भड़ास4मीडिया डॉट कॉम चलाते हुए पंद्रह साल होने को हैं. हजारों खबरें प्रकाशित हुईं. इस क्रम में मुझसे कुछ बड़ी गल्तियां भी हुईं. खबरों को पहचानने में, खबरों की पुष्टि में, सूचनाओं की सत्यता पहचानने में. ऐसी ही एक बड़ी चूक उस प्रकरण में मुझसे हुई जिसमें इंडिया न्यूज ग्रुप के मालिक कार्तिक शर्मा को उनके ही ड्राइवर द्वारा जान से मारने की कोशिश की गई, कार को पीछे की तरफ से बार बार दीवार में धक्का मार कर.
इस प्रकरण में मेरे पास जो तात्कालिक सूचना मेरे सूत्र ने दी उसने बताया था कि कार ड्राइवर ने सेलरी न मिलने के कारण इस हरकत को अंजाम दिया. इसी एंगल से खबर का प्रकाशन कर दिया गया जिससे ड्राइवर आरोपी की बजाय पीड़ित दिख रहा था और इंडिया न्यूज चैनल के मालिक कार्तिक शर्मा खलनायक जैसे लग रहे थे. इस खबर के प्रकाशन के बाद इंडिया न्यूज चैनल ने भड़ास पर मुकदमा कर दिया.
मुकदमें में चैनल मालिक कार्तिक शर्मा की तरफ से कहा गया कि सेलरी का कोई मामला नहीं था, ड्राइवर ने किसी साजिश के चलते इस कुकृत्य को अंजाम दिया. जबकि भड़ास ने सेलरी न मिलने को मुद्दा बताया जो कि गलत है.
अब मुझे साबित ये करना था कि मुद्दा सेलरी का ही था. इसके लिए ड्राइवर से संपर्क करना और बात करना जरूरी था. अपने कुछ पुलिसिया संपर्कों से नोएडा के थाने से आरोपी ड्राइवर का एड्रेस निकलवाया. एक पता दिल्ली का था और एक यूपी के सुल्तानपुर जिले का. दिल्ली में वह नहीं मिला तो सुल्तानपुर के अपने एक मित्र के सौजन्य से गांव में रह रहे ड्राइवर का फोन नंबर मंगवाया.
ड्राइवर से मैंने विस्तार से बात की. उसने सेलरी न मिलने की बात से इनकार किया. पता चला कि सेलरी उसे एडवांस में दी जाती थी. तब मैंने पूछा कि फिर तुमने कार्तिक शर्मा को जान से मारने की कोशिश क्यों की. उसका जवाब था- ‘बस यूं ही, अचानक मन में आ गया था’.
जवाब सुनकर मैं सन्न. क्या कोई आदमी बस यूं ही किसी को जान से मारने की साजिश बनाकर उस पर अमल कर सकता है!
मैं सकते में. मुझे लग गया कि मुझसे अनजाने में एक बड़ा अपराध हो गया है. एक ऐसे हत्यारे मानसिकता के आदमी को पीड़ित मान बैठा और उसके पक्ष में तकरीर कर बैठा जो अपने स्वामी को बिना कारण मारने का प्लान कर सकता है.
पूरे प्रकरण को लेकर मैंने छानबीन शुरू की. पता चला कि उस रात अगर कार्तिक शर्मा और उनके एक मित्र कार से कूद नहीं जाते तो ये ड्राइवर उन लोगों को मार देता. वह लगातार पीछे की साइड से दाएं बाएं और ठीक पीछे टक्कर मार रहा था.
रात के डेढ़ दो बजे के बीच का मामला है. नोएडा के आफिस से कार्तिक शर्मा दिल्ली वाले अपने घर जाने के लिए निकले थे. उनके साथ उनके एक मित्र थे. कार जब अंडरपास से गुजर रही थी तभी ड्राइवर ने दाएं बाएं और पीछे की साइड की तरफ से टक्कर मारनी शुरू कर दी. कार्तिक के दिल्ली वाले मित्र ने जब देखा कि ये आदमी हत्या करने पर उतारू है तो उन्होंने चिल्लाकर कार से कूदने के लिए कहा. दोनों जब कूदे तब जान बची. अगर ये लोग न कूद पाते तो वह ड्राइवर प्राण लेकर ही मानता.
ड्राइवर को अरेस्ट कर नोएडा के थाने लाया गया और एसओजी टीम से खूब कुटाई कराई गई. लेकिन उसने मुंह नहीं खोला. ये नहीं बताया कि उसने ऐसा क्यों किया. बाद में पता चला कि एक शख्स बीएमडब्ल्यू कार से उस ड्राइवर से मिलने जेल जाता था. जिस अपराध में उसे बंद किया गया, उसमें जमानत नहीं होनी चाहिए थी लेकिन किन्हीं अदृश्य और प्रभावशाली लोगों द्वारा मजबूती से पैरवी किए जाने के चलते वह जमानत पर छूट गया है. आज भी उस ड्राइवर का केस नोएडा में ठीकठाक वकील लड़ते हैं और हर तारीख पर ड्राइवर सुल्तानपुर से नोएडा आता है.
कहा जा सकता है कि कार्तिक शर्मा को मारने की किसी ने सुपारी दी थी उनके ड्राइवर को. ड्राइवर भी इतना कोल्ड ब्लडेड कि पुलिसिया स्टाइल से पूछताछ में भी कुछ नहीं उगला. आशंका है कि आसाराम बापू को नेस्तनाबूत करने वाले इंडिया न्यूज चैनल से बदला लेने की भावना के तहत चैनल मालिक कार्तिक शर्मा को निपटाने की सुपारी दी गई थी. पर इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी क्योंकि कांड करने वाला शख्स मुंह खोलने के लिए तैयार नहीं है. हां, उस शख्स को लगातार कुछ अदृश्य लोग सपोर्ट दे रहे हैं.
भड़ास अनजाने में बड़ी गलती कर बैठा और ड्राइवर को गरीब मानकर और अपने सूत्र द्वारा दी गई अपुष्ट सूचना को सत्य मानकर जिस खबर का प्रसारण किया उससे हत्यारे ड्राइवर की निर्दोष और निर्दोष चैनल मालिक की उत्पीड़क छवि बन गई. ऐसे में इंडिया न्यूज चैनल की तरफ से भड़ास पर मुकदमा किया जाना उचित ही था. ये मुकदमा न होता तो शायद मुझे असली सच की जानकारी नहीं होती.
चैनल मालिक कार्तिक शर्मा आज सांसद भी हैं. मैं निजी रूप से उनसे मिलकर क्षमा याचना करूंगा. फिलहाल इस पोस्ट के जरिए मैं उनसे कहना चाहता हूं कि मैंने अनजाने में एक बड़ी ग़लती कर दी है. उस ग़लती का पूर्ण परिष्कार तो अब संभव नहीं है लेकिन मैं खुद की संतुष्टि के लिए ये जो प्रायश्चित पोस्ट लिख रहा हूं उसके माध्यम से यह सभी को बताना चाहता हूं कि भड़ास पर ‘सेलरी न मिलने के कारण ड्राइवर द्वारा चैनल मालिक को मारने की कोशिश’ शीर्षक से प्रकाशित खबर सिरे से गलत थी. तथ्य यह है कि ड्राइवर किसी बड़े गिरोह के इशारे पर सुपारी लेकर चैनल मालिक की हत्या करना चाहता था लेकिन ईश्वर की कृपा से चैनल मालिक बाल बाल बच गए.
भड़ास पर प्रकाशित उस पुरानी और गलत खबर को संशोधित कर दिया गया है. भविष्य में हम इंडिया न्यूज चैनल, आज समाज अखबार समेत उनके मीडिया के किसी भी उपक्रम और उससे जुड़े व्यक्तियों के बारे में किसी खबर को प्रकाशित करेंगे तो सबसे पहले उनका पक्ष जानेंगे ताकि खबर एकतरफा और गलत न छपे.
ये बात सिर्फ इंडिया न्यूज ग्रुप पर ही नहीं बल्कि हर संस्थान और हर व्यक्ति के लिए लागू होती है. भड़ास पर प्रकाशित की जाने वाले खबरों में फैक्ट चेक का काम अनिवार्य किया जाएगा.
जब जागो तभी सवेरा. जब गलती का एहसास हो जाए तो माफी मांग लेने से मन को शांति मिल जाती है. मेरी गलती ऐसी है कि इस कारण एक अच्छे भले व्यक्ति की, जिसकी जान जाते जाते बची हो, सामाजिक तौर पर मानमर्दन हुआ. एक कोल्ड ब्लडेड मर्डरर की छवि पीड़ित व्यक्ति के तौर पर बनी. ये दोनों बातें बेहद भयानक हैं. इसलिए ये प्रकरण मेरे लिए सबक भी है. भले चार खबरें कम छपें लेकिन जितनी छपें, वो पुष्ट हों, सबका पक्ष समाहित हो. ये इस घटना का संदेश है.
कार्तिक जी, हम आपकी लंबी उम्र की कामना करते हैं. आपने जिस मेहनत और मुश्किल तरीके से अपना मीडिया उपक्रम खड़ा किया, जैसे खुद को बचाया, जैसे खुद को आगे बढ़ाया, वह प्रेरणादाई है. आप राज्यसभा के सांसद भी बन गए हैं. बेहद कम उम्र में ये सब करके आपने अनुभव और समझ का अपना दायरा समृद्ध और उदात्त किया है. हम आशा करते हैं कि आप यूं ही आगे बढ़ते जाएंगे. मंजिलें और भी हैं. अभी तो बस शुरुआत है. आपकी सेहत, समृद्धि और सफलता के लिए हम दुआ करते हैं.
आभार
यशवंत सिंह
संपादक
भड़ास4मीडिया
[email protected]
संशोधित खबर ये है-
विजय सिंह
October 8, 2022 at 12:39 am
जाने अनजाने गलती करके सुधार करना ,गलती स्वीकार करना और खेद प्रकट करने के लिए हौसला चाहिए. साधुवाद .