Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

रमजान : जकात और फितरा बेहद जरूरी

रमजान का महीन इस्लामिक मान्यता के अनुसार सबसे पवित्र और इबादत का सबसे ख़ास महानी है, इसकी इबादत पूर्ण करने वालों के लिए अल्लाह की तरफ से ईद की खुशी अता की गई है। धार्मिक विधान के अनुसार रमजान की शुरूआत उस समय तक नहीं हो सकती, जब तक संतोषप्रद तरीके से यह मालूम न हो जाए कि रमजान का महीना शुरू हो चुका है और समाप्त भी उस समय तक नहीं हो सकता जब तक ईद का चांद न देख लिया जाए। रमजान का महीना जब से शुरू हो और जब तक रहे हर मुसलमान को उसके रोजे रखने चाहिए।

रमजान एक कमरी यानी चांद वाला महीना है, जो चांद के दिखने पर निर्भर करता, इसके बारे में नबी का स्पष्ट संदेश मौजूद है, जिसमें कहा गया है कि चांद देखकर रोजे रखो और चांद देखकर ही रोजे खत्म करो। लेकिन आसमान साफ न हो तो तीस रोजे की गिनती पूरी करो। अगर चांद दिखने के समय आसमान में बदली छाई हुई है, बदली और चांद की लुका-छिपी के दौरान एक झटके मे चांद दिख जाए और एक-दुक्का लोग ही देख पाए हों। तब उस शहर के काजी से सामने उनकी गवाही होगी, गवाह ऐसे हों जिन पर यक़ीन किया जा सके, तब शहर काजी ईद का ऐलान कर सकते हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

यहां यह भी बहुत महत्वपूण है कि जिस जिले या शहर में चादं दिखे वहीं ईद मनाई जाएगी। ऐसा नहीं है कि चंडीगढ़ में चांद दिखे तो वाराणसी और इलाहाबाद में भी ईद मनाई जाए। साइंस के हिसाब से भी यह ज़रूरी नहीं कि हर जगह एक ही दिन चांद दिखे। पटना में चांद दिखा हो तो चंडीगढ़ और कानपुर आदि सहित पटना के पश्चिम के पूरे इलाके में ईद मनाया जाना सही है, लेकिन कोलकाता में नहीं, क्योंकि चांद पश्चिम से निकलता है। इसलिए पूरब के किसी शहर में दिखने का मतलब है कि उस शहर से पूरब के पूरे इलाके में तो चांद होगा ही, बादलों के कारण नजर नहीं आया होगा।

हजरत मुहम्मद सल्ल. ने इस आदेश में दो बातें स्पष्ट रूप से निर्धारित की है- एक यह है कि चांद देखने की गवाही उस समय जरूरी होगी जब आसमान साफ न हो, दूसरे-यह कि इस स्थिति में खबर पर नहीं बल्कि दो सच्चे न्यायप्रिय गवाहों की गवाहों पर चांद देखने का फैसला किया जाएगा। चंद्रदर्शन की गवाही के बारे में किसी व्यक्ति द्वारा फोन पर गवाही दिए जाने या रेडियो, टेलीवीजन या इंटरनेट पर खबर सुन-पढ़ लिए जाने को नहीं माना जाता। गवाहों का सामने मौजूद होना जरूरी है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

जिस प्रकार दुनिया की कोई अदालत टेलीफोन, वीडिया कांफ्रेंसिंग आदि पर की गई गवाही को नहीं मानती, उसकी प्रकार चांद के मामले में भी ऐसी गवाही पर चांद दिखने का ऐलान नहीं किया जा सकता। यह सभी जानते हैं कि पूरी दुनिया में एक ही दिन चांद देख लेना मुमकिन नहीं है। रहा किसी देश या किसी बड़े इलाके में सब मुसलमानों की एक ही दिन चांद दिखने की बात, तो शरीअत में इसको भी जरूरी नहीं किया गया है। या अगर हो सके और किसी देश में शरई कानून के अनुसार चांद देखने की गवाही और उसके ऐलान का प्रबंध कर दिया जाए तो इसको अपनाने में हर्ज नहीं है। मगर शरीअत की यह मांग बिल्कुल नहीं है कि जरूर ऐसा ही होना चाहिए।

नमाज, रोजा, हज, जकात और तौहीद इसलाम मजहब के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। जब तक कोई मुसलमान जकात और फितरा अदा नहीं करता, तब तक रमजान के बाद उसकी ईद की नमाज अल्लाह की बारगाह में स्वीकार नहीं होती। जकात साल मंें एक बार देना होता है, इसके अंतर्गत साढ़े सात तोला सोना से अधिक के मूल्य की जितनी धनराशि है, उस अधिक धन का ढाई प्रतिशत धन गरीबों में बांटना ही जकात है। जकात अदा न करना इसलाम मजहब में बहुत बड़ा गुनाह है। यदि कोई मुसलमान हर तरह की इबादत करता है, इमानदारी से जीवन व्यतीत करता है, लेकिन अगर सालाना जकात अदा नहीं करता तो उसकी सारी इबादतें अल्लाह की बारगाह में अस्वीकार कर दी जाएंगी। इसी तरह सभी मुसलमानों को फितरा अदा करना अनिवार्य है। ईद की नमाज पढ़ने से पहले फितरा अदा कर देने का आदेश है, वर्ना नमाज स्वीकार नहीं होगी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

फितरे में हर मुसलमान को अपने परिवार के सदस्यों की संख्या के बराबर प्रति सदस्य दो किलो चालीस ग्राम गेहूं के मूल्य के बराबर धन गरीबों में देना होता है। इसमें सबसे पहले अपने पड़ोसी को देखना चाहिए कि वह फितरा लेने की स्थिति में है तो उसे पहले देना चाहिए, इसके बाद रिश्तेदारों को देखना चाहिए। वास्तव में ईद संपूर्ण मानवता के खुशी का दिन है, इससे खुदा का कोई बंदा वंचित न हर जाए, इसका ध्यान रखना हर पड़ोसी का फर्ज है।

इलाहाबाद निवासी इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी की रिपोर्ट.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement