वारे या चर्च में कोई लूट नहीं है। कुछ ऐसे मंदिर हैं, जो इस रोग से दूर हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

Ganesh Prasad Pandey सोचिए आम जनता किस कदर और कितनी दिक्कतों का सामना करती रहेगी । और यहाँ तो धर्म को धंधा बना लिया इन धुर्त पंडो ने। न समझता है न दिखता है और न ही सुनाई देता है।

Haresh Kumar हर धार्मिक संस्थान का लगभग यही हाल है। हिंदू धर्मस्थलों की बदनामी इन हरामखोरों के कारम होता है,लोग चाहकर भी नहीं जा पाते। इन पर लगाम कसने की जरूरत है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

Prakash Singh मां वैष्णव देवी के यहां पंडों की कोई जागीरदारी नहीं है तो भक्तों को किसी तरह की दिक्कत नहीं होती है. आलम यह है कि अब कई मंदिरों पर पुजारी और कथित पंडे जो पहले फूल और मिठाई वालों से मिले होते थे अब बकायादा चोरों के साथ भी मिले हैं. पाकेटमारी, गहनों की लूट में इन कथित पंड़ों और पुजारियों में इनकी हिस्सेदारी है.

Vibhuti Pandey मेरे पिताजी माताजी हर पूर्णिमा विन्ध्याचल माँ विध्यवासिनी के दर्शन को जाते है और यही अनुभव अपने हर दर्शन के बाद बताते है…

Advertisement. Scroll to continue reading.

Aditaya Nath Tewari कुछ ऐसा ही अनुभव मेरा भी रहा है। जबकि ट्रस्ट को जिले के वरिष्ठ अधिकारी चला रहे हैं।

Manoj Varshney एकदम सही लिखा। जब हम गए थे तो कम से कम बीस जगह पर जबरिया वसूली हो रही थी। वाहन भी खड़ा कराने के लिए लठ लेकर खड़े थे। प्रसाद वाले हाथ पकड़कर खींच रहे थे। जय हो…

Advertisement. Scroll to continue reading.

Vikas Mishra लिखना तो बहुत कुछ चाहता था, लेकिन पोस्ट लंबी हो रही थी। बहुत गड़बड़ है वहां पर।

Shailesh Dwivedi वहां के मुख्य पंडों में से एक रत्नाकर मिश्र विंध्याचल का विधायक है और राजनाथ सिंह, शिवपाल यादव आदि का बहुत ही खासमखास है! राजनाथ सिंह के यहाँ समस्त पूजा अनुष्ठान यही महोदय कराते हैं! सपा शासन में एकबार विंध्यवासिनी मंदिर का अधिग्रहण करने की तैयारी थी लेकिन सरकार के ही एक गुट और पंडों के जबरदस्त विरोध के कारण यह पहल ठंडे बस्ते में चली गई।

Advertisement. Scroll to continue reading.

Amit Pandey विकास जी अगली बार विन्ध्याचल जाने से पहले मुझे सूचित करियेगा

Vikas Mishra मां के दरबार में मैं आम इंसान की तरह ही जाना चाहता हूं। चाहता तो मैं भी प्रशासन की मदद से सीधे भीतर जाता, लेकिन ये गलत होता। ईश्वर के दरबार में सब एक समान हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

Bhawani Shankar Mishra सर प्रणाम, वहाँ का यह तो संगठित उद्द्योग बन गया है…पूरी गुंडई चलती है वहाँ। प्रशासन गूंगा और और बहरा बनकर रहता है।

Nagendra Pati Tripathy जय माँ विंध्यवासिनी ! ये गुंडाराज और मुफ्तखोरी और ठगी हर हिन्दू तीर्थस्थल में है

Advertisement. Scroll to continue reading.

Amit Sharma बिल्कुल सही । यही स्थिति है, लेकिन सुधारने की कोई तस्वीर नज़र नहीं आती।

Dhruva Singh मुझे भी ये सब झेल काफी दुख होता है मैं हमेशा जाता था माता के दर्शन को पर अब मन नही करता

Advertisement. Scroll to continue reading.

Dwarika Prasad Agrawal सभी तीर्थों में यही हाल है। इतने श्रद्धाभाव से लोग वहां जाते हैं और दुखी होकर वापस आते हैं। कुछ लोग इस पर भी खुश रहते हैं, वे प्रणम्य हैं।

Amit Sharma लेकिन माता वैष्णो देवी धाम में आपको कहीं कोई गन्दगी नजर नहीं आती। भक्त इन पण्डों से पीड़ित हैं। धाम को इन पण्डों से बचाने की कोशिश की जानी चाहिए।

Advertisement. Scroll to continue reading.

Avinash Tiwari विकास जी ये पंडे पंडित नहीं अवैध गुंडे होते है मेरे साथ ऐसी घटना काशी विश्वनाथ मंदिर में हुई थी मैने जब भोजपुरी मे बोलना शुरू किया सब इधर उधर भग गये थे इस पर रोक बहुत जरूरी है आशा है ठीक से घर पहुंच गये होंगे ठंड मे विध्यांचल स्टेशन पर रात मे काफी कष्टदायक होता है शुभ रात्रि

Vikas Mishra जी, घर ही नहीं दफ्तर भी पहुंच गया। वहीं बैठकर ये पोस्ट लिखी है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

नन्दिनी श्रीवास्तव सही कहे भईया, और ये गुण्डागर्दी आज से नहीं है,बीसियों साल पहले माँ पापा गए थे, वो भी आकर बताये थे,तब से जेहन में है ये सब। हम और हर्ष 10 बार वैष्णो देवी के दर्शन कर चुके क्योंकि वहां ऐसा कोई प्रपंच नहं है। गोरखपुर से विंध्याचल मईया इतनी नज़दीक बसीं हैं,पर हम फिर भी कभी हिम्मत न कर पाये जाने की।

Vikas Mishra 25 साल पहले तक हर साल नियमित रूप से विंध्याचल जाता था छात्र जीवन में, तब तो ऐसा नहीं दिखा था।

Advertisement. Scroll to continue reading.

नन्दिनी श्रीवास्तव Vikas Mishra भईया मुझे ठीक से वर्ष तो याद नहीं, पर मेरी शादी से पहले किसी रिश्तेदार के बच्चे के मुंडन में लोग विंध्याचल गए थे,वहाँ पर पंडा लोग एकदम पीछे लग गये, नाउ लोग भी पण्डा के टीम में अपने अपने थे,और पैसा का ख़ूब माँग, फिर जल्दी दर्शन के लिये भी एक्स्ट्रा पैसा मांग रहे थे। मेरी शादी को 18 वर्ष चल रहा, तो उसके पहले की बात ही है ये। अब माँ पापा दोनों नहीं रहे तो exact वक़्त पूछ न सकती।

Pathak Aanand सम्पूर्ण रूप से सहमत… बेहद दुःखद है तीर्थस्थलों पर इस तरह के गुंडे पंडो के चलते श्रद्धालुओं को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। विशेष रूप से विंध्याचल धाम में यह वर्षो से चला आ रहा है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

Svapn Thakur आपने बहुत से लोगों भावनाएं आहत कर दी हैं क्योंकि कथित मानसिकता के लोग इसे धर्म मानते हैं, जहां आम आदमी को धर्म के नाम का गांजा फुंका कर लूटा जाता है। फिलहाल आपने खुद इसको देखा है, अब हमें इंतजार है कि यह मामला सबसे तेज टीवी पर कब दिखाई देगा? कब इस लूट के खिलाफ आवाज उठेगी? क्योंकि अक्सर बड़े मंदिरों में लोगों के साथ ऐसा ही व्यवहार होता है।

Sanjay Kumar Giri जी सर आपने बिलकुल सही कहा मैं जब भी माँ के दर्शन करने गया यही दिक्कत सामने आई ..चढ़ावे से लेकर धर्म शाळा में ठहरने तक पंडो ने अपना कब्ज़ा किया हुआ है और इससे ज्यादा बुरा हाल तो चौकिया जी जौन पुर का है सर

Advertisement. Scroll to continue reading.

Dharmender Kanwari एक हफ्ते के लिए हरियाणा के बीस छोरों को इस मंदिर में रखवा दें। पंडे तो दूर मंदिर की देवी भी वहां नजर नहीं आएंगी। धार्मिक संस्थाओं पर इस तरह के आतंक की वजह से आज का युवा धर्म से भी विमुख हो गया है सर।

Vikas Mishra मैं बिल्कुल इसके पक्ष में हूं। कांटे से कांटा निकाला जाता है। दो दर्जन हरियाणा के छोरों को 15 दिन तक वहीं रख दिया जाए, सारे गुंडे भाग जाएंगे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

Raj Shekhar अब बिन्ध्यवासिनी की पूजा यहीं से। दर्शन मन में।

Vikas Mishra जाकर भी देखिए एक बार। छात्र जीवन में साल में दो बार जाया करता था, तब तो ऐसा कुछ देखा नहीं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

Vipin Dev Tyagi ऐसे ही कई भेषधारी फूलफॉर्म में हैं मंदि में भी बाहर भी बचना बहुत ही मुश्किल है विकास जी।जबरदस्ती इमोशनल अत्याचार हो रिया है।

Ashish Singh Hahahahahaha,,,, aapko aaj malum hua ye bahut purane time se hai

Advertisement. Scroll to continue reading.

Vikas Mishra मैंने जैसे ही अनुभव किया, मैंने लिखा। ये बात अब सैकड़ों, हजारों लोगों के बीच पहुंचेगी। मैं चाहता हूं कि इस पहल का असर हो। गुंडों के चंगुल से मां का धाम मुक्त हो।

Ashish Singh jaha tak mera vichar hai yah asambhav hai Vikas Mishra bhaiya

Advertisement. Scroll to continue reading.

Vikas Mishra देखते हैं Ashish Singh

प्रत्यूष द्विवेदी इन धूर्त पंडों की बेहयाई का ठीकरा लोग नासमझी में ब्राह्मणों पर भी फोड़ते हैं जबकि हमलोग भी इनसे त्रस्त हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

आदित्य मिश्र फिर कोई एन के मिश्रा के मिजाज का थानेदार पहुचेगा वहा तो सब ठीक हो जायेगे.. आज भी जितने विकलांग पन्डा हैं वहां, लगभग सब उनकी लाठी के कृपा से हुये हैं…

Rajnish Tripathi भइया प्रणाम, बिल्कुल ठीक कहा आपने, कई लोगों के बहुत कटु अनुभव हैं वहां के। कुछ ने दोबारा दर्शन ही नहीं करने का निर्णय ले लिया है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

Parul Narang सर आप मीडिया से जुडे हैं, अच्छे ओहदे पर हैं, अन्याय के खिलाफ ख़ड़े हो जाएं, दीनहीन लोगों की तरह अपनी बात रखना शेरों को नहीं शोभा देता आदरणीय।

Vikas Mishra अभी क्या लग रहा है आपको। अन्याय के खिलाफ खड़ा नहीं हूं..? मेरा तरीका अलग है। असरदार भी, अगली किसी पोस्ट में बताऊंगा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

Amit Dubey सही बात है, आपकी तरह मै भी बच गया था। कथित पंडे ने मेरे हाथ मे कलावा बांधने लगा फिर माँ के नाम पर रुपये की डिमांड, जब 21रु दिए तो कलावा वापस.. भक्त न सिर्फ ठगे जा रहे है बल्कि लूटे जा रहे हैं । मातारानी ही जाने इनका क्या होगा

Avinash Mishra सही लिखा अपने सर… मैं कई दफा गया हूं जब बीएचयू के साउथ कैंपस मिर्जापुर में पढ़ता था। वैसे तो वहां चारों ओर लूट मची है।व्यवस्था के नाम पर शून्य।धर्मशाला ,होटल या पूजन सामग्रियों की दुकानों पर हरतरफ उन्हीं लोगों का डंका बजता है।लेकिन सेटिंग हो जाती है कुछ चढ़ावा वो लेते हैं फिर अंदर गेट के ले जाकर पूजा करवा देते हैं।अष्टभुजा और काली खोह में भी इनका जमकर धौस चलता है। प्रशासन के जो लोग सुरक्षा में तैनात रहते हैं उनकी गुंडई भी वहां कम नहीं होता ।

Advertisement. Scroll to continue reading.

DN Tewari बहुत ही दुःखद स्थिति। लाइन में लगने वाली जगह और दूसरे महत्वपूर्ण स्थानों पर पुलिस की तैनाती होनी चाहिए और किसी भी घटना के लिए उसकी जिम्मेदारी होनी चाहिए।

Somnath Tripathi अरे भाई हमे भी 31 को जाना है माँ के दरबार मे

Advertisement. Scroll to continue reading.

Vikas Mishra बचकर जाना मामू। पंडा कुछ भी कहे, उसकी बातों में मत आना। मां के दर्शन करिए और बस आ जाइए।

Deepak Srivastav भैया सिर्फ विधायक ही नहीं, कई पत्रकार भी वहां पंडा हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

Ved Ratna Shukla वास्तव में इनकी गुंडागर्दी हद से ज्यादा है। धर्मस्थल होने के नाते इनको छोड़ने के बजाय और पीटना चाहिए।

Smita Dwivedi कुछ पंडित जी तो मीडिया से जुड़े हुए हैं बाकायदा कार्डधारी नियुक्त है वहाँ पर भइया

Advertisement. Scroll to continue reading.

Rajeev Saxena अधिकांश हिंदु धर्म स्थलों पर यही हाल किया हुआ है …..विषय संवेदनशील है अत: सीधा हल नहीं हो सकता सामाजिक उपाय से ही संभव है

Mithilesh Dhar सही कहा आपने, मैंने कई बार विंध्याचल और अष्टभुजी के पंडो पर लिखा था। विंध्याचल के पंडों में बड़ी एकता है, इस कारण पुलिस भी खामोश रहती है। हालत बड़ी खराब है सर

Advertisement. Scroll to continue reading.

डॉ. प्रिया मिश्रा मै भी 2007 में कॉलेज टूर में गयी थी तब ऐसा कुछ नही था….आजकल हर जगह मोटी कमाई है मंदिर के पास भीख मांगने से लेकर पुजा-पाठ तक सब ठेकेदारों के हवाले है….इसलिए अब ये कहावत में ही संतुष्टि नजर आती है कि मन चंगा तो कठौती में गंगा….. क्योंकि जिस तरह ये बढ़ रहा गढ़ उस हिसाब से आमजन के लिए दर्शन दूर्लभ हो जाना है एकदिन….

Vikas Mishra हर जगह नहीं है ऐसी लूटपाट। साईं बाबा के धाम शिरडी में आपको एक भी इंसान ऐसा नहीं मिलेगा, जो अवैध रूप से आपसे कुुछ मांगे। सारा कुछ सिस्टमेटिक है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

डॉ. प्रिया मिश्रा भैया जी…हर जगह नही पर अपने इधर ज्यादातर मंदिर की ये हालत है…

Vishnu Mohan Tewari जी सही कह रहे हैं. ८०-८२ के दौर में इन पंडो ने एक सैनिक की पत्नी के साथ बलात्कार किया था तो उसने ४-५ को गोली मारी थी बाद में मामला काफ़ी तूल पकड़ गया था. ये बदमाश और बलात्कारी भी हैं

Advertisement. Scroll to continue reading.

अर्चना चतुर्वेदी ये ग़लत है पर सिर्फ़ मंदिरो में नहीं है , अजमेर में जाकर देखिए या अन्य दरगाह पर भी मोर पंख मारने के पैसे , अंदर घुसने का यही फ़ंडा

Sanjeev Tiwari येतो न्यूज बन जायेगी “आज तक ” की , आज तक के वरिष्ठ पत्रकार विकास मिस्रा और उनकी पत्नी के साथ विन्ध्याचल माता के धाम मे पन्डो ने वद्सलूकी की |
मित्र वहाँ की ये बहुत पुरानी दुर्वयवस्था है ,प्रशासन और सरकार के भी जानकारी मे है , लेकिन दुरूस्त होना जरूरी है |

Advertisement. Scroll to continue reading.

Nadeem Khan मैं ऐसे आडंबर के सख़्त ख़िलाफ़ हूँ, धर्म की दुकान ने नेताओं के साथ साथ इन गुंडे रूपी पंडों की भी मौज कराई है, आप हिन्दू-मुस्लिम के किसी भी धार्मिक स्थल चले जाइये, अधिकतर का यही हाल है,अजमेर में प्रचंड एवं खानदानी भिखारी और टोपी लगाए फर्जी मौलाना टाइप के तोंदू एजेंट दिख जाएंगे..इस मामले में स्वर्ण मंदिर, चौबीस कैरेट का स्वर्ण है…न भिखारी, न दर्शन करवाने वाले एजेंट…अंदर जाकर जैसे परम् शांति का वरदान मिल जाता है..लोग पता नही क्यों भगवान के पीछे हाथ धोकर पड़े हुए हैं..स्वयं भगवान भी अँधेभक्तों से दुखी हो चुका है,तभी तो ऊपर वाला उन्ही को सबसे अधिक बम्बू करता है जो इंसानियत छोड़कर उसकी दुकान चलाते हैं…

रजनीश कुमार झा सर यह कोई नयी बात नहीं है। गांधी जी ने भी अपनी आत्मकथा में पंडो की दादागिरी का जिक्र किया हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

Hrishikesh Dixit विगत वर्ष पहली बार बनारस होकर मैं भी पत्नी के साथ विन्ध्याचल देवी दर्शन करने गया था तो मेरी जेब तो खाली थी तो पत्नी ने अपना पर्स इन तथाकथित पण्डों के आगे खोल दिया था मैंने काफी असहज महसूस किया। इस घटनाक्रम से मन्दिर परिसर में ही हम पती-पत्नी का विरोधाभास हो गया पत्नी ने मुझे डपट दिया कि सुना नहीं आपने कि पण्डा सुहाग की सलामती की पूजा के 501 रुपये दक्षिणा बोल रहे हैं कैसी बात कर रहे हो आप पूजा के नाम पर ही तो माँग रहे हैं काफी बहस हुई हम दोनों और मन्दिर परिसर से बातचीत बन्द हो गयी जो बनारस लौटते तक बन्द रही

Ashok Das भईया सारा राज इन्हीं दो लाइन में है। ये व्यवस्था सदियों से चली आ रही है। “एक तरफ ये मेहनतकश था, जो 5 से 7 रुपये की शानदार कुल्हड़ वाली चाय पिला रहा था, दूसरी तरफ वो पंडे थे, जो श्रद्धालुओँ को ठगकर अपनी तिजोरियां भरने में व्यस्त थे।”

Advertisement. Scroll to continue reading.

Ambikeshwar Nath Tripathi बहुत ही प्रासंगिक और समस्या गंभीर है। इन पंडों का बिगड़ैल स्वरूप आज का नहीं बहुत पुराना है। यह दर्शन कराने के बहाने भोले श्रद्धालुओं को लूटते हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से इस समस्या को उजागर करिए ।

Virendra Mishra रावण के वंसज हैं कोई राम सब ठीक कर देगा

Advertisement. Scroll to continue reading.

Jay Prakash Mishra आप जैसा ही अनुभव हम सभी का होता है माँ विंध्यवासिनी धाम में, कमोबेश पूर्वी उत्तर प्रदेश के समस्त शक्तिपीठों और बड़े मन्दिरों पर इन्हीं गुंडे रूपी पण्डों का ही एकछत्र राज है, ये सब कमीने हमारी आस्था को अपनी नाजायज कमाई का जरिया बनाये बैठे हैं।

Brijesh Kesarwani विकास तुमको याद हो गा कि आज से 3 वर्ष पूर्व मैंने इसी से कुछ मिलता जुलता वाकया जो मेरे साथ चित्रकूट में घटित हुआ था तुमसे शेयर किया था। यही हाल वाराणसी में भी है। आप लोग यानी मीडिया बंधु ही इस गुंडेबाजी को खत्म कर सकते हैं

Advertisement. Scroll to continue reading.

Vikas Mishra ये गुंडागर्दी तीर्थों के धार्मिक महत्व को कम करेगी।

Kuldeep Kushwaha ये आजकल बहुत जगह देखने को मिल रहा है, ऐसे पंडो की हरिद्वार या प्रयागराज में भी कोई कमी नहीं है। जहां देखो हमारे धार्मिक स्थल भरे पड़े हैं इन चंद पंडो ( गुंडों ) से..

Advertisement. Scroll to continue reading.

Asshish Shukla बिलकुल सत्य जीजा जी। मेरे साथ भी ये घटित हुआ है।

Bheem Agrahari कमोबेश हर धार्मिक स्थल पर इसी तरह पंडे रूपी गुंडों का साम्राज्य फल फूल रहा है, इन पर लगाम लगाने के लिए न तो कोई संगठन सामने आता है न ही कोई देशभक्त

Advertisement. Scroll to continue reading.

आनंद प्रजापति प्रणाम आदरणीय, सबसे पहली गलती तो आपने ये किया कि विन्धयाचल में आकर मुझे बिलकुल याद नहीं किया आपने…कम से कम आपकी सेवा का अवसर मिलता मुझे…वो भी बिना कुछ वसूले। ऊपर से घर की बनी गरमा गरम रोटी …रहने के लिए हमारा गरीबखाना सब आपकी खिदमत में हाजिर रहता। ….माँ विंध्यवासिनी सब की मुरादें पूरी करती हैं…आप की मुराद भी पूरी होगी। लेकिन अगली बार आप आएं तो मुझे सेवा का अवसर जरूर दें।

Vikas Mishra जी ये गलती तो हो ही गई। फिर भी देवस्थान में मैं बिल्कुल आम इंसान की तरह दर्शन करना चाहता हूं। ईश्वर के दरबार में सब बराबर हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

Ajay Kumar बहुत आत्मविश्वास का व्यक्ति ही यह सब कुछ सच्चाई लिख सकता है। पुरा समाज आपका अनुग्रहित है

Akhilesh Tiwari भाई साहेब आपने एकदम ठीक लिखा है ऐसा अनुभव मेरा भी रहा है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

Mukesh Pathak आपका अनुभव और आपका आंकलन बिल्कुल सही है।

Atul Agrawwal ‘पोंगा पंडितों’ ने सत्यानाश कर रखा है बाबा…. हमसे बेहतर और कौन समझ और समझा सकता है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

Avinash Tiwari अतुलजी भाईश्री पोंगा यानि कि अति सज्जन प्रकांड पंडित माना जाता है कुछ दुष्ट प्रवृत्ति के गुंडे तत्वों ने सारे ब्राह्मणों की छवि खराब करते है तभी सही पंडित जी लोग शर्म से सर झुका लेते है

Hariom Choubey विन्ध्येश्वरी माता हमारी कुलदेवी हैं विगत कई वर्षों से नियमित जाना हो रहा है पण्डा समाज से मुझे कोई परेशानी नहीं हुई .! अच्छे और बुरे लोग हर स्थान पर होते हैं, बुरे लोगों का प्रतिकार करना चाहिए.!

Advertisement. Scroll to continue reading.

Vikas Mishra माता की कृपा है कि आप विंध्याचल के पंडे रूपी गुंडों के चंगुल से अब तक बचे हुए हैं। बचे भी रहेंगे।

Rajni Kant सर हर तीर्थ स्थानों पर ऐसे गुंडे आपको मिलते रहेंगे…क्योंकि अब धर्म पर भी बिजनेस का चढ़ता जा रहा है…इस लिए मंदिरों में उपजे वंशवाद को खत्म करना होगा…क्योेंकि यहां हमेशा से पी़ड़ियों की दुकानदारी चलती आ रही है…यदि पिता ने किया तो बेटा भी करेंगे फिर नाती भी..भले ही वो शराबी हो जुआड़ी हो…करता ही जायेंगा..बताई ऐसे में सत्यानाश न हो तो क्या होगा…खैर मां आपकी मनोकामनाएँ पूर्ण करें जय माता दी

Advertisement. Scroll to continue reading.

Shivam Bhatt यही हाल बाबा विश्वनाथ में है। हालांकि वहां इतनी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था होने की वजह से इन लोगों की ज्यादा नहीं चल पाती, लेकिन मंदिर तक के रास्ते में ऐसे गुंडे और प्रसाद की दुकानों के मालिक आपका रास्ते पर चलना दूभर कर देते हैं। गलती से किसी की दुकान पर पहुंच गए, तो आपको मोबाइल लॉकर के बदले 5 दिन बासी 200 ग्राम मिठाई 500 रुपये की चिपकाएगा, बहस करेंगे तो बदतमीजी पर उतर आएंगे। उज्जैन महाकाल, बाबा विश्वनाथ, विंध्याचल देवी, हर जगह यही हाल है। शिरडी इस मामले में बहुत सही लगा, वहां अगर आपके पैरों में किसी विशेष आदमी के पैरों में ‘विशेष तकलीफ’ है, तो 400 से 1000 की आधिकारिक रसीद कटवाए और दर्शन कर आए। बाकी हजारों की लाइन बिना शिकायत खड़ी रहती है।

कुमार आलोक धर्म इन्हीं पंडों के दम पे जिंदा है, इन्हें पकड़-पकड़ के हिन्दू रत्न सम्मान दे देना चाहिए।

Advertisement. Scroll to continue reading.

Kamlesh Shukla चहुंओर यही हाल है। इस पोस्ट पर योगी के अफसरों का ध्यान जाए तो शायद कुछ हो। बड़े धाम कुछ गुंडों के कारण बदनाम हो गए हैं।

प्रवीण कौशिक मथुरा वृंदावन में भी यही हाल है दर्शन करने के नाम पर एक बार जाकर ही हाथ जोड़ लिए दोबारा कभी दर्शन करने के लिए नहीं गया

Advertisement. Scroll to continue reading.

Atmeshwar Tripathi सभी तीर्थ स्थलों पर कमोवेश यही हाल है भांजे।

Ashok Tripathi अब सभी प्रसिद्ध सिद्ध धर्म स्थलों का यही हाल है,,, मैं भी भुक्त भोगी हूं तब से जाना नहीं हुआ,,,

Advertisement. Scroll to continue reading.

Abhishek Kr Jha सर, विंध्याचल को मैं दो वजहों से जानता हूँ। सबसे पहले माँ विन्ध्यवासिनी और फिर आप। आदरणीय विकास भैया का लिखा पढ़ के दुःख हुआ कि माँ के मंदिर में भी ठग आ पहुँचे हैं। आप खुद माँ के सबसे बड़े भक्त हैं और मां की कृपा भी आप पर हुई है। ये तो सर्वविदित है कि पंडा समाज ने मंदिरो के लिए बहुत कुछ किया है। उनके कारण ही मंदिरो का स्वरूप है। लेकिन पंडो के रूप में जो ठग और गुंडों ने मंदिर को जकड़ा हुआ है उससे निजात कैसे मिलेगी अब? आप कुछ सुझाव दें।

Padampati Padam कुछ अपवाद छोड़ कर हर मंदिर और दरगाह पर यही होता है

Advertisement. Scroll to continue reading.

Parmod Pahwa ऐसा किस मन्दिर में नही होता ? काशी विश्वनाथ में भी यही स्थिति है

Isht Deo Sankrityaayan बिल्कुल सही। इस गुंडई और लूट का विरोध होना ही चाहिए।

Advertisement. Scroll to continue reading.

Ashutosh Mani Tiwari जी भाई श्री, हम लोग भी लाइन से आकर ही दर्शन करते है। पण्डे कुछ ठेले वाले भी बन जाते है। चलिए माँ सबकी है, क्षमा भी करेगी और बुद्धि भी ठीक करेगी। माँ के चरणों मे शत शत नमन

Manoj Sharma विकास भैया मेरे साथ एक बार ऐसा ही अभद्र व्यवहार हुआ था आप ने मेरे मन की बात लिखी इसके लिए आप को साधुवाद…

Advertisement. Scroll to continue reading.

ये भी पढ़ें….

एक पत्रकार के आवाज उठाने पर यूं रुकी शनि शिंगणापुर में भक्तों से होने वाली लूट!

Advertisement. Scroll to continue reading.
5 Comments

5 Comments

  1. Amit Singh

    January 23, 2019 at 5:29 pm

    विकाश जी , प्रशासनिक इच्छा शक्ति एवम सामाजिक सहयोग के बिना सुधार कठिन है। आपको नमन कम से कम आपने आवाज तो उठाई।

  2. Dr. Ashok Kumar Sharma

    January 23, 2019 at 5:51 pm

    विंध्याचल धाम का यही सच सभी हिन्दू तीर्थों का धब्बा है। सब जगह लूट की चौकियां, चेकपोस्ट और काउंटर खुले हैं। गंदगी परिसरों में छाई है और गुंडे मंदिरों पर।

  3. prashant tripathi

    January 24, 2019 at 10:45 am

    मथुरा,बनारस में भी कमोवेश यही आलम है

  4. आर0 आर0 शर्मा -जर्नलिस्ट

    January 24, 2019 at 2:36 pm

    आमतौर पर पण्डों के वेष-धारी इन गुंडों की गुंडागर्दी पर नकेल लगनी चाहिए । प्रशासन ऐसे गुंडों की करतूतों पर गुप्त रूप से नजर रखे।

  5. Ajay pal

    October 31, 2020 at 7:06 am

    Jinhone ne bhi likha hai ye satya hai aur mai bhi visit kiya hu mere sath bhi hi aisa hi hua hai aur mai kabhi bhi thik se darshan nahi kar paya hu in pando ki wajah se , Ma vindyvasini Aap hi inka uddhar karo..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास तक खबर सूचनाएं जानकारियां मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group_one

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement